Sexed Seaman Mission: किसान भाईयों, उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य, अब एक नई दूध क्रांति की ओर बढ़ रहा है। सेक्सड सीमेन मिशन के तहत, राज्य सरकार ने कृत्रिम गर्भाधान के जरिए मादा बछड़ियों की संख्या बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। यह तकनीक न केवल पशुपालकों की आय दोगुनी करने की क्षमता रखती है, बल्कि अनचाहे नर बछड़ों की समस्या को भी कम करेगी। 2025 में यह मिशन उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी उद्योग को नया आयाम देगा। यह लेख मिशन की विशेषताओं, लाभों, और चुनौतियों को विस्तार से बताएगा।
सेक्सड सीमेन क्या है
सेक्सड सीमेन एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसमें सांड़ के सीमेन से X और Y क्रोमोसोम वाले शुक्राणुओं को अलग किया जाता है। X क्रोमोसोम मादा बछड़ी और Y क्रोमोसोम नर बछड़े के लिए जिम्मेदार होता है। फ्लो साइटोमेट्री जैसी तकनीकों से X क्रोमोसोम वाले शुक्राणुओं को 90-93% शुद्धता के साथ अलग किया जाता है। इन शुक्राणुओं को -196 डिग्री सेल्सियस पर तरल नाइट्रोजन में संग्रहित किया जाता है और कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपयोग किया जाता है।
पारंपरिक कृत्रिम गर्भाधान में मादा या नर बछड़े की संभावना 50-50 होती है। सेक्सड सीमेन से मादा बछड़ी की संभावना 90% से अधिक हो जाती है, जो डेयरी उद्योग के लिए वरदान है। उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में बाबूगढ़ डीप फ्रोजन सीमेन प्रोडक्शन सेंटर में यह तकनीक बड़े पैमाने पर लागू की जा रही है।
उत्तर प्रदेश में मिशन की शुरुआत
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत सेक्सड सीमेन तकनीक को अपनाया और 2025 तक इसे पूरे राज्य में लागू करने का लक्ष्य रखा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे पशुपालकों की आय दोगुनी करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। राज्य में 2023-24 में 10 मिलियन से अधिक सेक्सड सीमेन डोज तैयार किए गए, जिनमें से 4.95 मिलियन डोज उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, और तमिलनाडु के सरकारी केंद्रों से आए।मिशन के तहत 50 लाख से अधिक डोज 2025 तक वितरित करने का लक्ष्य है। हापुड़, लखनऊ, और बरेली में सेक्सड सीमेन उत्पादन केंद्र स्थापित किए गए हैं। सरकार ने निजी और सहकारी डेयरियों के साथ साझेदारी की है।
मिशन के प्रमुख उद्देश्य
सेक्सड सीमेन मिशन (Sexed Seaman Mission) का मुख्य लक्ष्य डेयरी उद्योग को मजबूत करना है। यह मिशन दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए मादा बछड़ियों की संख्या में वृद्धि पर केंद्रित है। उत्तर प्रदेश, जो देश के कुल दूध उत्पादन का 16.21% हिस्सा देता है, इस तकनीक से अपनी स्थिति और मजबूत करेगा।
नर बछड़ों की समस्या भी इस मिशन से हल होगी। फतेहपुर के एक पशुपालक, भानु प्रताप, ने बताया कि नर बछड़े पालना आर्थिक बोझ है, क्योंकि वे दूध नहीं देते और खेती में बैलों की जरूरत कम हो गई है। सेक्सड सीमेन से केवल मादा बछड़ियां पैदा होने से पशुपालक लागत बचा सकते हैं। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले सांडों से सीमेन लेने से नई नस्लों की उत्पादकता बढ़ेगी।
मिशन के तहत सुविधाएं
उत्तर प्रदेश सरकार सेक्सड सीमेन डोज को सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है। पहले एक डोज की कीमत 1,200-2,600 रुपये थी, लेकिन अब सरकार इसे 200-750 रुपये में दे रही है। गर्भधारण की पुष्टि पर 750 रुपये की सब्सिडी भी दी जाती है।प्रशिक्षित कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन गांव-गांव भेजे जा रहे हैं। पशुपालकों को तकनीक समझाने के लिए KVK और ICAR के सहयोग से जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। बछड़ियों की देखभाल के लिए टीकाकरण और स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जा रहे हैं। फतेहपुर के रविंद्र मावी जैसे पशुपालकों ने इस तकनीक से अपनी गायों को गर्भाधान कराया और मादा बछड़ियां प्राप्त कीं।
सेक्सड सीमेन के लाभ
सेक्सड सीमेन तकनीक से दूध उत्पादन में 30-40% की वृद्धि संभव है। मादा बछड़ियां दो साल बाद दूध देना शुरू करती हैं, जिससे पशुपालकों की आय दोगुनी हो सकती है। यह तकनीक पशु प्रबंधन को आसान बनाती है, क्योंकि केवल मादा पशुओं को पालना पड़ता है।
नर बछड़ों की संख्या कम होने से आवारा पशुओं की समस्या घटेगी, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। उच्च गुणवत्ता वाली नस्लें दूध में प्रोटीन और वसा की मात्रा बढ़ाती हैं, जिससे डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता सुधरेगी। 2023-24 में उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन 3.78% बढ़ा, और सेक्सड सीमेन मिशन इसे और गति देगा।
तकनीकी प्रक्रिया और कार्यान्वयन
सेक्सड सीमेन का उत्पादन ABS और Sexing Technologies जैसी कंपनियों की पेटेंट तकनीकों से होता है। हापुड़ के बाबूगढ़ केंद्र में उच्च गुणवत्ता वाले सांडों से सीमेन लिया जाता है। प्रत्येक स्ट्रॉ में 2.6 मिलियन शुक्राणु होते हैं, और प्रक्रिया में 6 घंटे लगते हैं।
NDDB ने 2022 में स्वदेशी सेक्सड सीमेन तकनीक विकसित की, जिससे लागत 250 रुपये प्रति डोज तक कम हो गई। यह तकनीक आयात पर निर्भरता कम करेगी। कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रशिक्षित तकनीशियन गाय या भैंस के एस्ट्रस चक्र की निगरानी करते हैं और सही समय पर सीमेन डालते हैं। गर्भधारण दर 45-50% है, जो पारंपरिक गर्भाधान (60-70%) से कम है, लेकिन मादा बछड़ी की गारंटी इसे आकर्षक बनाती है।
लाभ कैसे लें
उत्तर प्रदेश के पशुपालक नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र या कृत्रिम गर्भाधान केंद्र में पंजीकरण कर सकते हैं। वहां फॉर्म भरकर सेक्सड सीमेन मिशन का लाभ लिया जा सकता है। तकनीशियन गाय या भैंस के एस्ट्रस चक्र की जांच कर गर्भाधान करेंगे। पशुपालकों को बछड़ियों की देखभाल के लिए मुफ्त टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच भी मिलेगी।
मिशन का प्रभाव
2025 में सेक्सड सीमेन मिशन उत्तर प्रदेश के डेयरी उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह मिशन 50 लाख डोज वितरित करने के लक्ष्य के साथ 30-40% दूध उत्पादन बढ़ाएगा। आवारा पशुओं की समस्या 20% तक कम होगी। पशुपालकों की आय दोगुनी होगी, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।उत्तर प्रदेश के 605 जिलों में मुफ्त कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं उपलब्ध हैं। मिशन से 65,000 से अधिक उन्नत नस्ल की बछड़ियां पैदा हो चुकी हैं, जिन्होंने दूध उत्पादन बढ़ाया है। यह तकनीक जैव विविधता को भी संरक्षित करेगी, क्योंकि स्वदेशी नस्लों जैसे साहिवाल और गिर को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सेक्सड सीमेन मिशन उत्तर प्रदेश के पशुपालकों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह तकनीक दूध उत्पादन बढ़ाने, नर बछड़ों की समस्या हल करने, और आय दोगुनी करने में सक्षम है। सरकारी सब्सिडी, प्रशिक्षण, और स्वदेशी तकनीक इसे सुलभ बना रहे हैं। 2025 में यह मिशन उत्तर प्रदेश को विश्व का अग्रणी दूध उत्पादक क्षेत्र बनाएगा। पशुपालक इस अवसर का लाभ उठाएं और अपने भविष्य को समृद्ध करें।
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