ऐसे करें तोरी की खेती मंडी में मिलेंगे दोगुने रेट, जानिए पूरी प्रक्रिया

Tori ki Kheti kaise karen: तोरी की खेती आजकल किसान भाइयों के लिए कमाई का शानदार रास्ता बन रही है। ये ऐसी फसल है, जो कम मेहनत और कम खर्च में अच्छा मुनाफा दे सकती है। फरीदाबाद और हरियाणा के कई गांवों में किसान तोरी उगा रहे हैं और मंडी में 20-25 रुपये प्रति किलो के दाम पा रहे हैं। इस बार की कमाई पिछले साल से कहीं बेहतर है। अगर आप अपने खेत में कुछ नया और फायदेमंद आजमाना चाहते हैं, तो तोरी की खेती आपके लिए सही विकल्प हो सकती है। आइए, जानते हैं कि इसे कैसे उगाएं, कितना खर्च आता है और मुनाफा कैसे बढ़ाया जाए।

खेत की तैयारी का देसी जुगाड़

तोरी की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना सबसे जरूरी है। पहले हल या हेरो से खेत को जोत लें, ताकि मिट्टी भुरभुरी और मुलायम हो जाए। इसके बाद रोटावेटर से मिट्टी को और बारीक करें। अगर खेत में पुरानी फसल के ठूंठ या अवशेष बचे हैं, तो उन्हें जलाने की बजाय मिट्टी में मिला दें। ये मिट्टी को ताकत देगा और खाद का खर्च भी बचेगा। मिट्टी की जांच कराना फायदेमंद है, ताकि पता चले कि मिट्टी में कौन से पोषक तत्व कम हैं। तोरी की खेती के लिए 6.0 से 7.0 pH वाली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। खेत को समतल करें, ताकि पानी जमा न हो।

सही बीज चुनें और बुवाई करें

अच्छी पैदावार के लिए बीज का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। अपने इलाके के मौसम और मिट्टी के हिसाब से ‘ब्लैक ब्यूटी’ या ‘गोल्ड रश’ जैसी किस्में चुनें। ये किस्में गर्म और नम मौसम में अच्छा करती हैं। बीज बोते समय दो पौधों के बीच डेढ़ से दो फुट का फासला रखें, ताकि पौधों को बढ़ने की पूरी जगह मिले। बीज को करीब छह इंच की गहराई में बोना चाहिए। आधे एकड़ में 300-400 ग्राम बीज काफी हैं। बुवाई के बाद हल्का पानी दें, ताकि मिट्टी नम रहे। गर्म मौसम में बीज जल्दी अंकुरित हो जाते हैं। 45-50 दिन में फसल तैयार होकर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

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तोरी की खेती में लागत ज्यादा नहीं आती। आधे एकड़ में 3,000-4,000 रुपये का खर्च होता है, जिसमें बीज, खाद और मजदूरी शामिल है। खाद के लिए डीएपी का इस्तेमाल करें, लेकिन यूरिया से बचें। जुताई के समय आधा बोरी डीएपी मिट्टी में मिला दें। अगर गोबर की खाद या कम्पोस्ट है, तो उसे भी डालें। इससे मिट्टी की ताकत बढ़ेगी। हर हफ्ते सिंचाई करें, ताकि पौधों को सही नमी मिले। ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें तो पानी की बचत होगी। ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए इस बात का ध्यान रखें।

कीट और बीमारियों से बचाव

तोरी की फसल को कीट और बीमारियों से बचाना जरूरी है। खरपतवार को समय-समय पर हल्की निराई-गुड़ाई करके हटाएं। ककड़ी बीटल या थ्रिप्स जैसे कीटों से बचने के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक छिड़कें। अगर पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा दिखे, तो ये पाउडर मिल्ड्यू हो सकता है। इसके लिए कार्बेन्डाजिम का हल्का छिड़काव करें। पौधों के बीच हवा का प्रवाह अच्छा रखें, ताकि बीमारियां कम हों।

तोरी की कटाई तब करें, जब फल 6-8 इंच लंबे और नरम हों। इस समय फल स्वादिष्ट होते हैं और मंडी में इनकी मांग ज्यादा रहती है। हर 2-3 दिन में कटाई करें, ताकि पौधे नए फल देते रहें। कटाई के बाद फलों को ठंडी जगह पर रखें, ताकि ताजगी बनी रहे। मंडी में तोरी की डिमांड बढ़ रही है, खासकर बड़े शहरों में। सही समय पर बेचने से 20-25 रुपये प्रति किलो तक मिल सकते हैं। आधे एकड़ से 5,000-6,000 किलो तक पैदावार हो सकती है, जो अच्छा मुनाफा देगी।

मुनाफा बढ़ाने के टिप्स

तोरी की खेती से ज्यादा कमाई के लिए कुछ देसी नुस्खे आजमाएं। छोटे और ताजे फल बेचें, क्योंकि इनकी मांग ज्यादा है। जैविक खेती अपनाएं, इससे दाम बढ़िया मिलते हैं। मंडी के अलावा स्थानीय होटल और सुपरमार्केट से संपर्क करें। गर्मियों में तोरी की डिमांड बढ़ती है, इसका फायदा उठाएं।

तोरी की खेती कम लागत में बंपर मुनाफा दे सकती है। थोड़ी सी मेहनत और सही तरीके से आप अपने खेत को हरा-भरा और जेब को भरा-भरा रख सकते हैं। तो देर न करें, तोरी की खेती शुरू करें और अच्छी कमाई का मजा लें!

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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