किसान भाइयों, गाँव में गेहूँ-धान से आय सीमित हो रही है। ऐसे में बारहमासी सहजन (ड्रमस्टिक) की खेती कम मेहनत और लागत में लाखों की कमाई दे सकती है। इसकी पत्तियाँ, फूल, और फल तीनों बिकते हैं, जो बाजार में अच्छा दाम लाते हैं। एक बार लगाने पर 3-5 साल तक लगातार उपज मिलती है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, और राजस्थान में इसकी खेती बढ़ रही है। एक एकड़ से 1.5-2 लाख रुपये सालाना कमाई हो सकती है। लागत कम (25,000-35,000 रुपये/एकड़) और माँग ज्यादा होने से ये छोटे-बड़े किसानों के लिए आदर्श है। आइए जानें सहजन की खेती कैसे करें।
बारहमासी सहजन की खासियत
बारहमासी सहजन, जिसे ‘पेनरुथा’ किस्म कहते हैं, एक बार लगाने पर 3-5 साल तक फल, पत्ती, और फूल देता है। इसकी लंबी, मजबूत फलियाँ टूटती नहीं और बाजार तक सुरक्षित पहुँचती हैं। प्रोटीन, विटामिन (A, C, E), कैल्शियम, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर, ये डायबिटीज, हृदय रोग, और कुपोषण में लाभकारी है। गर्मी, बरसात, और हल्की सर्दी में टिकने वाला ये पेड़ 8-10 फीट ऊँचा होता है। पत्तियाँ पशु चारे और फार्मा कंपनियों, फूल आयुर्वेद और मंदिरों, और फलियाँ सब्जी के लिए माँग में रहते हैं।
खेत की तैयारी और मिट्टी
सहजन के लिए दोमट, बलुई मिट्टी (pH 6-7.5) जिसमें जलनिकासी अच्छी हो, उपयुक्त है। खेत की दो बार जुताई करें। 2-3 टन गोबर खाद या 500 किलो वर्मी कम्पोस्ट प्रति एकड़ डालें। मिट्टी को भुरभुरा करें। एक एकड़ में 1,000 पौधे (8×10 फीट दूरी) लगाए जा सकते हैं। 2x2x2 फीट गड्ढे खोदें, प्रत्येक में 5 किलो गोबर खाद और 100 ग्राम नीम खली मिलाएँ। जुलाई-सितंबर या फरवरी-मार्च में रोपण करें। छोटे किसान 0.5 एकड़ या खेत के किनारे से शुरू करें। सही तैयारी से पौधे तेजी से बढ़ते हैं।
रोपण और पौधों का चयन
सहजन के पौधे नर्सरी, कृषि केंद्र, या ऑनलाइन (NurseryLive) से लें। बारहमासी किस्म (PKM-1, PKM-2) चुनें। प्रति पौधा 20-50 रुपये लागत है। पौधों को गड्ढों में रोपें, जड़ों को मिट्टी से ढकें, और हल्की सिंचाई करें। 6-8 इंच ऊँचे पौधे रोपण के लिए आदर्श हैं। मॉनसून में रोपण करें ताकि पौधे जल्दी जड़ पकड़ें। पहले साल हल्की सहारा (बाँस) दें। सही रोपण से 95% पौधे जीवित रहते हैं, और पहले साल से उपज शुरू हो सकती है।
देखभाल और पानी का प्रबंध
पहले 2 महीने हर 7 दिन में सिंचाई करें। बाद में 10-12 दिन में पानी दें। ज्यादा पानी से जड़ सड़न हो सकती है। ड्रिप सिस्टम से 20% पानी बचता है। हर 6 महीने में 5 किलो गोबर खाद और 1 किलो वर्मी कम्पोस्ट प्रति पौधा डालें। साल में एक बार (फरवरी-मार्च) पुरानी शाखाओं की छंटाई करें। कीट (पत्ती खाने वाले, फल मक्खी) के लिए नीम तेल (5 मिलीलीटर/लीटर) छिड़कें। खरपतवार हटाएँ। सही देखभाल से एक पौधा 10-15 किलो फल और 2-3 किलो पत्तियाँ देता है।
कटाई और बाजार माँग
पहली कटाई 6-8 महीने बाद शुरू होती है। फलियाँ 30-40 सेमी लंबी, हरी होने पर तोड़ें। पत्तियाँ और फूल साल भर काटे जा सकते हैं। एक एकड़ से 10-12 क्विंटल फलियाँ (20-40 रुपये/किलो), 2-3 क्विंटल सूखी पत्तियाँ (100-200 रुपये/किलो), और 50-100 किलो फूल (50-100 रुपये/किलो) मिलते हैं। फलियाँ मंडी, होटल, और सब्जी बाजार में, पत्तियाँ फार्मा कंपनियों (पतंजलि, डाबर), और फूल मंदिरों, आयुर्वेद में बिकते हैं। ऑनलाइन (Amazon, IndiaMART) पाउडर बेचकर दाम बढ़ाएँ।
लागत और मुनाफे का हिसाब
एक एकड़ में लागत: पौधे (20,000-30,000 रुपये), खाद, सिंचाई, मजदूरी (25,000-35,000 रुपये)। पहले साल 10-12 क्विंटल फलियाँ (2-4 लाख रुपये), 2-3 क्विंटल पत्तियाँ (20,000-60,000 रुपये), और फूल (5,000-10,000 रुपये) से 2.25-4.7 लाख रुपये कमाई। रखरखाव (10,000-15,000 रुपये/साल) घटाकर 1.5-2 लाख रुपये मुनाफा। दूसरे साल से मुनाफा बढ़ता है। पाउडर या प्रोसेसिंग से 3-4 लाख रुपये/एकड़ कमाई संभव। बड़े स्तर (2-3 एकड़) पर 5-7 लाख रुपये सालाना मुनाफा।
उन्नत किस्में (PKM-1, PKM-2) चुनें। ज्यादा पानी से बचें। जैविक खाद प्राथमिकता दें। फल मक्खी के लिए फेरोमोन ट्रैप (4-5/एकड़) लगाएँ। बागवानी विभाग से 40-60% सब्सिडी लें। छोटे स्तर (0.5 एकड़) से शुरू करें। सहजन की खेती पत्ती, फूल, और फल से तीन गुना कमाई का रास्ता खोलती है। बाजार माँग का फायदा उठाएँ और आय बढ़ाएँ।
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