यूपी में गेहूं खरीद का नया रिकॉर्ड! अप्रैल में पार किया 1 लाख मीट्रिक टन का आंकड़ा, छुट्टी में भी खुले रहेंगे क्रय केंद्र

Wheat Procurement in UP : अन्नदाता की मेहनत को सलाम करने वाली युपी सरकार दिन-रात आपके हित में लगी है। इस बार तो कमाल ही हो गया! अप्रैल का पहला हफ्ता अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि सरकार ने एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीद लिया। ये पहली बार हुआ है कि इतनी जल्दी इतना बड़ा आँकड़ा छू लिया जाए।

और मजे की बात, अब खाद्य विभाग आपके खेत तक पहुँच रहा है। मोबाइल क्रय केंद्र लेकर गाँव-गाँव घूम रहे हैं, ताकि आपको दूर न जाना पड़े। अब तक 20,409 किसान भाइयों ने अपना गेहूं बेचा, और 3.56 लाख से ज्यादा ने पंजीकरण करा लिया। ये खरीद 15 जून तक चलेगी, तो तैयार रहो भाइयों, मौका हाथ से न जाने दो!

योगी सरकार का मकसद साफ है – किसान की मेहनत का पूरा दाम मिले, और उसकी जेब भरे। इस बार गेहूं का समर्थन मूल्य 150 रुपये बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। पिछले साल ये 2275 रुपये था। मतलब, हर क्विंटल पर आपको ज्यादा मुनाफा। सरकार ने 5780 क्रय केंद्र खोले हैं, और मोबाइल केंद्र भी चलाए हैं, ताकि गाँव में बैठे किसान को आसानी हो। ऊपर से 48 घंटे में पैसा सीधे आपके आधार लिंक्ड खाते में – ये है योगी सरकार की रफ्तार!

खेत तक पहुँची सरकार, आसान हुई खरीद

किसान भाइयों, इस बार खाद्य व रसद विभाग ने ऐसा इंतजाम किया कि आपको क्रय केंद्र तक दौड़ने की जरूरत ही नहीं। कटाई से पहले ही अधिकारी गाँव-गाँव गए, आपसे बात की, और सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए प्रेरित किया। मोबाइल क्रय केंद्र लेकर खेतों तक पहुँच गए। एक तरफ कटाई चल रही है, दूसरी तरफ तौल हो रही है। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री योगी जी ने हिदायत दी कि छुट्टी वाले दिन भी केंद्र खुले रहें। अब रविवार को भी गेहूं बेच सकते हो, भाइयों! क्रय केंद्रों पर बैठने की जगह, ठंडा पानी, और छाँव का भी इंतजाम है, ताकि आपको गर्मी में परेशानी न हो।

पंजीकरण और सत्यापन का झंझट भी आसान कर दिया गया। बिना सत्यापन के 100 क्विंटल तक गेहूं बेच सकते हो। और अगर सत्यापन करा लिया, तो अपनी उत्पादन क्षमता के तीन गुना तक बेचने की छूट है। मतलब, कागजों में छोटी-मोटी गलती हो तो भी आपका गेहूं बिकेगा। ये सब इसलिए, ताकि अन्नदाता को अपनी फसल बेचने में कोई दिक्कत न आए।

3.56 लाख किसानों का भरोसा, पंजीकरण शुरू

भाइयों, गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण 1 मार्च से शुरू हो चुका है। अब तक 3.56 लाख से ज्यादा किसानों ने खाद्य विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in या ‘UP Kisan Mitra’ ऐप पर रजिस्ट्रेशन करा लिया है। अगर आपने अभी तक नहीं कराया, तो फटाफट कर लो। ये जरूरी है, वरना सरकारी केंद्र पर गेहूं नहीं बिकेगा। विभाग कह रहा है कि गेहूं को अच्छे से सुखाकर, मिट्टी-कंकड़ साफ करके लाओ, ताकि तौल में कोई परेशानी न हो। सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक केंद्र खुले हैं, तो अपने हिसाब से समय निकाल लो।

पंजीकरण के लिए बस आधार, बैंक खाता, और मोबाइल नंबर चाहिए। गाँव का साइबर कैफे या जन सुविधा केंद्र जाओ, या खुद ऐप पर कर लो। 48 घंटे में पैसा खाते में आने की गारंटी है। योगी जी ने साफ कहा है – “किसान का पैसा रुकेगा नहीं, मेहनत का फल तुरंत मिलेगा।”

टोल फ्री नंबर से मदद

किसान भाइयों, कोई परेशानी हो तो घबराना मत। युपी सरकार ने टोल फ्री नंबर 18001800150 जारी किया है। फोन उठाओ, और अपनी बात कहो। चाहे जिला खाद्य विपणन अधिकारी हों, तहसील का क्षेत्रीय विपणन अधिकारी, या ब्लॉक का विपणन अधिकारी – सब आपकी मदद को तैयार हैं। क्रय केंद्र पर दिक्कत हो, पंजीकरण में अटक गए हों, या पैसा न आए – बस एक कॉल करो, समाधान पक्का। सरकार चाहती है कि आपको कोई तकलीफ न हो, और आपकी फसल का पूरा दाम मिले।

यूपी सरकार का रिकॉर्ड 43424 करोड़ का भुगतान

भाइयों, युपी सरकार ने 2017-18 से 2024-25 तक 233.99 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा। इस दौरान 49,69,576 किसानों को 43,424.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया। ये रकम साढ़े तीन गुना ज्यादा है, जो 2012-17 के बीच हुई थी। उस वक्त बिचौलियों का राज था, सिर्फ 94.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया, और 12,808 करोड़ रुपये ही दिए गए। योगी जी ने बिचौलियों को बाहर का रास्ता दिखाया, और सीधे किसानों की जेब भरी। मोबाइल केंद्र, तेज भुगतान, और बढ़ा हुआ MSP – ये सब अन्नदाता के सम्मान की बात है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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