Weed Management: हमारे खेतों में मोथा खरपतवार (साइपेरस रोटंडस) बरसों से किसानों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। ये ऐसा खरपतवार है जो मक्का, गन्ना और गेहूँ जैसी फसलों को नुकसान पहुँचाता है। इससे न सिर्फ उपज कम होती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। लेकिन अब धानुका एग्रीटेक की दवा सेंपरा इस मुसीबत का सटीक इलाज बनकर आई है।
जापानी तकनीक से बनी ये हर्बीसाइड दवा 2015 से किसानों की मदद कर रही है। धानुका एग्रीटेक और निस्सान केमिकल जापान ने मिलकर इसे बनाया, और पिछले 10 सालों में इसने खेती को आसान और फायदेमंद बना दिया है।
सेंपरा कैसे खत्म करता है मोथा?
सेंपरा एक खास तरह की दवा है, जो खरपतवार को जड़ से खत्म करती है। ये सिस्टेमिक और सलेक्टिव हर्बीसाइड है, यानी ये सिर्फ मोथा खरपतवार को निशाना बनाती है और हमारी फसल को नुकसान नहीं पहुँचाती। ये दवा खेत में एमिनो एसिड बनने से रोकती है, जिससे मोथा को बढ़ने के लिए पोषण नहीं मिलता। इस्तेमाल के 24 घंटे के अंदर ही इसका असर शुरू हो जाता है। कुछ दिनों में मोथा सूखने लगता है और खेत साफ हो जाता है। सबसे अच्छी बात ये कि सेंपरा मिट्टी में लंबे समय तक असर बनाए रखती है, जिससे नया मोथा उगने से रुक जाता है। इससे किसानों को बार-बार मेहनत नहीं करनी पड़ती।
कम खुराक, बड़ा कमाल
सेंपरा की खासियत ये है कि इसे बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल करना पड़ता है। सिर्फ 36 ग्राम प्रति एकड़ से ये मोथा खरपतवार को खत्म कर देती है। ये गन्ने और मक्के की फसल के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। गाँव के किसान भाइयों को बार-बार मजदूरी करवाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे उनकी जेब पर बोझ कम होता है।
कई बड़े कृषि संस्थानों जैसे वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट, तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने इसकी जाँच की है और इसे भरोसेमंद बताया है। ये दवा न सिर्फ भारत में, बल्कि जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी इस्तेमाल होती है।
किसानों की मेहनत को सम्मान देता सेंपरा
धानुका एग्रीटेक के जनरल मैनेजर अतुल कुमार जी कहते हैं, “सेंपरा के 10 साल पूरे होने पर हमें गर्व है। हमारा मकसद किसानों की मुश्किलें कम करना और उनकी कमाई बढ़ाना है।” सीनियर डिप्टी जनरल मैनेजर आरके धुरिया जी का कहना है कि सेंपरा ने किसानों का भरोसा जीता है। ये दवा खेती की जरूरतों को समझते हुए बनाई गई है, जो फसल की पैदावार बढ़ाकर किसानों को फायदा पहुँचाती है। गाँव में लोग कहते हैं कि सही समय पर सही दवा इस्तेमाल करो, तो खेत सोना उगलता है। सेंपरा ऐसा ही एक साथी है, जो मेहनत को फल देता है।
मोथा से लड़ाई का आसान हल
मैंने गाँवों में देखा है कि मोथा खरपतवार को हाथ से उखाड़ना कितना मुश्किल होता है। बार-बार मेहनत के बाद भी वो फिर उग आता है। लेकिन सेंपरा के इस्तेमाल से ये परेशानी खत्म हो जाती है। इसे लगाने के बाद खेत साफ रहता है, और फसल को बढ़ने का पूरा मौका मिलता है। मक्का और गन्ने के खेत में इसे आजमाने वाले किसान बताते हैं कि उनकी फसल पहले से ज्यादा अच्छी हुई है। साथ ही, मजदूरी का खर्चा बचने से जेब में पैसा भी रहता है। ये छोटा-सा कदम बड़ा बदलाव लाता है।
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