किसान साथियों, मिर्ची मसालों का राजा है। मिर्ची की खेती को मचान पर करना एक नया और फायदेमंद तरीका है। इससे पौधे हवा में लटकते हैं, फल ज्यादा लगते हैं, और बीमारी का खतरा कम होता है। गाँव में छोटी जगह या बगीचे में इसे आसानी से उगा सकते हैं। मचान विधि के लिए सही बीज चुनना भी जरूरी है। भारत में मिर्ची 50-100 रुपये किलो तक बिकती है, तो ये कमाई का शानदार जरिया है। आइए जानते हैं कि मचान पर मिर्ची की खेती कैसे करें और कौन सा बीज उत्तम रहेगा।
मचान विधि का फायदा
मचान पर मिर्ची उगाने से पौधे जमीन से ऊपर रहते हैं। इससे फल साफ रहते हैं, पानी कम लगता है, और कीट कम परेशान करते हैं। मिर्ची की बेल 5-10 फीट तक फैल सकती है, और मचान पर हर पौधे से 2-5 किलो फल मिल सकते हैं। ये तरीका खासकर बारिश में बढ़िया है, क्यूंकि जलभराव से जड़ें नहीं सड़तीं। गाँव में इसे बाँस और रस्सी से सस्ते में शुरू कर सकते हैं। मचान से जगह का पूरा इस्तेमाल होता है और फसल दोगुनी हो सकती है।
मचान बनाने का देसी तरीका
मचान के लिए बाँस, लकड़ी, या लोहे की छड़ें लें। 6-8 फीट ऊँचा ढांचा बनाएँ। हर 3-4 फीट पर बाँस की छड़ें गाड़ें और ऊपर जाल या तार बाँध दें। चौकोर या आयताकार मचान बनाएँ, जो 10×10 फीट से शुरू हो सकता है। तार या रस्सी से जाल बनाएँ, ताकि मिर्ची की बेल चढ़ सके। मचान मजबूत हो, क्यूंकि फल लगने पर वजन बढ़ता है। इसे धूप वाली जगह पर लगाएँ। 100-200 रुपये में छोटा मचान तैयार हो जाएगा। गाँव में बाँस मुफ्त मिल जाए, तो और सस्ता।
बुवाई और उत्तम बीज का चयन
मिर्ची की बुवाई के लिए नर्सरी फरवरी-मार्च (गर्मी) या जून-जुलाई (बारिश) में बनाएँ। मचान के लिए लंबी बेल वाली हाइब्रिड किस्में चुनें। ‘अर्का रक्षिता’, ‘पुसा ज्वाला’, ‘NS-1701’, और ‘हायब्रिड तेजस’ उत्तम हैं। ‘अर्का रक्षिता’ तेज मिर्ची देती है और बीमारी कम लगती है। ‘NS-1701’ से बड़ी मिर्ची और ज्यादा उपज मिलती है। प्रति हेक्टेयर 200-300 ग्राम बीज चाहिए। नर्सरी में दोमट मिट्टी और खाद मिलाकर बीज 1 सेमी गहरा बोएं। 25-30 दिन में पौधे तैयार हों, तो मचान के पास 2-3 फीट की दूरी पर रोपें।
बीज कहाँ से लें
‘अर्का रक्षिता’ और ‘पुसा ज्वाला’ जैसे बीज कृषि विश्वविद्यालयों, सरकारी नर्सरी, या बीज भंडार से 500-1000 रुपये प्रति किलो मिलते हैं। ‘NS-1701’ और ‘हायब्रिड तेजस’ ऑनलाइन इंडिया मार्ट या निजी कंपनियों (ननहेम्स, सिनजेंटा) से 1000-1500 रुपये किलो में उपलब्ध हैं। गाँव की दुकानों से भी सस्ते बीज मिल सकते हैं। बीज लेते वक्त पैकेट चेक करें कि वो ताजा और प्रमाणित हों। छोटे पैमाने पर शुरू करने के लिए 50-100 ग्राम से शुरुआत करें।
खेत और मचान की तैयारी
मचान के नीचे खेत को हल से जोतें। प्रति हेक्टेयर 5-7 टन गोबर की खाद डालें। मिट्टी का pH 6-7 रखें। रोपाई से पहले 50 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फॉस्फोरस, और 25 किलो पोटाश डालें। पौधों को मचान के पास गड्ढों में लगाएँ और जड़ों पर मिट्टी चढ़ाएँ। तार से बेल को ऊपर चढ़ाने में मदद करें। हफ्ते में 1-2 बार हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम हो तो पानी और खाद दोनों बचेंगे। बारिश में पानी कम दें।
देखभाल और कीटों से बचाव
मिर्ची में फल मक्खी और झुलसा रोग लग सकता है। नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या मैलाथियान (2 मिली प्रति लीटर) छिड़कें। फफूंद से बचने के लिए रिडोमिल (2 ग्राम प्रति लीटर) इस्तेमाल करें। बेल को मचान पर फैलाएँ, ताकि हवा लगे। सूखी पत्तियाँ काटें। 30-40 दिन बाद 20 किलो नाइट्रोजन और डालें। खरपतवार को गुड़ाई से हटाएँ। गर्मी में छाया का इंतजाम करें, वरना फल झुलस सकते हैं।
कटाई और मुनाफा
मिर्ची 60-90 दिन में फल देती है। जब मिर्च हरी या लाल हो जाए, तो सुबह तोड़ें। मचान से प्रति पौधे 2-5 किलो मिल सकता है। 10×10 फीट मचान से 50-100 किलो उपज हो सकती है। लागत 5,000-7,000 रुपये (मचान, बीज, खाद) आती है। बाज़ार में 50-100 रुपये किलो बिकती है, यानी 5,000-10,000 रुपये की कमाई। बड़े खेत में प्रति हेक्टेयर 100-150 टन तक मिल सकता है, जो लाखों में फायदा देगा।
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