Peanut Cultivation: मार्च का महीना शुरू होने वाला है और इस दौरान किसान जायद फसलों की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं। मूंगफली की खेती इस समय बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है क्योंकि इसके दाने और तेल दोनों की बाजार में अच्छी मांग रहती है।
मूंगफली के फायदे
मूंगफली को “भारतीय काजू” कहा जाता है। यह वानस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है। इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस से 1.3 गुना और अंडों से 2.5 गुना ज्यादा होती है। इसके बीज में 45% तेल और 26% प्रोटीन पाया जाता है, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। सर्दियों में लोग इसे भूनकर खाते हैं, तो व्रत में भी इसका इस्तेमाल होता है।
तीनों सीजन में हो सकती है खेती
भारत में मूंगफली का लगभग 75 से 85 प्रतिशत हिस्सा तेल के रूप में उपयोग किया जाता है। यह उष्णकटिबंधीय फसल है, जिसकी खेती रबी, खरीफ और जायद तीनों मौसमों में की जा सकती है। यह मुख्य रूप से गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में अधिक उगाई जाती है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में भी इसकी खेती होती है।
मूंगफली की खेती के लिए दोमट, बलुई दोमट या हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। हल्की अम्लीय मिट्टी, जिसका पीएच मान 6.0 से 6.5 हो, इसके लिए अच्छी मानी जाती है। भारी दोमट मिट्टी में इसकी खेती न करें। 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 500 से 1000 मिलीमीटर वर्षा इसकी अच्छी पैदावार के लिए आदर्श माने जाते हैं।
खेत तैयार करने की विधि
मूंगफली की बुवाई से पहले खेत की दो से तीन बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें और पाटा लगाकर समतल कर लें। कम समय में पकने वाली गुच्छेदार किस्मों का चयन करें, जैसे डीएच 86, आर-9251 और आर 8808। बीज का चयन हमेशा रोग-मुक्त फसल से करें। ग्रीष्मकालीन मूंगफली के लिए 95-100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।
15 मार्च तक करें बुवाई
जायद मूंगफली की बुवाई 5 से 15 मार्च के बीच करनी चाहिए। देर से बुवाई करने पर बारिश शुरू होने की स्थिति में खुदाई के बाद फलियों के सूखने की समस्या हो सकती है। बुवाई से पहले बीजों का उपचार जरूरी होता है, ताकि फसल में कीट और बीमारियों का असर कम हो। बीज को बोने से पहले थायरम 2 ग्राम और कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। इसके बाद एक पैकेट राइजोबियम कल्चर को 10 किलो बीज में मिलाकर उपचार करें।
खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए पलेवा देकर बुवाई करें। यदि खेत में नमी की कमी होगी तो मूंगफली का जमाव सही नहीं होगा। बुवाई 25-30 सेमी की दूरी पर हल से बनाए गए कूंडों में 8-10 सेमी की दूरी पर करें और इसके बाद खेत में पाटा लगा दें।
खेती के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
मूंगफली की विभिन्न किस्मों और मौसम के अनुसार पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखना जरूरी है। झुमका किस्मों में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें। फैलने वाली किस्मों में यह दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर और 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। रबी और जायद मौसम में खरीफ की तुलना में अधिक पौधे प्रति इकाई क्षेत्र में रखें। मूंगफली की बुवाई सीड ड्रिल से करने पर कतारों और बीजों के बीच उचित दूरी बनाए रखना आसान होता है, जिससे अच्छी उपज मिलती है। यदि संभव हो तो मूंगफली की बुवाई मेंड़ों पर करें। बीजों की बुवाई 4 से 6 सेंटीमीटर गहराई में करने से अंकुरण अच्छा होता है।
खाद और उर्वरकों का सही उपयोग
मूंगफली की खेती में 45 किलो यूरिया, 150 किलो सिंगल सुपर फास्फेट और 60 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर उपयोग करें। नत्रजन की अधिक मात्रा का उपयोग न करें, क्योंकि इससे फसल पकने में अधिक समय ले सकती है। सही तकनीक अपनाकर मूंगफली की खेती करने से किसान अच्छा उत्पादन और मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
मार्च में मूंगफली की बुवाई करके किसान भाई कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। सही बीज चुनाव, खेत तैयारी और उर्वरक प्रबंधन से पैदावार बढ़ाई जा सकती है। यह फसल न सिर्फ आय का स्रोत है, बल्कि पोषण का भी खजाना है।
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