सिंदूर की खेती काम थोड़ा, कमाई इतना कि नोट गिनते गिनते थक जाओगे

Vermilion Cultivation In Hindi: सिंदूर सिर्फ सुहाग की निशानी ही नहीं, बल्कि अब किसानों के लिए कमाई का नया रास्ता भी बन रहा है। कमीला ट्री, जिसे वैज्ञानिक भाषा में बिक्सा ओरेलाना कहते हैं, से प्राकृतिक सिंदूर बनता है। ये पौधा लाल रंग के फल देता है, जिनके बीजों को सुखाकर और पीसकर शुद्ध सिंदूर तैयार किया जाता है। बाजार में इसकी मांग पूजा-पाठ, सौंदर्य प्रसाधन, और खाद्य उद्योग में बढ़ रही है।

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में अशोक तपस्वी जैसे किसान इसकी खेती से लाखों कमा रहे हैं। अगर आप कुछ अलग और फायदेमंद खेती करना चाहते हैं, तो कम पानी और कम मेहनत वाली सिंदूर की खेती आपके लिए बढ़िया मौका है। आइए जानें कैसे शुरू करें ये खेती।

प्राकृतिक सिंदूर का उत्पादन

कमीला ट्री के फल गुच्छों में लगते हैं, जो शुरू में हरे होते हैं और पकने पर चटख लाल हो जाते हैं। इन फलों के बीजों की बाहरी परत से लाल रंग का पाउडर निकलता है, जिसे पीसकर प्राकृतिक सिंदूर बनाया जाता है। ये पूरी तरह जैविक होता है और त्वचा या सेहत को नुकसान नहीं पहुँचाता।

बाजार में बिकने वाला रासायनिक सिंदूर, जिसमें मरकरी और लेड होता है, सिरदर्द और त्वचा की समस्याएँ पैदा कर सकता है। इसलिए लोग अब प्राकृतिक सिंदूर की ओर रुख कर रहे हैं। एक पौधे से सालाना 2 से 3 किलो फल मिल सकते हैं, जिनसे 1 से 1.5 किलो सिंदूर बनता है। बाजार में इसकी कीमत 400 से 500 रुपये प्रति किलो तक है। यानी 100 पौधों से आप हर साल 1 से 1.5 लाख रुपये कमा सकते हैं।

फतेहपुर का कमाल

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में अशोक तपस्वी ने 12 साल पहले महाराष्ट्र के जंगल में कमीला ट्री देखी। तब उन्हें इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन्होंने इसकी खेती की जानकारी जुटाई और एक पौधे से शुरुआत की। आज उनके खेतों में सैकड़ों कमीला ट्री हैं, और वो हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं। अशोक अब 1000 किसानों को इस खेती से जोड़ने की योजना बना रहे हैं। वो हर किसान को 100 पौधे दे रहे हैं, जिनकी कीमत 500 रुपये प्रति पौधा है। उनकी सफलता ने दिखाया कि सही जानकारी और मेहनत से सिंदूर की खेती किसानों की तकदीर बदल सकती है।

खेती की शुरुआत

सिंदूर की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है, जिसका पीएच मान 6 से 7.5 हो। ये पौधा खेत की मेड़ों पर भी लगाया जा सकता है, जिससे जगह की बचत होती है। दो पौधों के बीच 3 मीटर और क्यारियों के बीच 4 मीटर की दूरी रखें। मार्च में बीजों को एक रात पानी में भिगोकर नर्सरी तैयार करें। 15 दिन में अंकुरण होने के बाद, 3-4 महीने में पौधे खेत में रोपने के लिए तैयार हो जाते हैं।

एक पौधे की कीमत 349 से 699 रुपये है, और इन्हें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की भारत नर्सरी या ऑनलाइन खरीदा जा सकता है। पौधा 2 साल में फल देना शुरू करता है और 20-25 फीट तक बढ़ता है।

कमीला ट्री की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे कम सिंचाई चाहिए। सूखे इलाकों में भी ये आसानी से उगता है। गर्मियों में हर 10-15 दिन और बरसात में जरूरत पड़ने पर ही हल्की सिंचाई करें। गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट (2-3 किलो प्रति पौधा) साल में एक बार डालें। कीटों और रोगों का खतरा कम होता है, लेकिन फफूंद से बचाव के लिए बाविस्टिन (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। फल पकने पर इन्हें सावधानी से तोड़ें और छायादार जगह में सुखाएँ। इसके बाद बीजों को पीसकर सिंदूर तैयार करें।

बाजार की मांग और मुनाफा

प्राकृतिक सिंदूर की मांग धार्मिक कार्यों, कॉस्मेटिक्स, और खाद्य उद्योग में तेजी से बढ़ रही है। इसका लाल रंग खाने में रंग डालने, साबुन, पेंट, और इंक बनाने में भी काम आता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी खेती का विस्तार हो रहा है। एक एकड़ में 200-250 पौधे लगाए जा सकते हैं, जिनसे सालाना 200-300 किलो सिंदूर मिल सकता है। 450 रुपये प्रति किलो के औसत भाव से 90,000 से 1.35 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। शुरुआती लागत 50,000-70,000 रुपये है, जो तीसरे साल से मुनाफे में बदल जाती है।

ट्रेनिंग

सिंदूर की खेती की पूरी जानकारी के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय (सबौर) और हिमाचल प्रदेश के पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में 1-7 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है। ये विश्वविद्यालय पौधों की नर्सरी, खेत की तैयारी, और प्रोसेसिंग की तकनीक सिखाते हैं। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय भी वनोपज की ट्रेनिंग देता है। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें, जहाँ आपको बीज और विशेषज्ञों की सलाह मिलेगी।

सिंदूर की खेती शुरू करने से पहले स्थानीय मांग और बाजार की जानकारी लें। छोटे स्तर पर 10-20 पौधों से शुरुआत करें। ऑनलाइन नर्सरियों से सही किस्म के पौधे खरीदें। फलों की प्रोसेसिंग के लिए साफ-सुथरे उपकरण इस्तेमाल करें, ताकि सिंदूर की गुणवत्ता बनी रहे। अगर आप सूखे इलाके में हैं, तो ये खेती आपके लिए और फायदेमंद होगी।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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