जरुर कराएं धान की रोपाई से पहले मिट्टी का परीक्षण, प्रति हेक्टेयर उत्पादन में होगा बम्पर इजाफा

किसान भाइयों, आपके खेतों की मेहनत ही हर थाली में चावल की खुशबू लाती है। धान की फसल गाँव की जान है, और खरीफ का सीजन अब नजदीक आ रहा है। मगर रोपाई से पहले एक जरूरी काम है, मिट्टी का परीक्षण। गाँव में लोग कहते हैं, “मिट्टी को समझो, फसल को संभालो।” बिना जाँच के धान बोना मतलब अंधेरे में तीर चलाना है। मिट्टी की सेहत ठीक न हो, तो मेहनत और पैसा दोनों बेकार जा सकते हैं। आइए,समझें कि धान की रोपाई से पहले मिट्टी की जाँच क्यों जरूरी है।

मिट्टी का परीक्षण : ये होता क्या है

मिट्टी का परीक्षण मतलब खेत की मिट्टी को जाँचना कि उसमें पोषक तत्व, नमी, और अम्लता (pH) का हाल क्या है। एक छोटा सैंपल लेकर नजदीकी कृषि केंद्र या लैब में भेजें। वहाँ से रिपोर्ट आएगी कि मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, और दूसरी चीजें कितनी हैं। गाँव में कई बार पुराने तरीकों से भी जाँचते हैं—मिट्टी को हाथ में मसलें, अगर चिपचिपी और भारी लगे, तो धान के लिए अच्छी है। मगर साइंटिफिक जाँच ज्यादा सटीक बताती है। ये जाँच 200-500 रुपये में हो जाती है, और खेत का पूरा हाल पता चलता है।

धान के लिए मिट्टी क्यों खास होनी चाहिए

धान को चिकनी, दोमट, या काली मिट्टी पसंद है, जहाँ पानी रुक सके। इसका pH 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। नाइट्रोजन धान की पत्तियों को हरा-भरा रखता है, फॉस्फोरस जड़ों को मजबूत करता है, और पोटाश दानों को भरता है। अगर मिट्टी में ये कम हों, तो फसल कमजोर होगी। बिना जाँच के खाद डालना फायदे की जगह नुकसान कर सकता है। जाँच से पता चलता है कि कितनी खाद चाहिए – ज्यादा डालने से पैसा बर्बाद होता है, और कम से फसल पीली पड़ती है।

जाँच न करने का नुकसान

अगर मिट्टी की जाँच न करें, तो कई मुसीबतें आ सकती हैं। मान लीजिए मिट्टी में नाइट्रोजन कम है, और आपने समझा कि फॉस्फोरस की कमी है, गलत खाद डालने से धान की बढ़त रुक जाएगी। ज्यादा अम्लता (pH 7 से ऊपर) हो, तो पोषक तत्व पौधों तक नहीं पहुँचते। पानी की कमी या ज्यादा नमक वाली मिट्टी भी धान को मार सकती है। पिछले साल कई किसानों ने बिना जाँच के रोपाई की, नतीजा, प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल ही मिला, जबकि जाँच के बाद 40-50 क्विंटल तक हो सकता है। बिना जाँच के मेहनत बेकार और लागत बेकाबू हो जाती है।

परीक्षण के बाद क्या करें

मिट्टी की रिपोर्ट आने के बाद सही कदम उठाएँ। अगर नाइट्रोजन कम है, तो गोबर की खाद (10-15 टन प्रति हेक्टेयर) या यूरिया (100-120 किलो) डालें। फॉस्फोरस की कमी हो, तो सिंगल सुपर फॉस्फेट (50-60 किलो) मिलाएँ। पोटाश कम हो, तो म्यूरेट ऑफ पोटाश (40-50 किलो) डालें। ऑर्गेनिक तरीके से नीम की खली (2 टन) या वर्मी कम्पोस्ट (1-2 टन) भी बढ़िया है। pH ठीक करने के लिए चूना (500 किलो प्रति हेक्टेयर) डालें। जाँच से पता चलता है कि कितना डालना है, न ज्यादा, न कम। गाँव में कहते हैं, “मिट्टी को दवा दो, धान को ताकत दो।” सही खाद से फसल लहलहाएगी।

कमाई का हिसाब और फायदा

मिट्टी की जाँच से धान की पैदावार बढ़ती है। बिना जाँच के 20-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलता है, लेकिन जाँच के बाद 40-50 क्विंटल तक हो सकता है। धान 25-35 रुपये किलो बिकता है, तो जाँच से 20,000-30,000 रुपये का फायदा बढ़ सकता है। लागत में जाँच के 200-500 रुपये और सही खाद का खर्च जोड़ें, फिर भी मुनाफा दोगुना होगा। मिट्टी स्वस्थ रहेगी, तो अगली फसलें भी अच्छी होंगी। जाँच न करने से नुकसान 10,000-15,000 रुपये तक हो सकता है। तो, थोड़ी मेहनत से बड़ी बचत और कमाई पक्की है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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