Methi ki RMT-305 Kism: मेथी भारतीय रसोई का वो मसाला है, जो हर सब्जी में स्वाद और सेहत का तड़का लगाता है। किसानों के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने मेथी की नई किस्म आर.एम.टी.-305 विकसित की है, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे रही है। ये किस्म न सिर्फ ज्यादा उपज देती है, बल्कि रोगों और कीटों से भी लड़ने में माहिर है। आइए जानते हैं कि मेथी की ये खेती कैसे किसानों की जिंदगी बदल रही है।
इस किस्म की खास बातें
आर.एम.टी.-305 मेथी की ऐसी किस्म है, जो रबी मौसम में खूब फलती-फूलती है। इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 1.4-1.6 टन दाने और 10-12 टन हरी पत्तियां मिल सकती हैं। यानी, किसान दाने और पत्तियों दोनों से कमाई कर सकते हैं। इसकी मांग न सिर्फ मसाले के लिए, बल्कि हरी सब्जी और औषधीय उपयोग के लिए भी रहती है। खास बात ये है कि ये किस्म रोगों और कीटों के प्रति मजबूत है, जिससे फसल को नुकसान कम होता है।
खेती का आसान और वैज्ञानिक तरीका
मेथी की खेती शुरू करने के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज चाहिए। बुवाई से पहले बीजों को 2.5 ग्राम प्रति किलो की दर से कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें, ताकि बीजों को रोग न लगें। बुवाई 30 x 10 सेमी की दूरी पर त्रिभुजाकार तरीके से करें। इससे पौधों को सही जगह मिलती है और उनकी बढ़त अच्छी होती है। खेत को पहले 10-15 टन गोबर की खाद से तैयार करें। इसके साथ 150 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस, और 60 किलो पोटाश डालें। उर्वरकों को दो हिस्सों में बांटकर ड्रिप सिंचाई के जरिए दें।
सिंचाई और पोषण का सही इंतजाम
मेथी की फसल को पानी और पोषण का सही तालमेल चाहिए। ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करें और हर दो दिन में 30 मिनट तक एन.पी.के. (19:19:19, 12:61:0, 13:0:45) की घुलनशील खाद पानी के साथ दें। इससे पौधों को लगातार पोषण मिलता है और पानी की बचत होती है। बुवाई के तीन दिन बाद 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से आक्सी डाइअर्जिल का छिड़काव करें, ताकि खरपतवार शुरू में ही काबू हो जाए। इससे फसल को पूरा पोषण मिलता है और उपज बढ़ती है।
कीट और रोगों से बचाव
मेथी की फसल को कीटों और रोगों से बचाना जरूरी है। लीफ माइनर और सफेद मक्खी जैसे कीटों के लिए इमामेक्टिन (0.5 ग्राम/लीटर) या इमिडाक्लोप्रिड (1.0 मि.ली./लीटर) का छिड़काव करें। डाउनी मिल्ड्यू और ब्लाइट जैसे रोगों से बचने के लिए कार्बेन्डाजिम + मैनकोजेब या माइकोब्यूटानॉल (2 ग्राम/लीटर) का इस्तेमाल करें। सही समय पर दवाओं का छिड़काव करने से फसल स्वस्थ रहती है और मुनाफा बढ़ता है।
कम लागत में मोटा मुनाफा
मेथी की खेती में लागत ज्यादा नहीं आती। बीज, खाद, और दवाओं का खर्च प्रति हेक्टेयर 20,000-25,000 रुपये के आसपास होता है। अगर ड्रिप सिंचाई और वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएं, तो ये खर्च और कम हो सकता है। 1.4-1.6 टन दाने और 10-12 टन हरी पत्तियों की उपज से 1.5-2 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। बाजार में मेथी के दाने और पत्तियों का दाम अच्छा मिलता है, जिससे लागत निकालने के बाद भी किसानों के पास मोटा मुनाफा बचता है।
छत्तीसगढ़ के किसान पहले मेथी की खेती को छोटे पैमाने पर करते थे, लेकिन आर.एम.टी.-305 ने उनकी सोच बदल दी। कई किसानों ने इस किस्म को अपनाकर अपनी कमाई बढ़ाई है। एक किसान ने बताया, “पहले हम पुरानी किस्में बोते थे, लेकिन इस नई किस्म ने कम मेहनत में ज्यादा फायदा दिया।” ये किस्म छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए फायदेमंद है। रायपुर के कृषि वैज्ञानिकों की ये पहल किसानों के लिए नई दिशा दिखा रही है।
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