नंदिनी कृषक समृद्धि योजना: गोरखपुर की इंदु सिंह ने 25 गायों से खड़ी की डेयरी, लाखों की कमाई की कहानी

Nandini Krishak Samriddhi Yojana: उत्तर प्रदेश सरकार की नंदिनी कृषक समृद्धि योजना गोपालन को बढ़ावा देने और किसानों-पशुपालकों की आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। इस योजना का उद्देश्य स्वदेशी उन्नत नस्ल की गायों से डेयरी यूनिट स्थापित करना है, जिसमें सरकार 50 प्रतिशत अनुदान देती है। गोरखपुर जिले के पिपराइच ब्लॉक में रहने वाली महिला किसान इंदु सिंह इस योजना की एक चमकती मिसाल हैं। उन्होंने योजना के तहत 25 साहीवाल नस्ल की गायों की डेयरी शुरू की और आज उनकी सफलता दूसरी महिलाओं और किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है।

इंदु सिंह की शुरुआत और संघर्ष

इंदु सिंह पहले से ही पशुपालन से जुड़ी हुई थीं, लेकिन छोटे स्तर पर। परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने की इच्छा और गोपालन के प्रति लगाव ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। 2023-24 में ई-लॉटरी से योजना की लाभार्थी बनने के बाद उन्होंने 25 साहीवाल नस्ल की गायें खरीदीं। परियोजना की कुल लागत लगभग 62.55 लाख रुपये थी, जिसमें सरकार ने 50 प्रतिशत यानी 31.25 लाख रुपये का अनुदान दिया। आधी राशि उन्हें पहले मिल चुकी है और बाकी जल्द मिल जाएगी। इस अनुदान से लागत आधी रह गई और इंदु ने अपनी डेयरी को मजबूत आधार दिया।

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डेयरी से मिल रही शानदार कमाई और भविष्य की योजनाएँ

आज इंदु सिंह की डेयरी में रोजाना 200 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। साहीवाल नस्ल की गायों का दूध उच्च गुणवत्ता वाला होने से 100 रुपये प्रति लीटर के भाव से बिक रहा है। इससे उनकी मासिक आय अच्छी खासी हो गई है। इंदु बताती हैं कि पहले छोटे स्तर पर पशुपालन से गुजारा चलता था, लेकिन योजना के अनुदान से डेयरी बड़ा रूप ले चुकी है। अब वे दुग्ध प्रसंस्करण (मिल्क प्रोसेसिंग) का काम भी शुरू करने वाली हैं, जिससे दही, घी, पनीर जैसे उत्पाद बनाकर और ज्यादा मुनाफा कमाएँगी। योजना के तहत कृत्रिम गर्भाधान सेक्स सॉर्टेड सीमेन से किया जाता है, जिससे केवल बछियाँ पैदा होंगी और भविष्य में डेयरी का विस्तार आसान हो जाएगा।

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना क्या है और कैसे मिलता है लाभ

यह योजना नंद बाबा मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य गोसंरक्षण, गोसंवर्धन और पशुपालकों की समृद्धि है। योजना में साहीवाल, गिर, थारपारकर और गंगातीरी जैसी स्वदेशी उन्नत नस्ल की 25 गायों से डेयरी यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलता है। लाभार्थी का चयन ई-लॉटरी से होता है। योजना से जुड़े पशुपालकों को बीज, प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और दूध बिक्री की गारंटी भी मिलती है। महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी जाती है, ताकि ग्रामीण क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण हो। गोरखपुर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र पांडेय कहते हैं कि यह योजना न केवल आय बढ़ाती है, बल्कि देशी नस्लों के संरक्षण में भी मदद करती है।

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इंदु सिंह की सफलता क्यों है प्रेरणादायक

इंदु सिंह की कहानी इसलिए खास है क्योंकि वे एक साधारण ग्रामीण महिला हैं, जो पहले छोटे स्तर पर पशुपालन करती थीं। योजना के अनुदान से उन्होंने न केवल अपनी डेयरी को बड़ा बनाया, बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया। उनकी सफलता पड़ोस के किसानों और महिलाओं को प्रेरित कर रही है। वे कहती हैं, “योजना ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया। अब मैं दूसरी महिलाओं को भी गोपालन अपनाने की सलाह देती हूँ।” उनकी डेयरी में उन्नत नस्ल की गायें होने से दूध की गुणवत्ता बेहतर है और बाजार में अच्छा भाव मिल रहा है।

योजना का व्यापक प्रभाव और भविष्य

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना से उत्तर प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ रहा है और पशुपालकों की आय स्थिर हो रही है। इंदु सिंह जैसी महिलाएँ इस योजना से सशक्त हो रही हैं, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बना रही हैं। सरकार का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा किसान इस योजना से जुड़ें और गोपालन को व्यवसाय बनाएँ। अगर आप भी पशुपालन में रुचि रखते हैं तो स्थानीय पशुपालन विभाग से संपर्क करें। इंदु सिंह की यह सफलता की कहानी साबित करती है कि सही सरकारी योजना और मेहनत से आम किसान भी बड़ी कामयाबी हासिल कर सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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