आने वाले समय में, खेती के लिए पढ़ाई जरूरी, वरना बड़ी कंपनियाँ लीज पर ले लेंगी खेत

किसान भाइयों, आपके खेतों की मेहनत ही देश की थाली को रंग देती है। मगर अब खेती का ढंग बदल रहा है। आने वाले समय में जो एग्रीकल्चर की बारीकियाँ नहीं समझेगा, वो खेतों में फसल नहीं उगा पाएगा। लागत बढ़ रही है, मेहनत बेकार जा रही है, और लोग खेती छोड़ रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ आपके खेत लीज पर लेकर मशीनों से बंपर फसल निकालेंगी और मुनाफा ले जाएँगी। अगर अपनी जमीन बचानी है, तो आज से कृषि का ज्ञान बढ़ाना होगा। आइए, इस गंभीर बात को देसी अंदाज में समझें।

खेती का बदलता मिजाज

पहले खेती अनुभव से चलती थी। एक किसान अपने बाप-दादा के तरीकों से फसल उगा लेता था। मगर अब हालात बदल गए हैं। बीज, खाद, पानी, और मजदूरी की कीमतें बढ़ रही हैं। एक हेक्टेयर गेहूँ की खेती में 30,000-40,000 रुपये लगते हैं, और मुनाफा मुश्किल से 10,000-15,000 रुपये बचता है। मौसम की मार और बाजार के भाव अलग परेशान करते हैं। दूसरी तरफ, बड़ी कंपनियाँ नई तकनीक से 2-3 गुना उत्पादन कर रही हैं। छोटे किसान के लिए ये चुनौती बढ़ रही है।

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पंजाब-हरियाणा आगे, बाकी पीछे क्यों

पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी खेती से महँगी गाड़ियाँ खरीदते हैं। वहाँ एक हेक्टेयर से 50-60 क्विंटल गेहूँ निकलता है। वजह है नई मशीनें, हाइब्रिड बीज, और एग्रीकल्चर का ज्ञान। मगर बिहार, यूपी, या दूसरे राज्यों में ज्यादातर किसान बस पेट भरने के लिए फसल उगाते हैं। वहाँ 20-30 क्विंटल ही मुश्किल से होता है। पुराने तरीके, कम समझ, और तकनीक की कमी इन्हें पीछे रखती है। अगर ये फर्क न भरा गया, तो खेती हाथ से निकल जाएगी।

बड़ी कंपनियाँ तैयार, किसान सोए हुए

आने वाले 10-20 साल में खेती डिजिटल हो जाएगी। बड़ी कंपनियाँ ड्रोन से खाद छिड़केंगी, सेंसर से मिट्टी-पानी चेक करेंगी, और रोबोट से कटाई करेंगी। वो आपके खेत लीज पर लेंगी और बंपर फसल निकालकर मुनाफा कमाएँगी। आपको सिर्फ किराया मिलेगा, मेहनत उनकी होगी। पंजाब में पहले से कॉरपोरेट खेती शुरू हो चुकी है। छोटे किसान इसके आगे टिक नहीं पाएँगे, जब तक वो खुद न बदलें। ये खतरे की घंटी है।

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पढ़ाई ही रास्ता, मेहनत का फल

तो क्या करें? हर किसान को एग्रीकल्चर की पढ़ाई शुरू करनी होगी। ये मत सोचो कि किताबें सिर्फ पढ़े-लिखों के लिए हैं। गाँव में कृषि केंद्र, रेडियो, और मोबाइल से भी सीख सकते हैं। मिट्टी की जाँच करवाएँ, सही बीज चुनें, पानी बचाने के लिए ड्रिप सिस्टम लगाएँ। मिसाल के तौर पर, मिट्टी में नाइट्रोजन कम हो, तो दाल की फसल उगाकर मिट्टी को ताकत दें। ऑर्गेनिक खाद बनाएँ, लागत घटेगी। गाँव में ट्रेनिंग कैंप जाएँ, सरकारी योजनाओं का फायदा लें। अपने बच्चों को कृषि पढ़ने दें।

कमाई बढ़ाने का मौका

ज्ञान से कमाई बढ़ेगी। पंजाब का किसान एक हेक्टेयर से 2-3 लाख की फसल निकालता है, क्यूंकि वो बाजार और तकनीक को समझता है। बाकी जगह 50,000-1 लाख में अटक जाते हैं। ऑर्गेनिक खेती सीखें लागत कम होगी, दाम दोगुने मिलेंगे। छोटी मूली, मिर्च, या गोभी उगाएँ, जिनकी डिमांड बढ़ रही है। अगर आज सीख लिया, तो कल खेत आपके हाथ में रहेंगे। वरना बड़ी कंपनियाँ तैयार बैठी हैं आपकी मेहनत का फल वो ले जाएँगी।

अगर आज नहीं चेते, तो कल खेत लीज पर देना पड़ेगा। बड़ी कंपनियाँ आपके खेत से 50 टन फसल निकालेंगी, और आपको सिर्फ किराया मिलेगा। मेहनत उनकी, मुनाफा उनका, और आप खाली हाथ। इसलिए, किसान भाइयों, आज से एग्रीकल्चर की बारीकियाँ सीखें। मिट्टी, पानी, बीज, और मौसम को समझें। गाँव में भी ट्रेनिंग कैंप होते हैं, वहाँ जाएँ। मोबाइल पर कृषि ऐप डाउनलोड करें। ज्ञान ही आपकी ताकत बनेगा।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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