आजमगढ़ के किसानों की किस्मत बदली, अब खेत से ही बिकेगी फसल और होगा छप्परफाड़ मुनाफा!

आजमगढ़ के किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर है! अब पारंपरिक फसलों के अलावा एक ऐसी खेती का मौका मिल रहा है, जो कम मेहनत और कम लागत में बंपर मुनाफा दे सकती है। हम बात कर रहे हैं नेपियर घास की, जिसे हाथी घास भी कहते हैं। आजमगढ़ में जल्द ही बायोगैस प्लांट शुरू होने वाले हैं, जिससे नेपियर घास की डिमांड बढ़ रही है। ये घास न सिर्फ पशुओं के लिए पौष्टिक चारा है, बल्कि अब बायोगैस प्लांट के लिए भी इसका औद्योगिक इस्तेमाल होगा।

बायोगैस प्लांट और नेपियर घास की डिमांड

आजमगढ़ में 75 करोड़ रुपये की लागत से दो बायोगैस प्लांट बन रहे हैं, जो 6 टन और 3 टन बायोगैस रोज बनाएंगे। इन प्लांट्स को चलाने के लिए 190 हेक्टेयर नेपियर घास की जरूरत होगी। एक दिन के लिए एक प्लांट को करीब दो बीघे की घास चाहिए। कंपनियां किसानों से अनुबंध करके सीधे खेत से घास खरीदेंगी। इससे किसानों को मंडी ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक एकड़ से सालाना 300-400 क्विंटल हरा चारा मिल सकता है, जिसे 1-2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। बायोगैस से बनी गैस वाहनों और घरों में इस्तेमाल होगी, जिससे डीजल-पेट्रोल पर निर्भरता कम होगी।

खेत की तैयारी और बुवाई का आसान तरीका

नेपियर घास की खेती शुरू करने के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना पड़ता है। पहले हल या ट्रैक्टर से खेत को जोत लें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। दोमट या चिकनी मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी है, लेकिन ये घास लगभग हर मिट्टी में उग जाती है। नेपियर घास के बीज नहीं होते, बल्कि इसके डंठल (नेपियर स्टिक) से बुवाई होती है। एक बीघे में करीब 4,000 डंठल लगते हैं। डंठल को डेढ़ से दो फुट की दूरी पर, 6-8 इंच गहराई में रोपें। जुलाई-अक्टूबर या फरवरी-मार्च में बुवाई सबसे अच्छी रहती है। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। एक बार रोपने के बाद ये घास 5-7 साल तक हरा चारा देती है।

ये भी पढ़ें- गन्ने के साथ अब उगेगा धान! कृषि वैज्ञानिकों की नई खोज से खेती में आएगी क्रांति

खाद और पानी का सही प्रबंधन

नेपियर घास की खेती में खर्च बहुत कम आता है। आधे एकड़ में 5,000-7,000 रुपये की लागत से शुरुआत हो सकती है। आखिरी जुताई के समय 8-10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ डालें। इसके अलावा 15-20 किलो नाइट्रोजन और 25 किलो फॉस्फोरस डालना फायदेमंद है। हर कटाई के बाद 10-12 किलो नाइट्रोजन डालें, ताकि घास जल्दी उगे। सिंचाई की बात करें तो गर्मियों में हर 10-15 दिन और सर्दियों में 20-25 दिन में पानी दें। ड्रिप इरिगेशन से पानी की बचत होती है। ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए सावधानी रखें।

क्यों है नेपियर घास खास

नेपियर घास की खेती कम लागत में लंबे समय तक कमाई देती है। ये बंजर जमीन पर भी उग सकती है और ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती। आजमगढ़ के बायोगैस प्लांट्स की वजह से इसकी डिमांड बढ़ रही है, और किसानों को सीधे खेत से घास बेचने का मौका मिलेगा। साथ ही, बायोगैस प्लांट से निकलने वाला कचरा जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल हो सकता है, जो खेती को और फायदेमंद बनाएगा।

ये भी पढ़ें- किसान अपनाएं यह हाईब्रिड पत्तागोभी किस्म, सालभर में कमाएं लाखों, जानिए एक्सपर्ट की राय

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment