नगालैंड यूनिवर्सिटी ने तैयार की हाई-यील्ड अदरक की किस्म! किसानों की आय होगी दोगुनी, जानें खूबियां

Ginger Variety SAS-KEVÜ Variety: नागालैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अदरक की एक नई उच्च उत्पादन वाली किस्म SAS-KEVÜ विकसित की है। यह किस्म अधिक उपज बेहतर ड्राई रिकवरी और उत्कृष्ट गुणवत्ता प्रदान करती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना (AICRP-Spices) के तहत विकसित यह किस्म कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा अधिसूचित की जा चुकी है।

भारत के राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद अब यह बीज उत्पादन और बिक्री के लिए मान्य है। उत्तर-पूर्व भारत के किसी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित पहली अदरक किस्म होने से यह क्षेत्र के लिए विशेष महत्व रखती है। नागालैंड मिजोरम पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में इसका बीज उत्पादन और बिक्री अनुमोदित है।

SAS-KEVÜ किस्म का विकास और परीक्षण

यह किस्म 2014 में शुरू हुए शोध का परिणाम है। नागालैंड के विभिन्न क्षेत्रों से नादिया किस्म के 19 क्लोन एकत्र किए गए। इनका मॉर्फोलॉजिकल और बायोकेमिकल अध्ययन किया गया। क्लोन NDG-11 सबसे बेहतर पाया गया जिसे SAS-KEVÜ नाम दिया गया। करीब नौ वर्षों के वैज्ञानिक मूल्यांकन और सात AICRP केंद्रों में बहु-स्थान परीक्षण के बाद यह राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ सिद्ध हुई। प्रोफेसर सी एस मैती और डॉ ग्रासेली आई येप्थोमी के नेतृत्व में यह शोध पूरा हुआ। नागालैंड यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर जगदीश के पटनायक ने इसे क्षेत्रीय कृषि नवाचार की बड़ी उपलब्धि बताया है।

उपज क्षमता

SAS-KEVÜ की उपज क्षमता 17.21 टन प्रति हेक्टेयर है जो राष्ट्रीय चेक वैरायटी से 9 प्रतिशत अधिक है। ड्राई रिकवरी रेट 21.95 प्रतिशत दर्ज किया गया है जो प्रसंस्करण उद्योग के लिए लाभकारी है। कंद बड़े आकार के नरम बनावट वाले और कम रेशे युक्त होते हैं। अंदर से हल्का नींबू-पीला रंग होता है। मध्यम तेल मात्रा और गूदेदार ठोस कंद इस किस्म को विशेष बनाते हैं। फसल नौ महीने में परिपक्व हो जाती है जो पारंपरिक अदरक उत्पादक क्षेत्रों के कृषि कैलेंडर में आसानी से फिट बैठती है।

ये भी पढ़ें- सब्जियां-फल नहीं, इस घास की खेती से किसान कमा रहें 6 महीने में लाखों, जानें तरीका

प्रसंस्करण और उपयोग की उपयुक्तता

यह किस्म ताजा बाजार और मसाला प्रसंस्करण उद्योग दोनों के लिए उपयुक्त है। कम रेशे और नरम कंद होने से अचार पेय पेस्ट कुकिंग कैंडी जूस और अन्य वैल्यू एडेड उत्पाद बनाने में आसानी होती है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार मध्यम तेल सामग्री इसे खाद्य प्रसंस्करण के लिए आदर्श बनाती है। किसानों को बाजार में बेहतर स्वीकार्यता और आकर्षक कंद गुणधर्म से अधिक कीमत मिलती है।

किसानों के लिए लाभ

SAS-KEVÜ अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता के कारण प्रति हेक्टेयर आय में उल्लेखनीय वृद्धि प्रदान करती है। यह किस्म अधिक सहनशील है जिससे जोखिम कम होता है। उत्तर-पूर्व भारत के अदरक उत्पादक क्षेत्रों में यह किस्म किसानों की आय बढ़ाने और मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सरकार की अधिसूचना के बाद अब किसान आसानी से इसका बीज प्राप्त कर सकेंगे। नागालैंड यूनिवर्सिटी में बीज राइजोम गुणन की तैयारी चल रही है ताकि अगले सीजन से किसानों को सामग्री उपलब्ध हो सके।

यह किस्म बीज अधिनियम 1966 के तहत अधिसूचित है। अनुमोदित राज्यों में बीज उत्पादन और बिक्री शुरू हो गई है। किसान स्थानीय कृषि विभाग AICRP केंद्र या नागालैंड यूनिवर्सिटी से संपर्क करके बीज सामग्री और खेती की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पारंपरिक अदरक खेती की विधि अपनाकर इस किस्म से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।

SAS-KEVÜ अदरक की खेती उत्तर-पूर्व और अन्य अदरक उत्पादक क्षेत्रों में नई उम्मीद जगाती है। वैज्ञानिक शोध से विकसित यह किस्म किसानों की आय बढ़ाने और प्रसंस्करण उद्योग को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होगी।

ये भी पढ़ें- सेंटा गोभी की खेती ने बदल दी किस्मत! रामपुर के किसान की पूरी फसल खेत पर ही बिक गई, कम लागत में तगड़ी कमाई

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment