Nano Urea Fertilizer Tips: वसंत और पतझड़ के मौसम में तेज हवाएँ कई पौधों को गिरा देती हैं, जिससे गाँव के किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसे में नैनो यूरिया प्लस एक शानदार उपाय है। इसमें नाइट्रोजन के साथ-साथ सल्फर, मैग्नीशियम, बोरोन, मैंगनीज और अमीनो एसिड भी होते हैं, जो इसे आम यूरिया से कहीं बेहतर बनाते हैं। आम डीएपी का 20% और यूरिया का 30% ही पौधों को मिल पाता है, बाकी बर्बाद हो जाता है। मगर नैनो यूरिया और नैनो डीएपी 95% तक असरदार हैं।
ये पौधों की जड़ों को गहरा करते हैं, जिससे तेज हवा-बारिश में भी फसल नहीं गिरती और दाना मोटा होने से पैदावार बढ़ती है। आइए, इसके इस्तेमाल को समझें।
नैनो यूरिया का फायदा
नैनो यूरिया प्लस पौधों को पूरा पोषण देता है। आम यूरिया का 70-80% हवा में उड़ जाता है या मिट्टी को नुकसान पहुँचाता है, मगर नैनो यूरिया की पत्तियाँ इसे पूरा सोख लेती हैं। इससे जड़ें गहरी होती हैं, तना मजबूत बनता है और तेज हवाओं में पौधे गिरते नहीं। फसल का दाना मोटा और भारी होता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है। लागत भी आधी रहती है, क्योंकि आधा लीटर नैनो यूरिया एक एकड़ के लिए काफी है। ये आम यूरिया से सस्ता भी पड़ता है।
बुवाई से पहले बीज का उपचार
मक्का, गेहूँ या दूसरी फसलों की बुवाई से पहले बीज को नैनो डीएपी से तैयार करें। गेहूँ के लिए 1 किलो बीज में 5 मिली नैनो डीएपी मिलाएँ। आलू के लिए 75 मिली नैनो डीएपी को 15 लीटर पानी में घोलकर बीजों को उपचारित करें। इससे बीज मजबूत होते हैं और शुरू से ही पौधों की बढ़त अच्छी रहती है। बुवाई के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का छिड़काव करें। 1 लीटर पानी में 4 मिली दोनों को मिलाकर पत्तियों पर डालें।
फूल और दाने के लिए छिड़काव
जब फसल में बालियाँ या फूल आने लगें, तो नैनो यूरिया प्लस का छिड़काव जरूर करें। 4 मिली नैनो यूरिया को 1 लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों पर स्प्रे करें। ये फूलों को झड़ने से बचाता है और दाने को भारी बनाता है। साफ मौसम में सुबह या शाम को छिड़काव करें, ताकि दवा अच्छे से काम करे। ये तरीका फसल को पूरा पोषण देता है और उत्पादन बढ़ाता है।
खेती की तैयारी और इस्तेमाल
मक्के या दूसरी फसलों के लिए खेत को पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जोतें। फिर गोबर की खाद 5 टन प्रति एकड़ डालें। बुवाई के बाद 72 घंटे के अंदर नैनो डीएपी का छिड़काव करें। 30-35 दिन बाद नैनो यूरिया डालें। एक एकड़ के लिए आधा लीटर नैनो यूरिया और डीएपी काफी है। ये मिट्टी को नुकसान नहीं पहुँचाता और फसल को पूरा फायदा देता है।
बंपर पैदावार और कम लागत
नैनो यूरिया और डीएपी से लागत आधी रहती है और पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है। मक्के में 50-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और गेहूँ में 40-50 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। बाजार में भाव 20-25 रुपये प्रति किलो रहता है, जिससे एक एकड़ से 40-50 हजार रुपये की कमाई हो सकती है। ये तरीका फसलों को मजबूत करता है और किसानों की जेब को भी।
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