Litchi Farming Tips: लीची का नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाता है, लेकिन इसकी खेती उतनी ही मेहनत माँगती है। फूलों से लेकर फलों तक, हर कदम पर पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। जिंक ऐसा पोषक तत्व है, जो लीची के लिए जान है। अगर जिंक की कमी हुई, तो फूल कम आएँगे और फल भी ठीक से नहीं बढ़ेंगे। किसान भाइयों को सलाह है कि जिन बागों में जिंक की कमी के निशान दिखें – जैसे पत्तियाँ पीली पड़ना या फल छोटे रहना – वहाँ हर पेड़ को 50-100 ग्राम जिंक सल्फेट दें। ये छोटा कदम आपकी फसल को बचा सकता है और मुनाफा बढ़ा सकता है।
पत्ती झुलसा रोग से सावधान
लीची के मौसम में रोग और कीटों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें से एक बड़ी मुसीबत है पत्ती झुलसा रोग। इस रोग में पत्तियाँ और नई कोपलें झुलसने लगती हैं। शुरू में पत्तों पर छोटे-छोटे धब्बे दिखते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़कर पूरी पत्ती को सुखा देते हैं। अगर ये गंभीर हो जाए, तो टहनियों का ऊपरी हिस्सा भी झुलसा हुआ नजर आता है। ये देखते ही किसानों को फौरन हरकत में आना चाहिए। मैंकोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें। अगर रोग बढ़ जाए, तो कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी और क्लोरोथैलोनिल का 2 ग्राम प्रति लीटर घोल छिड़कें। ये आपकी फसल को नई जिंदगी देगा।
फल विगलन रोग का इलाज
लीची का दूसरा बड़ा दुश्मन है फल विगलन रोग। ये फल पकने के वक्त हमला करता है। इससे फल का छिलका नरम पड़ जाता है और सड़ने लगता है। इसकी रोकथाम के लिए फल तोड़ने से 15-20 दिन पहले कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यूपी का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल छिड़कें। फल तोड़ने के बाद तुरंत पूर्वशीतलन (40 डिग्री तापमान, 85-90% नमी) करें। पैकिंग के दौरान 10-15% कार्बन डाइऑक्साइड गैस वाला माहौल बनाएँ। ये तरीका फलों को सड़ने से बचाएगा और बाजार तक ताजा पहुँचाएगा। गाँव में कहते हैं, सही समय पर सही कदम उठाओ, तो मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।
लीची मकड़ी से बचाव
लीची मकड़ी भी कम परेशान नहीं करती। इसके शिशु और वयस्क कोमल पत्तियों और टहनियों का रस चूसते हैं, जिससे टहनियाँ सूखने लगती हैं। इसे रोकने के लिए प्रभावित टहनियों को काटकर जला दें। सितंबर-अक्टूबर में प्रोपरगाइट 57 ई.सी. या डाइकोफॉल 18.5 ई.सी. का 3 मिली प्रति लीटर पानी का घोल छिड़कें। जरूरत पड़े तो फरवरी में भी एक छिड़काव कर लें। ये छोटी मकड़ी आपकी फसल को बर्बाद करने से पहले ही खत्म हो जाएगी। सही देखभाल से लीची का बाग लहलहाएगा।
मेहनत का फल मीठा
कई लीची किसानों से बात करके पता चला कि जिंक और सही दवाओं का इस्तेमाल फसल को नई ताकत देता है। एक किसान ने बताया कि जिंक सल्फेट डालने से उसके फल बड़े और रसीले हुए। पत्ती झुलसा रोग से बचने के लिए छिड़काव करने वाले भाइयों ने कहा कि उनकी टहनियाँ हरी-भरी रहीं। फल विगलन से बचाने के लिए पहले से तैयारी बहुत जरूरी है। ये छोटे-छोटे नुस्खे लीची को बाजार का सितारा बना सकते हैं।
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