खरीद रहे हैं गाय या भैंस, तो इन 5 गलतियों से बचें, नहीं तो उठाना पड़ेगा भारी नुकसान

Pashupalan Tips : पशुपालन आजकल तेजी से बढ़ रहा है और कई लोग इससे लाखों रुपये कमा रहे हैं। दूध, मांस और खाद से मुनाफा कमाने का ये धंधा तब और फायदेमंद हो जाता है, जब सही नस्ल और सेहतमंद पशु चुनें। लेकिन नया पशु खरीदते वक्त अगर सतर्कता नहीं बरती, तो नुकसान भी हो सकता है। पशु की सेहत, नस्ल, दूध देने की क्षमता और बीमारियों की जाँच सही तरीके से कर लीजिए, तो भविष्य में दिक्कतें नहीं आएँगी। अच्छी नस्ल का पशु दूध उत्पादन बढ़ाता है और आपकी मेहनत का पूरा फल देता है। चलिए, आपको बताते हैं कि नया पशु खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान रखना है, ताकि आपका पशुपालन मालामाल बन जाए।

स्वस्थ पशु का चुनाव है सबसे जरूरी

नया पशु खरीदते वक्त सबसे पहले उसकी सेहत पर नजर डालिए। पशु तंदुरुस्त होना चाहिए, उसकी आँखें साफ और चमकदार हों, नाक से पानी न बह रहा हो, और साँस लेने में कोई दिक्कत न हो। उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होनी चाहिए, ताकि बीमारियाँ कम लगें और दूध उत्पादन पर असर न पड़े। पशु की शारीरिक बनावट देखिए पैर मज़बूत हों, पीठ सीधी हो और शरीर भरा-भरा लगे। त्वचा चिकनी और बिना घाव या दाग के होनी चाहिए। ICAR की सलाह है कि पशु को चलते हुए देखें अगर वो लंगड़ाता है या सुस्त है, तो उसे मत लीजिए। सेहतमंद पशु ही लंबे वक्त तक फायदा देगा।

थन की जाँच से समझें दूध की ताकत

डेयरी के लिए पशु खरीद रहे हैं, तो थन की जाँच बहुत जरूरी है। थन से दूध की क्षमता और पशु की सेहत का पता चलता है। थन न ज्यादा ढीला हो, न सख्त नलिकाएँ थोड़ी टेढ़ी और घुमावदार हों, तो दूध अच्छा निकलता है। पशु चिकित्सा अधिकारी राहुलभाई कहते हैं कि थन में गांठ, सूजन या दाग नहीं होने चाहिए। दूध निकालकर देखिए अगर रंग साफ और गंध सामान्य है, तो ठीक है। ICAR की गाइडलाइन भी कहती है कि थन की बनावट सही हो, तो पशु 15-25 लीटर तक दूध दे सकता है। थन की जाँच से गलत पशु लेने की गलती बच जाएगी।

चमकदार त्वचा और सही नस्ल चुनें

पशु की त्वचा चमकदार और चिकनी हो, तो समझिए कि उसकी सेहत ठीक है। गिरियाधर के पशु चिकित्सा अधिकारी राहुलभाई की सलाह है कि दूसरी या तीसरी ब्यांत (2-3 बार बच्चा दे चुके) पशु लीजिए। ऐसे पशु ज़्यादा दूध देते हैं और लंबे वक्त तक स्वस्थ रहते हैं। नस्ल भी देखिए गाय में जर्सी, साहिवाल, गिर या एचएफ, और भैंस में मुर्रा या जाफराबादी जैसी नस्लें बेस्ट हैं। ICAR की सलाह है कि अपने इलाके के मौसम और चारे के हिसाब से नस्ल चुनें। सही नस्ल से दूध 20-30% तक बढ़ सकता है।

बीमारियों की जाँच जरूरी

नया पशु खरीदने से पहले उसकी बीमारियों की जाँच करवाइए। जेडी (जॉन डिजीज) और ब्रुसेलोसिस जैसी बीमारियाँ तेजी से फैलती हैं और दूध उत्पादन को चौपट कर सकती हैं। इनके बारे में ज्यादातर पशुपालकों को पता ही नहीं होता। पशु चिकित्सक से खून की जाँच करवाइए ये टेस्ट 500-1000 रुपये में हो जाता है। अगर पशु में ये बीमारियाँ हों, तो न लें, वरना आगे की पीढ़ी भी प्रभावित होगी। खुरपका, गलघोंटू और टीबी की जाँच भी कर लीजिए। ICAR कहता है कि टीकाकरण का रिकॉर्ड देखें अगर पहले से टीके लगे हैं, तो और बेहतर।

खरीदते वक्त और टिप्स

पशु को खरीदने से पहले उसका दूध उत्पादन चेक करिए। पिछले मालिक से रिकॉर्ड माँगिए रोज़ कितना दूध देता है, कितने बच्चे दिए, और सेहत का हाल क्या रहा। पशु की उम्र 3-6 साल के बीच हो, तो सबसे अच्छा। बहुत बूढ़ा या बहुत छोटा मत लीजिए। बाजार में मोलभाव से पहले पशु को अच्छे से परख लीजिए। ICAR की सलाह है कि पशु मंडी में पशु चिकित्सक साथ ले जाएँ, ताकि कोई गलती न हो।

मुनाफे का हिसाब

मान लीजिए, आप जर्सी गाय खरीदते हैं, जो 20 लीटर दूध रोज़ देती है। 50 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से 1000 रुपये रोज़, यानी महीने में 30,000 रुपये। साल में 3-3.5 लाख कमाई। चारा और देखभाल का खर्च 1-1.5 लाख मानें, तो 2 लाख शुद्ध मुनाफा। सही पशु चुनेंगे, तो ये मुनाफा बढ़ेगा और नुकसान की टेंशन खत्म होगी।

2025 में पशुपालन का प्लान

भाइयों, 2025 में पशुपालन को मुनाफे का धंधा बनाइए। सही पशु चुनिए, सेहत और नस्ल परखिए, और बीमारियों से बचाइए। ICAR की सलाह से मेहनत का पूरा फल लीजिए। दूध बेचिए, बछिया पालिए, और गोबर से खाद बनाइए हर तरफ से कमाई होगी।

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  • Shashikant

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