भारत में सब्जियों की खेती हमेशा से किसानों के लिए कमाई का अच्छा जरिया रही है। लौकी की खेती अब धीरे-धीरे किसानों के लिए फायदे का सौदा बनती जा रही है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के ग्राम तिलई के किसान विशाल चौहान 5 एकड़ ज़मीन में लौकी की खेती कर रहे हैं और इससे बढ़िया आमदनी कमा रहे हैं।
लौकी की खेती कैसे की जाती है
गांव के खेतों में सितंबर महीने में लौकी के बीज बोए जाते हैं। यहां हरून किस्म के बीज का इस्तेमाल होता है, जो ज़्यादा पैदावार देने के लिए जाना जाता है। यह फसल करीब तीन से चार महीने में तैयार हो जाती है। खेत की अच्छे से जुताई करके उसमें जैविक खाद डाली जाती है ताकि मिट्टी उपजाऊ बनी रहे।
लौकी के पौधे को फैलने के लिए जगह चाहिए होती है, इसलिए दो से तीन फीट की दूरी पर बीज डाले जाते हैं। सिंचाई का भी खास ध्यान रखा जाता है और कीटों से बचाने के लिए जैविक दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है।
लौकी की पैदावार और कमाई
इस खेती में मेहनत तो लगती है, लेकिन मुनाफा भी अच्छा मिलता है। प्रति एकड़ करीब 15 से 17 टन लौकी की पैदावार हो जाती है। जब बाजार में मांग अच्छी होती है तो लौकी का भाव ₹10 से ₹20 प्रति किलो तक मिल जाता है। इस हिसाब से प्रति एकड़ 50 हजार से 1 लाख रुपये तक का मुनाफा आराम से हो जाता है।
गांव के किसान राजनांदगांव मंडी, नागपुर मंडी और आसपास के बाजारों में लौकी बेचते हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं।
लौकी की खेती के फायदे
लौकी की खेती से कम लागत में ज्यादा फायदा होता है। यह सब्जी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है, इसलिए इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है। मेहनत करने वाले किसान अगर सही तरीका अपनाएं तो सालभर लौकी उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
ग्राम तिलई के किसान विशाल चौहान ने दिखा दिया कि मेहनत और सही तकनीक से खेती को एक बढ़िया व्यापार में बदला जा सकता है। लौकी की खेती किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है। अगर दूसरे किसान भी इस तरीके को अपनाएं तो वे भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं। लौकी की खेती न सिर्फ फायदे का सौदा है बल्कि सेहत के लिए भी बेहतरीन है।
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