डेयरी क्षेत्र में नया युग, इस प्रजाति की गाय देगी 80 लिटर दूध

Girlando Cow Farming : भारत ने पशुपालन और दुग्ध उत्पादन में क्रांति लाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। देश में पहली बार ब्राजील से गिरलैंडो नस्ल के सांड का 500 डोज फ्रोजन सीमन आयात किया गया। चेन्नई के रास्ते हवाई मार्ग से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के वीर्य संग्रह केंद्र में लाए गए इस सीमन को -196°C लिक्विड नाइट्रोजन में संरक्षित किया गया है। इसका उपयोग गिर गायों को कृत्रिम गर्भाधान के जरिए 60-80 लीटर दूध देने वाली संकर गायें पैदा करने में होगा। यह परियोजना छत्तीसगढ़ को डेयरी हब बनाएगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी। केंद्र सरकार की इस पहल से किसानों की आय कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।

गिरलैंडो नस्ल की खूबियाँ

गिरलैंडो ब्राजील की उन्नत हाइब्रिड नस्ल है, जो भारतीय गिर और होल्सटीन-फ्रिजियन गायों का मिश्रण है। यह नस्ल 60-80 लीटर दूध रोज देती है, जो सामान्य गिर गाय से 5-6 गुना ज्यादा है। इसका दूध A2 प्रोटीन से भरपूर और स्वास्थ्यवर्धक है। यह गर्म जलवायु में ढलने और रोगों से लड़ने में सक्षम है। 12-15 साल तक उत्पादन और 70-80% गर्भाधान सफलता दर इसे किसानों के लिए आदर्श बनाती है। छत्तीसगढ़ की जलवायु में यह नस्ल आसानी से पनप सकती है।

सीमन आयात और लागत

यह भारत का सबसे महंगा सीमन है। प्रति डोज की कीमत 1,384 रुपये है, जबकि सामान्य सीमन 30-80 रुपये में मिलता है। 500 डोज की कुल लागत 6.92 लाख रुपये है, जिसे केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को आवंटित किया। सीमन को लिक्विड नाइट्रोजन में संरक्षित कर चुनिंदा गिर गायों पर इस्तेमाल किया जाएगा। यह उच्च लागत दीर्घकालिक लाभ के लिए निवेश है, जो डेयरी क्षेत्र को नई दिशा देगा।

कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया

गिरलैंडो सीमन का उपयोग कृत्रिम गर्भाधान के जरिए होगा। स्वस्थ, 3-5 साल की गिर गायों को चुना जाएगा। प्रशिक्षित पशु चिकित्सक गाय के हीट चक्र के 12-18 घंटे बाद सीमन डालेंगे। नौ महीने बाद गिरलैंडो बछिया जन्म लेगी, जो 2-3 साल में दूध देना शुरू करेगी। यह प्रक्रिया सुरक्षित और वैज्ञानिक है, जिसकी निगरानी पशुपालन विभाग और KVK करेंगे। यह गायों की सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता।

किसानों के लिए लाभ

गिरलैंडो नस्ल किसानों के लिए वरदान है। एक गाय से 60-80 लीटर दूध रोज, 100 रुपये/लीटर पर 18-24 लाख रुपये सालाना कमाई दे सकता है। बछिया 50,000-1 लाख रुपये में बिकेगी। कम चारे में ज्यादा उत्पादन से लागत घटेगी। पाँच गायों से 50-60 लाख रुपये सालाना कमाई संभव है। 500 डोज से 350-400 बछिया पैदा होंगी, जो तीन साल बाद 24,000-32,000 लीटर दूध रोज देंगी, दूध की कमी को 30-40% कम करेंगी।

भविष्य और सरकारी सहायता

यह परियोजना दूध उत्पादन में 20-30% वृद्धि और 5,000-10,000 नए रोजगार लाएगी। देसी गायों की गुणवत्ता सुधरेगी और विदेशी नस्लों पर निर्भरता कम होगी। पशुपालन विभाग मुफ्त AI और चारा सलाह दे रहा है। KVK प्रशिक्षण प्रदान करता है। AIF योजना में 2 करोड़ लोन और 3% ब्याज सब्सिडी मिलती है। PMKSY से चारा खेती पर 50% सब्सिडी उपलब्ध है। किसान ड्रिप सिस्टम से चारा उगाएँ और दुर्ग वीर्य संग्रह केंद्र से संपर्क करें। यह अवसर छत्तीसगढ़ के किसानों को डेयरी क्रांति का हिस्सा बनने का मौका देता है। यहाँ के बाद इसे पुरे देश में भेजा जाएगा।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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