यहाँ के किसान कर रहे खास पीले गाजर के वैरायटी की खेती, लाखों में छाप रहें हैं पैसे

Yellow Carrot Cultivation in Hindi: बिहार के किसान अब खेती को सिर्फ मेहनत का काम नहीं, बल्कि मुनाफे का धंधा बना रहे हैं। छपरा के नगरा प्रखंड के भीखमपुर गांव में किसान पीले गाजर की खेती करके लाखों की कमाई कर रहे हैं। इस फसल ने न सिर्फ उनकी जेब भरी, बल्कि आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया है। गर्मियों की तपती धूप में भी ये फसल बंपर पैदावार दे रही है। आइए जानते हैं कि पीले गाजर की खेती कैसे बिहार के किसानों की तकदीर बदल रही है और आप भी इसे कैसे शुरू कर सकते हैं।

छपरा में पीले गाजर का कमाल

छपरा के भीखमपुर गांव के रंजीत सिंह ने चार साल पहले पीले गाजर की खेती शुरू की थी। आज उनकी मेहनत रंग ला रही है। रंजीत बताते हैं कि पहले वो बाजार में पीला गाजर देखा करते थे, लेकिन जब इसकी खेती शुरू की, तो सीजन में दो-तीन लाख रुपये की कमाई होने लगी। उनकी सफलता देखकर गांव के दूसरे किसान भी पीले गाजर की खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। रंजीत कहते हैं कि ये फसल कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा देती है। एक कट्ठा (लगभग 1360 वर्ग फीट) से उन्हें 5 क्विंटल तक गाजर मिल जाती है, जो बाजार में अच्छे दाम पर बिकती है।

पीले गाजर की खासियत

पीला गाजर अपनी मिठास और रंग की वजह से बाजार में अलग पहचान रखता है। ये न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट है, बल्कि शादी-विवाह और बड़े आयोजनों में भी खूब पसंद किया जाता है। रंजीत बताते हैं कि इस गाजर में लाल या काले गाजर से ज्यादा मिठास होती है, जिसकी वजह से इसकी मांग बढ़ रही है। इसकी खेती के लिए ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती। गर्मियों में भी ये फसल अच्छी पैदावार देती है, बशर्ते सही बीज और थोड़ी सी मेहनत की जाए। तीन कट्ठा खेती के लिए सिर्फ 100 ग्राम बीज काफी है, जो इसे कम लागत वाली फसल बनाता है।

खेती का सही तरीका

पीले गाजर की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छे से तैयारी जरूरी है। खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लें। गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें, ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़े। रंजीत सलाह देते हैं कि बीज को लाइनों में बोएं, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, जिससे बीज अच्छे से अंकुरित हो। गर्मियों में हर 4-5 दिन में हल्की सिंचाई करें, लेकिन पानी ज्यादा जमा न होने दें, वरना गाजर का आकार बिगड़ सकता है। खरपतवार से बचने के लिए शुरुआती 20-25 दिन में निराई-गुड़ाई कर लें।

देखभाल और कीट प्रबंधन

पीले गाजर की फसल को ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं, लेकिन थोड़ी देखभाल से पैदावार बढ़ाई जा सकती है। अगर पत्तियां पीली पड़ें, तो जैविक खाद डालें। कीटों से बचाव के लिए नीम का तेल या गोमूत्र का छिड़काव करें। रंजीत बताते हैं कि उनकी फसल में कभी बड़ी बीमारी नहीं आई, क्योंकि वो जैविक तरीके अपनाते हैं। फसल 90-100 दिन में तैयार हो जाती है। कटाई से पहले खेत में हल्की नमी रखें, ताकि गाजर आसानी से निकल जाए। कटाई के बाद गाजर को धोकर छांव में सुखाएं, ताकि उसका रंग और मिठास बरकरार रहे।

बाजार और मुनाफा

पीले गाजर की मांग स्थानीय बाजारों से लेकर बड़े शहरों तक है। छपरा में ये गाजर 20-30 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। एक कट्ठा से 5 क्विंटल गाजर मिलने पर 10-15 हजार रुपये की कमाई हो सकती है। रंजीत ने तीन कट्ठा में खेती की, जिसमें उनकी लागत 5-6 हजार रुपये थी, और उन्हें 40-50 हजार रुपये का मुनाफा हुआ। बड़े स्तर पर खेती करने वाले सीजन में दो-तीन लाख रुपये तक कमा सकते हैं। बाजार में मिठास और रंग की वजह से इसकी डिमांड हमेशा रहती है।

किसानों के लिए सलाह

रंजीत की सलाह है कि नए किसान छोटे स्तर पर पीले गाजर की खेती शुरू करें। बीज किसी भरोसेमंद दुकान या कृषि केंद्र से लें। जैविक खेती पर जोर दें, क्योंकि जैविक गाजर की कीमत ज्यादा मिलती है। सरकार की सब्सिडी योजनाओं, जैसे बीज या खाद पर अनुदान, का फायदा उठाएं। गर्मियों में खेती करने से पहले मिट्टी की जांच कर लें। रंजीत कहते हैं कि मेहनत और सही जानकारी के साथ पीला गाजर किसानों की जिंदगी बदल सकता है।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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