यूपी की महिलाएं बनेंगी ‘कृषि सखी’, सरकार देगी ट्रेनिंग और ₹5,000 हर महीने!

UP Krishi Sakhi Yojana: खेती-किसानी में हमारी बहनों का हाथ हमेशा से रहा है। खेत में बीज बोने से लेकर फसल काटने तक, हर कदम पर वो मेहनत करती हैं, लेकिन उनकी मेहनत का सही सम्मान और फायदा कम ही मिलता है। अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस कमी को पूरा करने का बीड़ा उठाया है। सरकार ने हर गांव में कृषि सखी नियुक्त करने की योजना बनाई है, ताकि खेती में महिलाओं की भूमिका को और मजबूत किया जाए।

इसके लिए 250 करोड़ रुपये का बजट भी रखा गया है। साथ ही, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गो-आधारित मिशन और बायो इनपुट रिसर्च सेंटर भी शुरू किए जा रहे हैं। आइए, आसान भाषा में समझें कि ये योजना क्या है और किसान भाइयों-बहनों को इसका फायदा कैसे मिलेगा।

खेती में महिलाओं की नई पहचान

यूपी सरकार की इस खास योजना का मकसद है कि हर गांव में एक ऐसी बहन हो, जो खेती के नए और प्राकृतिक तरीकों को किसानों तक पहुंचाए। इन कृषि सखियों को हर महीने 5000 रुपये का मानदेय दिया जाएगा। ये बहनें गाँव-गाँव जाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदे बताएंगी और उन्हें गोबर, गोमूत्र से बनी खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल सिखाएंगी। इन सखियों को उनके जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ प्रशिक्षण देंगे, ताकि वो खेती की हर बारीकी को अच्छे से समझ सकें।

ये योजना खासकर बुंदेलखंड और गंगा के किनारे बसे इलाकों में शुरू की जा रही है। अब गंगा की सहायक नदियों के किनारों पर भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की योजना है। सरकार का लक्ष्य है कि 282 ब्लॉक और 2144 ग्राम पंचायतों के करीब ढाई लाख किसानों को इस योजना से जोड़ा जाए। हर गांव में 50 हेक्टेयर का एक खेती क्लस्टर बनाया जाएगा, जिसमें किसान एक साथ मिलकर प्राकृतिक खेती करेंगे। अगले दो साल में सरकार इस पर 250 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

प्राकृतिक खेती मिशन

यूपी में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बुंदेलखंड के सात जिलों—झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट—में गो-आधारित खेती मिशन शुरू किया है। इस मिशन में किसानों को सिखाया जा रहा है कि वो गोबर और गोमूत्र से जीवामृत, बीजामृत और घन जीवामृत जैसे मिश्रण कैसे बनाएं। ये मिश्रण खेतों में खाद और कीटनाशक का काम करते हैं, जिससे फसल अच्छी होती है और मिट्टी की सेहत भी बनी रहती है।

सरकार ने इस मिशन के लिए 13.16 करोड़ रुपये का बजट दिया है। अब तक 470 क्लस्टर बनाए गए हैं, जिनमें 21,934 किसान जुड़ चुके हैं। हर ग्राम पंचायत में 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर तैयार किया जा रहा है। किसानों को दो हेक्टेयर तक की खेती के लिए वित्तीय मदद भी दी जा रही है। इसके अलावा, 2535 फार्मर्स फील्ड स्कूल सत्र आयोजित किए गए हैं, जिनमें किसानों को प्राकृतिक खेती की बारीकियां सिखाई गई हैं। हर जिले में दो-दो बायो इनपुट रिसर्च सेंटर (BRC) भी खोले जा रहे हैं, जो प्राकृतिक खाद और कीटनाशकों पर रिसर्च करेंगे और किसानों को सही जानकारी देंगे।

गो आश्रय केंद्र

यूपी में योगी सरकार ने 7700 से ज्यादा गो आश्रय केंद्र बनाए हैं, जिनमें 12.5 लाख निराश्रित गायों को रखा गया है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1 लाख लाभार्थियों को 1.62 लाख गायें दी गई हैं। हर लाभार्थी को प्रति माह 1500 रुपये की मदद भी दी जाती है। इन गो आश्रय केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने खास योजना बनाई है। हर केंद्र में वर्मी कंपोस्ट इकाइयाँ लगाई जाएंगी, जिनमें गोबर से जैविक खाद बनाई जाएगी।

किसानों और गो आश्रय केंद्रों के कर्मचारियों को गोबर और गोमूत्र को प्रोसेस करने की तकनीक सिखाई जाएगी। साथ ही, चारे की उन्नत प्रजातियों को उगाने और उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसमें झांसी के राष्ट्रीय चारा अनुसंधान केंद्र की मदद ली जा रही है। ये सारी कोशिशें न सिर्फ गोपालन को बढ़ावा देंगी, बल्कि प्राकृतिक खेती को भी मजबूत करेंगी।

किसानों और बहनों के लिए सुनहरा मौका

कृषि सखी योजना और प्राकृतिक खेती मिशन यूपी के किसानों और खासकर हमारी बहनों के लिए एक सुनहरा मौका है। ये योजना न सिर्फ खेती को सस्ता और टिकाऊ बनाएगी, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत भी करेगी। अगर आप यूपी में खेती करते हैं या किसी स्वयं सहायता समूह का हिस्सा हैं, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या प्रखंड कार्यालय से संपर्क करें। वहाँ से आपको कृषि सखी बनने या प्राकृतिक खेती शुरू करने की पूरी जानकारी मिलेगी।

प्राकृतिक खेती से न सिर्फ आपकी फसल की लागत कम होगी, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी। साथ ही, गो-आधारित खेती से आप गोबर और गोमूत्र का सही इस्तेमाल करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो देर न करें, इस योजना का फायदा उठाएँ और अपनी खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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