जून में बोएं मूंगफली की ये 5 बेमिसाल किस्में, एक हेक्टेयर में पाएं 25 क्विंटल पैदावार!

जून का महीना शुरू हो चुका है, और खरीफ सीजन के लिए मूंगफली की खेती किसानों के लिए मुनाफे का बड़ा रास्ता खोल रही है। ये फसल साल में दो बार उगाई जा सकती है, लेकिन 1 से 15 जून तक बुवाई का समय सबसे आदर्श माना जाता है, जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है। मूंगफली की उन्नत किस्में जैसे जे.जी.एन 3, जे.जी.एन 23, टी.जी 37, जे.एल 501, और फुले प्रजाति कम समय में अच्छी पैदावार देती हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप बिसेन के अनुसार, इन किस्मों से प्रति हेक्टेयर 15 से 25 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। कम लागत और बाजार में भारी माँग की वजह से मूंगफली की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है।

मूंगफली की खेती क्यों खास

मूंगफली एक तिलहन फसल है, जिसके दाने और तेल की बाजार में हमेशा माँग रहती है। ये फसल रबी फसलों की कटाई के बाद खाली खेतों में अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकती है। मूंगफली मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और खेतों को कटाव से बचाती है। बरसात के मौसम में इसकी बुवाई से किसान सर्दियों में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, जब मूंगफली की कीमत बढ़ जाती है। कम लागत और 90 से 110 दिनों में तैयार होने की वजह से ये फसल छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए उपयुक्त है। बाजार में मूंगफली की अच्छी कीमत मिलने से ये खेती और आकर्षक हो जाती है।

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उन्नत किस्मों की खूबियाँ

मूंगफली की कई उन्नत किस्में खेती के लिए मुनाफेदार हैं।

जे.जी.एन 3 किस्म 100 से 105 दिनों में तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल उपज देती है।

जे.जी.एन 23 किस्म सिर्फ 90 से 95 दिनों में तैयार होकर 15 से 20 क्विंटल उपज देती है।

टी.जी 37 किस्म 100 से 105 दिनों में 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है।

जे.एल 501 किस्म 105 से 110 दिनों में तैयार होती है और 20 से 25 क्विंटल उपज देती है।

फुले प्रजाति, जो गुच्छेदार किस्म है, 90 से 100 दिनों में तैयार होकर 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। ये सभी किस्में कम समय में अच्छी कमाई का रास्ता खोलती हैं।

खेत की तैयारी का तरीका

मूंगफली की खेती के लिए खेत की सही तैयारी जरूरी है। बुवाई से पहले खेत की दो से तीन बार हल्की जुताई करनी चाहिए, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। बलुई दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी है, क्योंकि इसमें जल निकास अच्छा होता है। बुवाई से पहले खेत को समतल करने के लिए पाटा चलाना चाहिए। प्रति हेक्टेयर 5 टन गोबर की खाद डालने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इसके अलावा, 20 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 20 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर आधार खाद के रूप में डालना चाहिए। जिप्सम (250 किलो प्रति हेक्टेयर) और जिंक सल्फेट (25 किलो प्रति हेक्टेयर) का उपयोग उपज में 20-22 प्रतिशत तक बढ़ोतरी करता है।

बुवाई और देखरेख

मूंगफली की बुवाई 1 से 15 जून के बीच करनी चाहिए, जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से कम हो। गुच्छेदार किस्मों (जैसे फुले प्रजाति) के लिए 100 किलो बीज और फैलने वाली या अर्ध-फैलने वाली किस्मों (जैसे जे.एल 501) के लिए 80 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त हैं। बुवाई से पहले बीजों को कार्बोक्सिन और थाइरम (2.5 ग्राम प्रति किलो बीज) या राइजोबियम और फॉस्फोरस घोलक जीवाणु (5-10 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करना चाहिए। गुच्छेदार किस्मों में कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद इमेजेथापायर (400 मिली प्रति एकड़) का छिड़काव करना चाहिए।

मूंगफली की खेती शुरू करने से पहले नजदीकी कृषि केंद्र से सर्टिफाइड बीज और खेती की जानकारी लेनी चाहिए। बरसात में जल निकास पर खास ध्यान देना चाहिए, ताकि फसल खराब न हो। कीटों जैसे सफेद लट और दीमक से बचाव के लिए बुवाई से पहले फोरेट 10 जी (20-25 किलो प्रति हेक्टेयर) का उपयोग करें। जून में मूंगफली की बुवाई करके किसान इस खरीफ सीजन में मोटी कमाई का मौका पकड़ सकते हैं।

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  • Shashikant

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