Groundnut Farming Tag 73 Variety: मूंगफली भारत की प्रमुख तिलहन फसलों में से एक है, जिसे “गरीबों का काजू” भी कहा जाता है। यह प्रोटीन, तेल, और पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिसके कारण इसकी बाजार में सालभर मांग रहती है। कम लागत और कम पानी की जरूरत के कारण मूंगफली की खेती छोटे और मध्यम किसानों के लिए लाभकारी है। यह फसल न केवल आर्थिक लाभ देती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी मदद करती है
राष्ट्रीय बीज निगम से ऑनलाइन बीज की उपलब्धता
राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) किसानों को प्रमाणित और उन्नत बीज उपलब्ध कराने के लिए जाना जाता है। एनएससी की वेबसाइट पर मूंगफली की उन्नत किस्मों के बीज ऑनलाइन खरीदे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, मूंगफली की TAG-73 किस्म के 20 किलोग्राम बीज का पैकेट 2,000 रुपये में उपलब्ध है, जिसमें 18% की छूट और एक मुफ्त जैकेट का ऑफर शामिल है। किसान इस वेबसाइट पर जाकर आसानी से ऑर्डर कर सकते हैं, जिससे उन्हें घर बैठे उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिल जाते हैं। ऑनलाइन खरीदारी नकली बीजों का खतरा कम करती है और समय की बचत करती है।
मूंगफली की उन्नत किस्में
उन्नत किस्में अधिक उपज, रोग प्रतिरोधकता, और तेल की उच्च मात्रा के लिए जानी जाती हैं। कुछ प्रमुख किस्में हैं:
TAG-73: जल्दी पकने वाली, उच्च तेल सामग्री (48-50%)। खरीफ और रबी दोनों सीजन के लिए उपयुक्त।
GG-20: गुजरात में लोकप्रिय, 45-50% तेल सामग्री, रोग प्रतिरोधी।
G2-52: उच्च उपज (प्रति हेक्टेयर 40-45 क्विंटल), मई-जून में बुआई के लिए आदर्श।
Girnar 4 और 5: संकर किस्में, अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता।
इन किस्मों को स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार चुनें। बीज खरीदने से पहले स्थानीय कृषि केंद्र या एनएससी से सलाह लें।
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मूंगफली की खेती कैसे करें?
मूंगफली की खेती के लिए हल्की बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकासी अच्छी हो। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेत की तैयारी के लिए 2-3 गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की खाद डालें। बुआई का सबसे अच्छा समय खरीफ सीजन में जून-जुलाई और रबी सीजन में अक्टूबर-नवंबर है। प्रति एकड़ 60-80 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। बीज को 4-6 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं, और कतार से कतार की दूरी 30-40 सेंटीमीटर रखें। बुआई से पहले बीज को राइजोबियम और फफूंदनाशक से उपचारित करें ताकि रोगों से बचाव हो।
खाद के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40-60 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 20-30 किलोग्राम पोटाश का उपयोग करें। जिप्सम और जिंक सल्फेट की सही मात्रा डालें। फॉस्फोरस विलेय बैक्टीरिया और एजोटोबैक्टर जैसे जैव उर्वरक मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं। मूंगफली को 5-6 बार सिंचाई की जरूरत होती है, खासकर फूल आने और फली बनने के समय। ड्रिप सिंचाई पानी की बचत करती है और उपज बढ़ाती है। कीटों और रोगों से बचाव के लिए नीम तेल या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें। टिक्का रोग और जड़ सड़न से बचने के लिए कार्बेन्डाजिम का उपयोग करें।
मूंगफली की खेती से होने वाला मुनाफा
मूंगफली की खेती से प्रति एकड़ 40,000 से 70,000 रुपये तक का मुनाफा संभव है। एक एकड़ में खेती का अनुमान इस प्रकार है। कुल लागत, जिसमें बीज, खाद, मजदूरी, और सिंचाई शामिल हैं, लगभग 7,000-8,000 रुपये आती है। प्रति एकड़ 8-14 क्विंटल उत्पादन हो सकता है। मंडी में मूंगफली का भाव 5,000-6,000 रुपये प्रति क्विंटल रहता है। इससे कुल आय 40,000-84,000 रुपये हो सकती है। लागत घटाने के बाद शुद्ध मुनाफा 33,000-76,000 रुपये प्रति एकड़ होता है। अगर किसान 5 एकड़ में खेती करें, तो 1.5 से 3.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। जैविक मूंगफली की मांग बढ़ने से मुनाफा और अधिक हो सकता है।
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