तिल की इस उन्नत किस्म की करें बुवाई, कम समय में होगी शानदार पैदावार

Sesame Farming Tips: किसान भाइयों, बिहार के जहानाबाद में तिल की खेती पर खास जोर दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को बीज दिए गए हैं और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की सलाह भी दी गई है। गरमा सीजन में तिल की खेती बंपर कमाई का मौका देती है। देश में खरीफ, रबी और गरमा, हर मौसम में अलग-अलग फसलें उगाई जाती हैं।

अभी गरमा फसल का समय चल रहा है, जिसमें दलहन और तिलहन की खेती होती है। तिलहन में तिल की खेती सबसे आगे है। बिहार के कई जिलों में ये फसल उगाई जा रही है और अब जहानाबाद में भी इसे बढ़ाने की कोशिश हो रही है। चलिए, तिल की खेती के बारे में सबकुछ जानते हैं।

तिल की खेती का फायदा

जहानाबाद के कृषि विज्ञान केंद्र के फसल एक्सपर्ट डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि अच्छी सेहत के लिए हर दिन 20 ग्राम शुद्ध तेल खाना चाहिए। हमारे देश में खाद्य तेल पर खर्च होने वाला पैसा विदेश जा रहा है। इसे रोकने के लिए सरकार गरमा मौसम में तिल की खेती को बढ़ावा दे रही है। तिल का ठंड में खूब इस्तेमाल होता है, खासकर 14-15 जनवरी को। इसकी माँग हमेशा रहती है। कम लागत में उगने वाली ये फसल किसानों की जेब भर सकती है और देश को आत्मनिर्भर बना सकती है।

तिल की बुआई का सही तरीका

एक्सपर्ट के मुताबिक, जहानाबाद में तिल की खेती को बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र गंधार ने प्रगतिशील किसानों को तिल की दो बढ़िया प्रजातियाँ कृष्णा तिल और सबौर तिल के बीज बांटे हैं। बुआई से पहले किसानों को वैज्ञानिक तरीके सिखाए गए हैं। ये केंद्रक बीज हैं, जो सबसे अच्छी क्वालिटी के होते हैं। खेत की जुताई अच्छे से करें। 2-3 इंच गहराई पर बीज बोएँ और पौधों में 10-12 इंच की दूरी रखें। गोबर की खाद डालें और हल्का पानी दें। सही देखभाल से पैदावार बढ़ेगी।

तिल की बुआई का सबसे अच्छा समय

फसल एक्सपर्ट का कहना है कि तिल की बुआई के लिए 15 से 20 मार्च का समय सबसे सही है। मोदनगंज प्रखंड के कुछ गाँवों में किसानों को बीज बांटे गए हैं और सही समय की जानकारी दी गई है। प्रति एकड़ 2-3 किलो बीज काफी है। ज्यादा बीज डालने से नुकसान होता है बीज बर्बाद होता है और मिट्टी की ताकत भी कम होती है। गरमा फसल होने की वजह से 10 से 20 मार्च तक बुआई करें। अप्रैल में बोने से पैदावार घट सकती है।

तिल की बढ़िया प्रजातियाँ

तिल की दो प्रजातियाँ कृष्णा तिल और सबौर तिल उत्पादन में सबसे अच्छी हैं। कृष्णा तिल जल्दी तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 8-10 क्विंटल तक देती है। सबौर तिल रोगों से लड़ने में माहिर है और गरमी में अच्छी पैदावार देती है। ये दोनों किस्में बाजार में अच्छी कीमत लाती हैं। इनके बीज मजबूत होते हैं और कम पानी में भी बढ़िया फसल देती हैं।

किसानों के लिए सलाह

किसान भाइयों, तिल की खेती आपके लिए फायदे का सौदा है। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और कृष्णा तिल या सबौर तिल के बीज लें। 15-20 मार्च तक बुआई करें। खेत में पानी की निकासी का ध्यान रखें और जैविक खाद डालें। ये फसल कम मेहनत में तैयार होती है और बाजार में अच्छा दाम देती है। अभी से तैयारी शुरू करें ताकि गरमा सीजन में आपकी जेब भरे।

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  • Shashikant

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