Dhan ki Nursery kaise Taiyar kare: गेहूँ की कटाई के बाद किसान भाइयों के खेत खाली हो गए हैं, लेकिन मेहनती किसान अब धान की अगेती फसल की तैयारी में जुट गए हैं। धान की रोपाई से पहले एक मजबूत और स्वस्थ नर्सरी तैयार करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसी से फसल की नींव मजबूत होती है। अगर नर्सरी सही तरीके से तैयार हो, तो धान की फसल भी स्वस्थ और लहलहाती होगी। लेकिन नर्सरी बनाते वक्त कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना पड़ता है, नहीं तो मेहनत बेकार हो सकती है।
नियामतपुर के कृषि विज्ञान केंद्र में तैनात कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी ने कुछ आसान और देसी टिप्स साझा किए हैं, जो किसानों के लिए बहुत काम के हैं। आइए, जानते हैं कि धान की नर्सरी कैसे तैयार करें (Dhan ki Nursery kaise Taiyar kare), ताकि फसल अच्छी हो और मुनाफा बढ़े।
खेत की सही तैयारी है जरूरी- Dhan ki Nursery kaise Taiyar kare
धान की नर्सरी तैयार करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना सबसे जरूरी कदम है। डॉ. त्रिपाठी बताते हैं कि सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके लिए ट्रैक्टर से 2-3 बार जुताई करें, ताकि मिट्टी अच्छे से पलट जाए। फिर रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। भुरभुरी मिट्टी में नर्सरी के पौधे मजबूत बनते हैं और जड़ें अच्छे से बढ़ती हैं। जुताई के बाद खेत को समतल करना बहुत जरूरी है, ताकि पानी का भराव न हो। कई बार खेत ऊँचा-नीचा रहता है, जिससे पानी एक जगह जमा हो जाता है और नर्सरी खराब हो सकती है।
मिट्टी का शोधन और खाद का इस्तेमाल
खेत तैयार करने के बाद मिट्टी को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए शोधन करना जरूरी है। डॉ. त्रिपाठी सलाह देते हैं कि नर्सरी की बुवाई से पहले मृदा शोधन करें, ताकि किसी भी तरह के कीट या फंगस से पौधों को नुकसान न हो। इसके लिए अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा डालें और मिट्टी में अच्छे से मिलाएँ। ट्राइकोडर्मा मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं को खत्म करता है और नर्सरी को स्वस्थ रखता है। इसके अलावा, खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट डालें। यह मिट्टी को ताकत देता है और पौधों को जरूरी पोषण देता है।
छोटी क्यारियों में करें बुवाई
नर्सरी की बुवाई के लिए छोटी-छोटी क्यारियाँ बनाना बहुत फायदेमंद है। डॉ. त्रिपाठी बताते हैं कि एक मीटर चौड़ी क्यारियाँ बनाएँ और लंबाई अपनी सुविधा के हिसाब से रखें। क्यारियाँ बनाने से पानी की बचत होती है, क्योंकि पानी एकसार फैलता है और ज्यादा बर्बाद नहीं होता। साथ ही, छोटी क्यारियों में खरपतवार को काबू करना भी आसान हो जाता है। कई बार नर्सरी में जंगली घास उग आती है, जो पौधों को कमजोर कर देती है। लेकिन क्यारियाँ होने से आप मेड़ पर बैठकर आसानी से खरपतवार निकाल सकते हैं, और नर्सरी के पौधे खराब नहीं होंगे।
पानी और खरपतवार का प्रबंधन
क्यारियाँ बनाने का एक बड़ा फायदा यह है कि पानी का प्रबंधन आसान हो जाता है। गर्मियों में पानी की कमी रहती है, इसलिए क्यारियों में हल्का-हल्का पानी दें, ताकि मिट्टी गीली रहे, लेकिन ज्यादा पानी न भरे। ज्यादा पानी से नर्सरी के पौधे कमजोर हो सकते हैं। साथ ही, खरपतवार पर नजर रखें। नर्सरी में जंगली घास को समय-समय पर हटाते रहें, ताकि पौधे स्वस्थ बढ़ें। कुछ किसान नर्सरी में नीम की खली डालते हैं, जो कीटों को भगाने में मदद करती है। अगर आपके खेत में कीटों की समस्या ज्यादा है, तो नीम का तेल पानी में मिलाकर हल्का छिड़काव करें।
किसानों के लिए सलाह
धान की अगेती फसल के लिए नर्सरी तैयार करने वाले किसान भाइयों को सलाह है कि अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और वहाँ से अच्छी प्रजाति के बीज लें। नर्सरी के लिए अच्छे बीज चुनें, ताकि पौधे मजबूत हों। बुवाई से पहले बीज को हल्के गुनगुने पानी में 12 घंटे भिगोएँ, इससे अंकुरण जल्दी होता है। नर्सरी को तेज धूप से बचाने के लिए हल्का शेड लगाएँ या सूखी घास से ढकें। अगर आपके खेत में पानी की कमी है, तो ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें। इन टिप्स को अपनाकर आप एक मजबूत नर्सरी तैयार कर सकते हैं, जो धान की अच्छी फसल की नींव बनेगी।
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