नैफेड ने अब तक खरीदी 1.79 लाख टन सरसों, किसानों को मिला एमएसपी का लाभ

MUSTARD PROCUREMENT: रबी 2025 विपणन सत्र में नैफेड ने सरसों की खरीद में तेजी दिखाई है। 20 अप्रैल 2025 तक नैफेड ने 5950 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 1.79 लाख टन से ज्यादा सरसों खरीदी है। इस खरीद से हजारों किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिला है, खासकर उन राज्यों में जहां मंडियों में सरसों की कीमतें MSP से नीचे चल रही हैं।

हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीद का काम जोरों पर है। सरकार ने इस साल 28.28 लाख टन सरसों खरीदने का लक्ष्य रखा है। इस लेख में नैफेड की सरसों खरीद, मंडी मूल्यों, और सोयाबीन व मूंगफली की खरीद की ताजा जानकारी दी गई है।

हरियाणा में सबसे ज्यादा सरसों खरीद

नैफेड की सरसों खरीद में हरियाणा सबसे आगे है। इस राज्य में 1.61 लाख टन से ज्यादा सरसों MSP पर खरीदी गई है। हरियाणा में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर होती है, और यहां के किसानों को MSP पर खरीद से सीधा लाभ मिल रहा है। मंडियों में सरसों की कीमतें अक्सर MSP से कम रहती हैं, जिसके कारण नैफेड की यह खरीद किसानों के लिए राहतकारी साबित हो रही है। सरकार ने हरियाणा में 3.36 लाख टन सरसों खरीदने की मंजूरी दी है, जिसका मतलब है कि आने वाले हफ्तों में खरीद और बढ़ेगी।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी खरीद जारी

मध्य प्रदेश में नैफेड ने 11,743 टन सरसों MSP पर खरीदी है। राज्य में 4.9 लाख टन सरसों खरीदने की मंजूरी दी गई है, जिससे और ज्यादा किसानों को लाभ मिलेगा। दूसरी ओर, राजस्थान, जो देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है, में अब तक 5,893 टन सरसों खरीदी गई है। राजस्थान की मंडियों में सरसों की मॉडल कीमतें 5099 से 6115 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं। टोंक की मालापुरा (टोडारायसिंह) मंडी में कीमत 6115 रुपये प्रति क्विंटल रही, लेकिन बाकी मंडियों में ये MSP से नीचे है। इस वजह से नैफेड की खरीद राजस्थान के किसानों के लिए जरूरी है।

असम और उत्तर प्रदेश में खरीद की स्थिति

असम में नैफेड ने 1044 टन सरसों खरीदी है, और राज्य के लिए 62,744 टन खरीद की मंजूरी है। असम में सरसों की खेती सीमित क्षेत्र में होती है, लेकिन वहां के किसानों के लिए MSP पर खरीद एक बड़ा सहारा है। उत्तर प्रदेश में 16.3 टन सरसों खरीदी गई है, और 4.79 लाख टन खरीद का लक्ष्य है। इन राज्यों में खरीद का काम अभी भी चल रहा है, क्योंकि मंडी कीमतें MSP से कम हैं। नैफेड की यह कोशिश सुनिश्चित करती है कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिले।

सरसों का उत्पादन और खरीद का लक्ष्य

2024-25 के लिए सरसों का अनुमानित उत्पादन 128.73 लाख टन है, जो पिछले साल के 132.59 लाख टन से करीब 3 प्रतिशत कम है। उत्पादन में यह कमी मंडी कीमतों को और दबाव में ला सकती है। सरकार ने रबी 2025 सत्र के लिए 28.28 लाख टन सरसों खरीदने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। नैफेड और अन्य एजेंसियां इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रही हैं। खासकर उन मंडियों में जहां कीमतें MSP से नीचे हैं, वहां खरीद को और बढ़ाया जा रहा है।

मंडी कीमतों का हाल

राजस्थान की मंडियों में सरसों की मॉडल कीमतें 5099 से 6115 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रही हैं। टोंक की मालापुरा मंडी को छोड़कर, जहां कीमत 6115 रुपये थी, बाकी मंडियों में कीमतें 5950 रुपये के MSP से नीचे हैं। ये स्थिति किसानों के लिए नुकसानदायक हो सकती है, क्योंकि कम कीमतों में फसल बेचने से उनकी लागत भी नहीं निकल पाती। नैफेड की MSP पर खरीद इस समस्या का समाधान है, जो किसानों को उचित दाम दिलाती है।

सोयाबीन और मूंगफली की खरीद

नैफेड ने खरीफ 2024 सत्र में भी तिलहन की खरीद में अच्छा प्रदर्शन किया है। 4892 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर 14.71 लाख टन सोयाबीन खरीदी गई है। इसमें महाराष्ट्र से 8.36 लाख टन और मध्य प्रदेश से 3.88 लाख टन शामिल है। इसी तरह, 6783 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर 14.43 लाख टन मूंगफली खरीदी गई है, जिसमें गुजरात से 9.22 लाख टन और राजस्थान से 4.38 लाख टन की खरीद हुई है। ये खरीद तिलहन किसानों को बाजार की अनिश्चितता से बचाती है और उनकी आय को बढ़ाती है।

किसानों के लिए नैफेड की भूमिका

नैफेड का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाना है। जब मंडी कीमतें MSP से नीचे जाती हैं, तो नैफेड और अन्य सरकारी एजेंसीयां मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खरीद शुरू करती हैं। सरसों, सोयाबीन, और मूंगफली जैसी फसलों की खरीद से लाखों किसानों को लाभ मिलता है। खासकर हरियाणा, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां तिलहन की खेती बड़े पैमाने पर होती है, नैफेड की खरीद ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।

खेती को लाभकारी बनाने की दिशा में कदम

सरसों की खरीद के लिए नैफेड की यह मुहिम किसानों के लिए एक बड़ा सहारा है। MSP पर खरीद न सिर्फ उनकी मेहनत का उचित दाम दिलाती है, बल्कि तिलहन की खेती को और आकर्षक बनाती है। सरकार का 28.28 लाख टन सरसों खरीद का लक्ष्य दिखाता है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। जिन किसानों की फसल अभी बाकी है, वे अपने नजदीकी नैफेड खरीद केंद्र या कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही, सोयाबीन और मूंगफली की खरीद से भी तिलहन किसानों को नया आत्मविश्वास मिला है।

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  • Shashikant

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