Cultivate Cucumber In A New Way: गर्मी का मौसम धीरे धीरे शुरू हो चुका है, और इसके साथ ही खीरे की मांग भी बाज़ार में बढ़ने लगी है। ऐसे में अगर आप कम समय में खेती से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो खीरे की खेती एक बेहतरीन विकल्प है। कृषि वैज्ञानिकों ने भी नई तकनीक और उन्नत बीजों के इस्तेमाल से खीरे की खेती करने की सलाह दी है। आइए, जानते हैं कैसे करें खीरे की खेती और कमाएँ मोटी आमदनी।
ऐसे करें खीरे की खेती
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. विवेक त्रिपाठी के अनुसार खीरे की फसल लगाने से पहले मिट्टी की जांच करवाना जरूरी है। खीरे की खेती के लिए उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली, ढीली, कार्बनिक पदार्थ से भरपूर और 6.0 से 7.5 पीएच वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी की तैयारी के लिए खेत में मेड़ बनाएँ और दो मेड़ों के बीच डेढ़ फीट की दूरी रखें। दो खीरे के पौधों के बीच एक फीट की दूरी होनी चाहिए।
खीरे के पौधे लतर वाले होते हैं, इसलिए हर पौधे के नीचे डंडा लगाना जरूरी है। बुवाई के समय दाने के बजाय छोटे पौधे लगाने से अच्छी पैदावार मिलती है। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम का उपयोग करें, ताकि पौधों को सही मात्रा में पानी मिल सके और कोई भी पौधा अधिक पानी से बर्बाद न हो।
उन्नत बीजों का चयन
खीरे की खेती के लिए उन्नत बीजों का चयन करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करते हैं। भारतीय किस्मों में स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम, और खीरा 75 जैसी किस्में प्रमुख हैं। ये किस्में भारतीय जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त हैं और अच्छी पैदावार देती हैं।
नवीनतम किस्मों में पीसीयूएच-1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा, और स्वर्ण शीतल शामिल हैं। ये किस्में अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। अगर किसान इन बीजों का उपयोग करें, तो प्रति एकड़ 200 से 250 क्विंटल तक का उत्पादन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
संकर किस्मों में पंत संकर खीरा-1, प्रिया, हाइब्रिड-1, और हाइब्रिड-2 प्रमुख हैं। ये किस्में अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उत्पादन के लिए जानी जाती हैं।
विदेशी किस्मों में जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट-8, और पोइनसेट शामिल हैं। ये किस्में विदेशी बाजारों में अधिक मांग वाली हैं और उच्च गुणवत्ता वाले खीरे का उत्पादन करती हैं।
बीज की मात्रा और उपचार
एक एकड़ खेत के लिए 1.0 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती है। बीजों को बुवाई से पहले कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक उपचार करना जरूरी है। दो ग्राम कप्तान के साथ बीजों का उपचार करने से फसल का जीवनकाल बढ़ता है।
खाद और सिंचाई प्रबंधन
खेती की तैयारी के 15-20 दिन पहले 20-25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद मिलाएँ। अंतिम जुताई के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस, और 50 किलोग्राम पोटाश मिलाएँ। बुवाई के 40-45 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में 30 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से दें।
गर्मी के मौसम में हर सप्ताह हल्की सिंचाई करें। वर्षा ऋतु में सिंचाई वर्षा पर निर्भर करती है, लेकिन अगर वर्षा न हो, तो सिंचाई जरूर करें।
निराई-गुड़ाई और देखभाल
खेत में खुरपी या होक के द्वारा खरपतवार निकालते रहें। ग्रीष्मकालीन फसल में 15-20 दिन के अंतर पर 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें। वर्षाकालीन फसल में 15-20 दिन के अंतर पर 4-5 बार निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है। वर्षाकालीन फसल के लिए जड़ों में मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
खीरे के पोषक तत्व और फायदे
खीरे का वानस्पतिक नाम कुकुमिस सैटाइवस है। इसमें 96 प्रतिशत पानी होता है, जो गर्मी के मौसम में शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। खीरा मोलिब्डेनम और विटामिन का अच्छा स्रोत है। इसका उपयोग त्वचा, किडनी और दिल की समस्याओं के इलाज में किया जाता है।
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