कीजिये लड्डू जैसी छोटी मूली की ऑर्गेनिक खेती : उत्पादन होगा जबरदस्त, सुन्दर दिखने से 3-8 लाख तक कमाई

मेहनती किसान भाइयों, आपके खेतों से ही हर थाली में सेहत पहुँचती है। मूली तो हर घर की पसंदीदा सब्जी है, लेकिन आज हम बात करेंगे शलजम, लड्डू, और अंडे जैसी छोटी मूली की ऑर्गेनिक खेती की। ये छोटी मूली गोल, रसीली, और स्वाद में हल्की मीठी होती है, जो सलाद, अचार, और सब्जी में छा जाती है। बाजार में इसकी माँग बढ़ रही है, और ऑर्गेनिक तरीके से उगाने से सेहत के साथ कमाई भी बढ़ती है। आइए, गाँव में इसे देसी और शुद्ध तरीके से कैसे उगाएँ, ये समझते हैं।

छोटी मूली का परिचय

ये मूली आम लंबी मूली से अलग है। इसका आकार शलजम, लड्डू, या अंडे जैसा गोल होता है, और रंग सफेद, गुलाबी, या लाल हो सकता है। ‘पुसा चेतकी’, ‘जापानी व्हाइट’, और ‘राउंड रेड’ जैसी किस्में मशहूर हैं। ये ठंडी फसल है, जो 25-40 दिन में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर से 15-20 टन उपज मिलती है। बाजार में 20-40 रुपये किलो बिकती है। ऑर्गेनिक होने से दाम और बढ़ते हैं।

खेत तैयार करने का जुगाड़

छोटी मूली के लिए दोमट या बलुई मिट्टी बेस्ट है। खेत को हल से 2-3 बार जोतें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। नीम की खली (2-3 टन) मिलाएँ, जो मिट्टी को ताकत देती है और कीटों को भगाती है। मिट्टी का pH 6-7 रखें। सितंबर-अक्टूबर में खेत तैयार करें, ताकि ठंड शुरू होते ही बुवाई हो सके। क्यारियाँ बनाएँ, पानी जमा न हो।

बुवाई का सही तरीका

सितंबर से नवंबर ठंडी मूली के लिए सही समय है। प्रति हेक्टेयर 5-6 किलो बीज चाहिए। बीज को 12 घंटे पानी में भिगो दें। कतार से कतार 20-25 सेमी और पौधे से पौधे 10 सेमी की दूरी रखें। बीज को 1-2 सेमी गहरा बोएं। बैल से लाइन बनाकर या हाथ से क्यारियों में बोएं। बुवाई के बाद हल्का पानी दें। 5-7 दिन में अंकुर निकल आएँगे। ‘पुसा चेतकी’ गोल और रसीली होती है, इसे आजमाएँ।

बीज कहाँ से जुटाएँ

ऑर्गेनिक बीज गाँव की दुकानों, कृषि केंद्र, या नर्सरी से 100-200 रुपये किलो मिलते हैं। सरकारी बीज भंडार से सस्ते में लें। ऑनलाइन इंडिया मार्ट पर भी उपलब्ध हैं। बीज शुद्ध और कीटनाशक-मुक्त हो। छोटे खेत के लिए 1-2 किलो से शुरू करें।

ऑर्गेनिक खाद और पानी, देखभाल

केमिकल की जगह गोबर की खाद (10 टन प्रति हेक्टेयर) डालें। वर्मी कम्पोस्ट (2-3 टन) और राख (500 किलो) मिलाएँ। बुवाई के 15-20 दिन बाद गोबर का घोल (10 लीटर पानी में 2 किलो गोबर) डालें। हफ्ते में 1-2 बार हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम से पानी बचता है। ठंड में ओस हो, तो पानी कम करें। ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं।

खरपतवार को 15-20 दिन बाद गुड़ाई से हटाएँ। कीट जैसे माहू (एफिड्स) या सुंडी लगें, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। फफूंद से बचने के लिए गोमूत्र (10 लीटर पानी में 1 लीटर) का छिड़काव करें। पत्तियाँ पीली पड़ें, तो नीम की खली (500 ग्राम प्रति क्यारी) डालें। ऑर्गेनिक तरीके से फसल शुद्ध और मजबूत होगी।

कटाई और कमाई कितनी होगी

छोटी मूली 25-40 दिन में तैयार हो जाती है। जब जड़ें गोल, रसीली, और 3-5 सेमी की हों, तो सुबह खोद लें। प्रति हेक्टेयर 15-20 टन उपज मिलती है। लागत 15,000-20,000 रुपये (बीज, खाद, मजदूरी) आती है। बाजार में 20-40 रुपये किलो के हिसाब से 3-8 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन (10,000-20,000 रुपये) लें, तो दाम 50-60 रुपये किलो तक जा सकते हैं। गाँव में बेचें या शहर भेजें, फायदा पक्का।

कुछ सावधानियाँ

ऑर्गेनिक मूली मिट्टी को स्वस्थ रखती है और सेहत के लिए वरदान है। इसकी माँग सलाद और अचार में बढ़ रही है। मगर ज्यादा पानी और कीटों से बचाव जरूरी है। सही समय पर खोदें, वरना मूली सख्त हो सकती है। ठंड में इसे आजमाएँ, कमाई दोगुनी होगी।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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