UP Nishulk Boring Yojana: उत्तर प्रदेश सरकार का नारा “खुशहाल किसान, समृद्ध प्रदेश” अब धरातल पर उतर रहा है। लघु और सीमांत किसानों को सिंचाई की समस्याओं से राहत देने के लिए नि:शुल्क बोरिंग योजना चलाई जा रही है। इस योजना से छोटे किसानों को मुफ्त बोरिंग और सब्सिडी की सुविधा मिल रही है, जिससे उनकी फसलों की पैदावार बढ़ेगी और आय में बढ़ोतरी होगी। योगी सरकार की ये पहल खेती को लाभकारी और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। आइए, इस योजना की पूरी जानकारी लें, जैसे खेत में पानी की नई व्यवस्था की बात हो।
नि:शुल्क बोरिंग योजना का मकसद- UP Nishulk Boring Yojana
ये योजना खास तौर पर उत्तर प्रदेश के उन लघु और सीमांत किसानों के लिए है, जिनके पास सिंचाई के लिए ट्यूबवेल या बोरिंग जैसे साधन नहीं हैं। इसका मुख्य उद्देश्य निजी ट्यूबवेल के जरिए खेतों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। योजना के तहत बोरिंग का कोई शुल्क नहीं लिया जाता, और पंपसेट खरीदने के लिए सब्सिडी दी जाती है। इससे लघु किसान (1-2 हेक्टेयर जमीन) और सीमांत किसान (1 हेक्टेयर से कम) अपनी फसलों को समय पर पानी दे सकेंगे। सामान्य, अनुसूचित जाति (SC), और अनुसूचित जनजाति (ST) के किसान इस योजना के पात्र हैं।
योजना की प्रमुख विशेषताएं
लघु सिंचाई विभाग इस योजना को लागू करता है। ये सभी जिलों में उपलब्ध है, सिवाय उन अति-दोहित विकास खंडों के, जहां भूजल स्तर बहुत नीचे है। सामान्य वर्ग के किसानों के लिए कम से कम 0.2 हेक्टेयर जमीन जरूरी है, जबकि SC/ST किसानों के लिए कोई न्यूनतम सीमा नहीं है। बोरिंग से कम से कम 3 हेक्टेयर खेती योग्य जमीन को पानी मिलना चाहिए। बोरिंग के पास 25 पौधे लगाने की शर्त रखी गई है, ताकि भूजल संरक्षण को बढ़ावा मिले। पंपसेट लगाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसके लिए भी वित्तीय मदद मिलती है। योजना का लक्ष्य जल उपलब्धता बढ़ाकर फसल उत्पादन को बढ़ाना है।
प्रदेश के किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। लघु एवं सीमांत किसानों को सिंचाई की समस्या से निजात दिलाने के लिए बोरिंग की सुविधा प्रदान की जाती है। वहीं, निजी ट्यूबवेल्स के माध्यम से निःशुल्क सिंचाई की व्यवस्था देने का कार्य किया गया है।#KisanKalyanUP pic.twitter.com/kbJZKYWfTX
— Kisan Kalyan Mission UP (@KisanKalyanUP) May 5, 2025
सब्सिडी की जानकारी
योजना के तहत बोरिंग और पंपसेट के लिए सब्सिडी इस तरह दी जाती है। लघु किसानों को बोरिंग के लिए 5000 रुपये की सहायता मिलती है। सीमांत किसानों को 7000 रुपये की सब्सिडी दी जाती है। SC/ST किसानों को बोरिंग के लिए 10,000 रुपये तक की मदद मिलती है। पंपसेट के लिए अलग से सब्सिडी है, जो लघु किसानों को 4500 रुपये, सीमांत किसानों को 6000 रुपये, और SC/ST किसानों को 9000 रुपये तक दी जाती है। इसके अलावा, 90 मिमी HDPE पाइप के लिए 50% या अधिकतम 3000 रुपये की सब्सिडी कुछ लाभार्थियों को मिलती है। पंपसेट की व्यवस्था किसान को खुद करनी होगी, लेकिन इसके लिए लोन की सुविधा भी उपलब्ध है।
पात्रता और जरूरी दस्तावेज
योजना का लाभ लेने के लिए किसान को उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए। उसके पास खेती योग्य जमीन के वैध दस्तावेज, जैसे खसरा-खतौनी, होने चाहिए। लघु और सीमांत किसान ही पात्र हैं। आवेदन के लिए आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र (SC/ST के लिए), बैंक पासबुक की कॉपी, आधार से लिंक मोबाइल नंबर, और पासपोर्ट साइज फोटो जरूरी हैं। आवेदक की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए। परिवार में कोई सरकारी नौकरी वाला नहीं होना चाहिए, और किसान को किसी दूसरी सरकारी सिंचाई योजना का लाभ नहीं लेना चाहिए।
आवेदन कैसे करें?
आवेदन की प्रक्रिया आसान रखी गई है। किसान लघु सिंचाई विभाग की वेबसाइट minorirrigationup.gov.in पर जाएं। “Schemes” सेक्शन में “Application Form for Free Boring” का विकल्प चुनें। फॉर्म डाउनलोड कर प्रिंट लें और नाम, मोबाइल नंबर, जमीन का विवरण, और अन्य जानकारी सही-सही भरें। जरूरी दस्तावेज संलग्न करें। फॉर्म को जिले के लघु सिंचाई विभाग कार्यालय या ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) के पास जमा करें। जांच के बाद पात्र किसानों को योजना का लाभ मिलेगा। किसान स्थानीय कृषि कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं।
योजना से किसानों को लाभ
ये योजना छोटे किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। बारिश पर निर्भरता के कारण फसल उत्पादन अनिश्चित रहता है, लेकिन मुफ्त बोरिंग से समय पर सिंचाई हो सकेगी। इससे चावल, गेहूं, और सब्जियों की पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है। पौधरोपण की शर्त से भूजल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। ये योजना न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी।
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