आंध्र प्रदेश के लाल मिर्च किसानों के लिए इस साल शुरुआत में मुश्किल वक्त आया था, जब मिर्च की कीमतें पिछले सीजन के 28,000 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 7,000 रुपये से भी नीचे चली गई थीं। लेकिन अब राज्य सरकार ने केंद्र की मदद से 25 फरवरी से शुरू की गई बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) का जादू दिखना शुरू हो गया है। इस योजना से मिर्च के दाम फिर से बढ़ने लगे हैं और किसानों की उम्मीदें जाग उठी हैं। खासकर रायलसीमा, गुंटूर और पालनाडु जैसे इलाकों में, जहाँ मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर होती है, वहाँ के किसानों को अब राहत मिल रही है। आइए जानते हैं कि कैसे MIS ने मिर्च किसानों की तकदीर बदली।
कीमतों में भारी गिरावट से शुरू हुआ संकट
इस साल की शुरुआत में लाल मिर्च की कीमतों में तेज गिरावट ने किसानों की नींद उड़ा दी थी। पिछले साल जहाँ मिर्च 28,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रही थी, वहीं इस बार 7,000 रुपये से भी कम पर आ गई। इससे किसानों को भारी नुकसान होने लगा, खासकर रायलसीमा, गुंटूर और पालनाडु के इलाकों में। इस हालत को देखते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने केंद्र से बाजार हस्तक्षेप योजना लागू करने की माँग की। 25 फरवरी को शुरू हुई इस योजना में मिर्च की खरीद के लिए 11,781 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत तय की गई, ताकि दाम स्थिर रहें और किसानों को घाटा न उठाना पड़े।
एक हफ्ते में ही दिखा असर
MIS लागू होते ही इसका असर बाज़ार में दिखने लगा। आँकड़ों के मुताबिक, सिर्फ एक हफ्ते में मिर्च की कीमतों में 15-20% की बढ़ोतरी हुई। खुले बाज़ार में दाम 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गए। कुछ व्यापारियों ने तो तेजा जैसी खास किस्मों के लिए 14,000 रुपये प्रति क्विंटल तक की बोली लगाई, जो MIS की तय कीमत से भी ज्यादा थी। व्यापारियों को उम्मीद है कि कीमतें आगे और बढ़ेंगी। मिसाल के तौर पर, 11 फरवरी को किस्म 334 और नंबर 5 की कीमत 11,500 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो MIS के बाद 12,500 और 13,000 रुपये तक पहुँच गई। वहीं, 341 किस्म 13,000 से बढ़कर 13,900 रुपये पर आ गई।
सरकार और किसानों की एकजुट कोशिश
इस योजना को लागू करने से पहले आंध्र सरकार ने किसानों, कृषि विशेषज्ञों और व्यापारियों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, किसानों ने बताया कि MIS की घोषणा से ही कीमतें स्थिर होने लगी थीं। चूँकि दाम बढ़ रहे थे, इसलिए सबने सरकार से कहा कि जब तक कीमतें और ऊपर जाकर स्थिर न हों, तब तक योजना को पूरी तरह लागू न किया जाए। उनका मानना था कि अगर अभी मूल्य स्थिरीकरण लागू हुआ, तो दाम 11,781 रुपये पर अटक सकते हैं और आगे बढ़ने से रुक सकते हैं। सरकार ने उनकी बात सुनी और योजना को लचीला रखा।
तेजा मिर्च की कीमत 14,000 तक पहुँची
एग्रीवॉच जैसे स्वतंत्र डेटा स्रोतों के मुताबिक, तेजा मिर्च की कीमत अब 14,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच गई है। सभी किस्मों के दाम में 500 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। इससे किसानों को न सिर्फ घाटे से राहत मिली, बल्कि थोड़ा मुनाफा भी होने लगा। सूत्रों का कहना है कि MIS का सही वक्त पर इस्तेमाल होने से बाज़ार में संतुलन बना और किसानों के नुकसान को कम किया जा सका। ये योजना दिखाती है कि सरकार का हस्तक्षेप किसानों के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है।
किसानों के लिए उम्मीद की किरण
MIS ने न सिर्फ मिर्च की कीमतों को स्थिर किया, बल्कि किसानों के चेहरों पर मुस्कान भी ला दी। ये योजना बाज़ार में उतार-चढ़ाव के दौरान किसानों को सहारा देने का शानदार उदाहरण है। अब कीमतें बढ़ रही हैं और किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिलने की उम्मीद जगी है। आने वाले दिनों में अगर ये रफ्तार बनी रही, तो आंध्र के मिर्च किसान फिर से आत्मनिर्भरता की राह पर चल पड़ेंगे।
ये भी पढ़ें- किसान प्याज की फसल में यूरिया के साथ डालें यह खाद, हफ्ते भर में कंद का साइज़ होगा डबल