Farming Benefits of Jeevamrit: गाँवों में खेती को सस्ता और फायदेमंद बनाने के लिए जैविक तरीकों की ओर रुख बढ़ रहा है। रासायनिक खादों का बेतहाशा इस्तेमाल मिट्टी की ताकत छीन रहा है और फसलों की गुणवत्ता भी घटा रहा है। ऐसे में जीवामृत जैविक खेती का एक सस्ता और आसान उपाय बनकर सामने आया है। इसे घर पर ही बना सकते हैं और ये फसलों की बढ़त को तेज करता है, साथ ही मिट्टी को सेहतमंद रखता है। देशभर के लाखों किसान इसे अपनाकर फायदा उठा रहे हैं। गर्मी में 7 दिन और सर्दी में 8-15 दिन तक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए, इसके फायदों को समझते हैं।
जीवामृत से फसल और मिट्टी को फायदा
जीवामृत फसलों और मिट्टी के लिए गजब का काम करता है। इसे बनाने के लिए एक एकड़ खेत के हिसाब से 10 किलो गोबर, 8-10 लीटर गोमूत्र, 1-2 किलो गुड़, 1-2 किलो बेसन, 180 लीटर पानी और 1 किलो पेड़ के नीचे की मिट्टी चाहिए। सबको एक प्लास्टिक ड्रम में डालें, लकड़ी के डंडे से अच्छे से घोलें और छाया में 2-3 दिन तक रखें। सुबह-शाम 2 मिनट तक घड़ी की दिशा में हिलाएँ। बोरे से ढक दें, ताकि अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें निकल सकें। ये मिश्रण मिट्टी में सूक्ष्म जीवों को बढ़ाता है, जो फसलों को ताकत देते हैं।
बनाने और इस्तेमाल का आसान तरीका
जीवामृत बनाना बिल्कुल आसान है। सारी सामग्री घर में ही मिल जाती है। ड्रम में घोल तैयार करने के बाद इसे 2-3 दिन सड़ने दें। गर्मी में 7 दिन और सर्दी में 8-15 दिन तक इस्तेमाल करें। इसके बाद बचा हुआ जीवामृत खेत की मिट्टी में डाल दें। इसे पानी के साथ मिलाकर जड़ों में डालें या स्प्रे करें। ये तरीका फसलों को पोषण देता है और रासायनिक खादों की जरूरत खत्म करता है। ये विधि खेत को हरा-भरा रखने में बड़ी मदद करती है।
पैदावार बढ़े, मिट्टी सुधरे
जीवामृत से फसलों की बढ़त तेज होती है और पैदावार 10-15% तक बढ़ सकती है। ये मिट्टी में नमी बनाए रखता है, खरपतवार कम करता है और सूक्ष्म जीवों को पनपने में मदद करता है। रासायनिक खादों से मिट्टी सख्त और बंजर होती जा रही है, लेकिन जीवामृत उसे फिर से जिंदा करता है। फसल की गुणवत्ता भी बढ़ती है, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाती है। ये जैविक तरीका किसानों की जेब और सेहत दोनों की रक्षा करता है।
क्यों जरूरी है जीवामृत
रासायनिक उर्वरकों से न सिर्फ मिट्टी की ताकत कम हो रही है, बल्कि फसलों के जरिए हमारी सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। जीवामृत इसे बदलने का एक क्रांतिकारी उपाय है। ये सस्ता है, आसानी से बन जाता है और खेती को टिकाऊ बनाता है। गाँव में लोग कहते हैं कि पुराने तरीके ही अब नए जमाने का हल हैं। इसे अपनाकर न सिर्फ खर्च कम होगा, बल्कि मिट्टी की उम्र बढ़ेगी और फसल का स्वाद भी देसी रहेगा। बसंत में बुवाई शुरू करें और जीवामृत का इस्तेमाल करें, फायदा खुद दिखेगा।
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