लहसुन की फसल में इस छिड़काव से बढ़ाएं दोगुना पैदावार, लहलहा उठेगी फसल

लहसुन, एक ऐसी फसल है जो केवल हमारे खाने में ही नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस फसल की खेती से किसानों को उच्च मुनाफा मिलता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि फसल को सही समय पर और सही तरीके से उर्वरक और खाद दी जाए। यदि इसमें थोड़ी सी भी चूक हो जाती है, तो फसल के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इस लेख में, हम लहसुन की खेती में उर्वरक और खाद के सही उपयोग के महत्व को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि किसान इस पर सही ध्यान देकर अपनी फसल की पैदावार कैसे बढ़ा सकते हैं।

लहसुन की खेती में उर्वरक का महत्व

लहसुन एक ऐसी नगदी फसल है जिसे उर्वरकों के उचित प्रयोग से अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। उर्वरकों का सही मिश्रण पौधों की वृद्धि, फसल के स्वास्थ्य और उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। लहसुन की खेती में उर्वरक का समान रूप से वितरण और सही समय पर उपयोग आवश्यक है ताकि पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व मिल सकें।

बोरान: लहसुन के लिए अनिवार्य उर्वरक

बोरान एक अत्यंत लाभकारी उर्वरक है जिसे लहसुन की फसल में डालने से पैदावार बढ़ती है और कंद का आकार भी अच्छा होता है। बोरान के स्प्रे से लहसुन के कंद को फटने से बचाया जा सकता है, जिससे कंद की गुणवत्ता बनी रहती है। यह उर्वरक लहसुन के पौधों में कैल्शियम जैसे अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है और कंद के आकार को बढ़ाता है, जिससे बाजार में अच्छे दाम पर बिकने की संभावना बढ़ जाती है।

लहसुन की फसल में बोरान का प्रभावी प्रयोग करने के लिए 200 ग्राम बोरान को 150-200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। यह विधि लहसुन के कंदों की गुणवत्ता और मज़बूती बढ़ाने में मदद करती है। बोरान की कमी से पौधों की वृद्धि धीमी हो सकती है, जिससे पैदावार में कमी हो सकती है।

पोटैशियम का महत्व

लहसुन के कंद का आकार बढ़ाने के लिए पोटैशियम का प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब लहसुन की फसल 50 से 70 दिन की हो जाती है, तो यह समय कंद बनने का होता है, और पौधों को अधिक पोटाश की आवश्यकता होती है। यदि इस समय पर पोटैशियम का सही मात्रा में प्रयोग किया जाए, तो कंद का आकार बढ़ता है और पैदावार भी अधिक होती है।

एनपीके का उपयोग

एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटैशियम) उर्वरक का इस्तेमाल लहसुन की फसल में उत्पादन बढ़ाने में सहायक हो सकता है। अगर आप एक एकड़ क्षेत्र में 1 किलोग्राम एनपीके को पानी में घोलकर छिड़काव करते हैं, तो इससे न केवल कंद का आकार बढ़ेगा बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होगी

लहसुन की खेती में उर्वरक का सही समय पर प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है। अगर उर्वरक का प्रयोग समय से पहले या बाद में किया जाता है, तो इसका विपरीत असर फसल पर पड़ सकता है। इसलिए, प्रत्येक उर्वरक को सही समय पर और सही मात्रा में देना चाहिए।

लहसुन के पौधों की देखभाल में अन्य महत्वपूर्ण टिप्स

  1. सिंचाई का ध्यान रखें: लहसुन की फसल में पानी का सही प्रबंधन आवश्यक है। अत्यधिक पानी या कम पानी दोनों ही पौधों के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
  2. कीट और रोगों से बचाव: लहसुन के पौधों को विभिन्न कीटों और रोगों से बचाना जरूरी है। इसके लिए प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।
  3. मुल्चिंग का प्रयोग: मुल्चिंग से मिट्टी की नमी बनी रहती है और पौधों की जड़ें ठंडी रहती हैं, जिससे उनकी वृद्धि बेहतर होती है।

लहसुन की फसल में पोषक तत्वों की कमी

लहसुन की फसल में पोषक तत्वों की कमी से उसकी वृद्धि में कमी आ सकती है। बोरान, पोटैशियम, और एनपीके जैसे उर्वरकों की कमी से लहसुन के पौधों की वृद्धि धीमी हो सकती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि इन तत्वों का नियमित रूप से उर्वरकों के रूप में प्रयोग किया जाए।

लहसुन की फसल से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए सही समय पर सही उर्वरकों का प्रयोग, सिंचाई का सही प्रबंधन, और पौधों की देखभाल आवश्यक है। इसके अलावा, स्थानीय कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेना और नवीनतम कृषि तकनीकों का पालन करना भी फसल की सफलता में योगदान कर सकता है।

लहसुन की खेती में संभावनाएँ

लहसुन की खेती न केवल किसानों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह निर्यात के लिए भी उपयुक्त है। यदि किसानों को सही तकनीकों और उर्वरकों के बारे में जानकारी हो, तो वे इस फसल से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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