पठारी ज़मीन पर भी उगेगा सोना बस बो दीजिए ये धान की गुप्त किस्में, पानी कम, मुनाफ़ा ज़्यादा!

धान की खेती हमारे देश का गौरव है, लेकिन पानी की कमी और बढ़ता खर्चा किसानों के लिए चुनौती बन रहा है। बारिश का भरोसा नहीं, और ट्यूबवेल चलाने में जेब ढीली हो जाती है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी धान की किस्में विकसित की हैं, जो कम पानी में भी लहलहाती हैं और मुनाफा बढ़ाती हैं। MTU-1010, पूसा सुगंध-5, स्वर्ण शुष्क, और सबर मंसूरी जैसी किस्में उन इलाकों के लिए वरदान हैं, जहाँ पानी कम है या पठारी जमीन है।

कम पानी में लहलहाती किस्में

कृषि वैज्ञानिकों ने कई ऐसी धान की किस्में तैयार की हैं, जो सूखा प्रभावित और कम पानी वाले इलाकों में शानदार पैदावार देती हैं। MTU-1010 एक ऐसी किस्म है, जिसे बिना रोपाई के सीधे बोया जा सकता है। ये पठारी इलाकों के लिए खास है और कम पानी में डेढ़ गुना ज्यादा उपज देती है। रीवा के कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, ये किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है और 30-35 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार दे सकती है। इसी तरह, स्वर्ण शुष्क भी कम पानी में 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है। ये किस्म रोगों और कीटों से लड़ने में मज़बूत है, जिससे कीटनाशकों का खर्चा कम होता है।

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पूसा सुगंध-5 की खासियत

पूसा सुगंध-5 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक हाइब्रिड किस्म है, जो सुगंधित और लंबे दानों के लिए जानी जाती है। ये 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है और 50-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है। इसके दाने पतले और सुगंधित हैं, जो बिरयानी और पुलाव जैसे व्यंजनों के लिए बाजार में खूब पसंद किए जाते हैं। इसकी माँग न सिर्फ़ भारत में, बल्कि अमेरिका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भी है। कम पानी में तैयार होने वाली इस किस्म ने कई किसानों की कमाई को दोगुना कर दिया। मंडी में इसके दानों को ऊँचा दाम मिलता है, जिससे मुनाफा बढ़ता है।

खेती का सही तरीका

इन नई किस्मों की खेती के लिए मिट्टी की जाँच बहुत जरूरी है। खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी न हो, इसके लिए पहले मिट्टी टेस्ट करवाएँ। स्थानीय कृषि केंद्रों से ये सुविधा आसानी से मिल जाती है। MTU-1010 और सबर मंसूरी जैसी किस्मों को जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई की शुरुआत में बोना चाहिए। खेत को अच्छे से जोत लें और गोबर की खाद डालें। स्वर्ण शुष्क और पूसा सुगंध-5 को कम पानी में भी बोया जा सकता है, लेकिन शुरुआती दिनों में हल्की सिंचाई जरूरी है। अगर ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें, तो पानी की और बचत होगी। बीज हमेशा भरोसेमंद दुकान या सरकारी केंद्र से लें, ताकि नकली बीज की दिक्कत न हो।

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सरकार का साथ

मध्य प्रदेश सरकार किसानों को धान की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 4000 रुपये की अतिरिक्त मदद दे रही है। ये योजना उन किसानों के लिए खास है, जो कम पानी वाली किस्में जैसे सबर मंसूरी और पूसा 834 बासमती बो रहे हैं। इन किस्मों की खेती में लागत कम लगती है, क्योंकि ये रोगों और कीटों से कम प्रभावित होती हैं। कई किसानों ने बताया कि इन किस्मों ने उनकी खेती का खर्चा 20-30% तक कम किया, और पैदावार पहले से ज्यादा मिली। मंडी में इनके दानों की क्वालिटी की वजह से अच्छा दाम मिलता है, जिससे जेब भारी होती है।

क्यों जरूरी हैं ये किस्में

पानी की कमी और सूखे की मार ने धान की खेती को मुश्किल बना दिया है। लेकिन MTU-1010, पूसा सुगंध-5, स्वर्ण शुष्क, और सबर मंसूरी जैसी किस्में इस मुश्किल को आसान कर रही हैं। ये किस्में न सिर्फ़ कम पानी में अच्छी पैदावार देती हैं, बल्कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों का खर्चा भी कम करती हैं। कृषि वैज्ञानिकों और अनुभवी किसानों की सलाह के आधार पर इन्हें तैयार किया गया है, ताकि छोटे और सीमांत किसानों को भी फायदा हो। अगर आप धान की खेती करते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि केंद्र से इन किस्मों के बारे में पूछें और अपनी खेती को मुनाफे में बदलें। ये नई किस्में आपके खेतों में नई उम्मीद लेकर आएँगी।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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