आजकल किसान पारंपरिक फसलों के अलावा अन्य फसलों की खेती करके अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।

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इनमें से एक है हरी मिर्च, जिसकी बाजार में साल भर मांग बनी रहती है। हरी मिर्च एक नगदी फसल है, जो किसानों के लिए आय का बेहतर स्रोत बन सकती है।

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हरी मिर्च की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव करना जरूरी है। यहां कुछ प्रमुख किस्मों के बारे में जानकारी दी गई है

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यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित की गई है। इसे तैयार होने में केवल 60-70 दिन लगते हैं और यह प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल तक उपज देती है। यह किस्म पूरे देश में उगाई जा सकती है।

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पूसा सदाबहार

इस किस्म की मिर्च की फलियां मध्यम आकार की होती हैं, जिनकी लंबाई लगभग 10 सेंटीमीटर होती है। यह किस्म 75 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल तक उपज देती है।

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तेजस्विनी

1. यह किस्म कीट और मकड़ी प्रतिरोधक है। इसके पौधे बौने और झाड़ीनुमा होते हैं। यह किस्म 130-150 दिनों में तैयार होती है और प्रति एकड़ 34 क्विंटल तक उपज देती है।

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पूसा ज्वाला

यह किस्म कम तीखी होती है और जल्दी पक जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 85-100 क्विंटल हरी मिर्च और 18-23 क्विंटल सूखी मिर्च प्राप्त होती है।

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जवाहर मिर्च 148

इस किस्म के पौधे 60-75 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। यह किस्म बुवाई के 45 दिनों के अंदर पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 300-350 क्विंटल तक उपज देती है।

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काशी अर्ली