मटके में करें मशरूम की खेती, कम लागत में जबरदस्त उत्पादन की आसान तकनीक

किसान भाइयों, भारत में मशरूम की माँग तेजी से बढ़ रही है, मशरूम न केवल पोषक तत्वों से भरपूर है, बल्कि इसे कम जगह और लागत में उगाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। मटके में मशरूम उगाने की तकनीक, जिसे राजस्थान के श्रीगंगानगर के कृषि अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. एसके बैरवा ने विकसित किया, पर्यावरण अनुकूल और किफायती है। यह तकनीक विशेष रूप से ऑयस्टर मशरूम (ढींगरी) के लिए उपयुक्त है, जिसे घर पर आसानी से उगाया जा सकता है। यह लेख मटके में मशरूम की खेती, तकनीक, सामग्री, देखभाल, लाभ, और चुनौतियों पर विस्तृत जानकारी देगा।

मटके में मशरूम खेती क्यों चुनें

मशरूम की खेती पारंपरिक रूप से पॉलीबैग या बड़े सेटअप में की जाती है, जो महँगा और जटिल हो सकता है। मटके में खेती कम लागत, कम जगह, और पर्यावरण के लिए लाभकारी है। पुराने मटके का उपयोग कर प्लास्टिक कचरे को कम किया जा सकता है। ऑयस्टर मशरूम को मटके में उगाना आसान है, क्योंकि यह 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70-90% आर्द्रता में तेजी से बढ़ता है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बिहार के पटना, और राजस्थान के जयपुर जैसे क्षेत्रों की जलवायु इसके लिए उपयुक्त है। यह तकनीक शहरी बागवानों और छोटे किसानों के लिए आदर्श है।

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आवश्यक सामग्री और तकनीक

मटके में मशरूम उगाने के लिए निम्नलिखित सामग्री चाहिए:

  • मटका: 12-18 इंच ऊँचा मटका, जिसमें 8-10 छोटे छेद (1-2 सेमी) हों।

  • भूसा: गेहूँ या धान का भूसा, जो साफ और सूखा हो।

  • स्पॉन (मशरूम बीज): ऑयस्टर मशरूम का ताजा स्पॉन, KVK या विश्वसनीय नर्सरी से।

  • रसायन: कार्बेंडाजिम (0.1%) और फॉर्मेलिन (0.5%) भूसे को कीटाणुरहित करने के लिए।

  • रूई और कपड़ा: छेद बंद करने और नमी बनाए रखने के लिए।

तकनीक:

  1. भूसे की तैयारी: भूसे को 24 घंटे पानी में भिगोएँ। फिर इसे निकालकर 0.1% कार्बेंडाजिम और 0.5% फॉर्मेलिन के घोल में 2 घंटे डुबोएँ। भूसे को छाया में सुखाएँ, ताकि 60-70% नमी बनी रहे।

  2. मटके की तैयारी: मटके को साफ करें और चारों ओर 8-10 छेद करें। मटके के तल में 2-3 इंच भूसा डालें।

  3. स्पॉन डालना: 1 किलो भूसे के लिए 100 ग्राम स्पॉन उपयोग करें। भूसे की परत पर स्पॉन छिड़कें और हल्के से दबाएँ। इस तरह 3-4 परतें बनाएँ।

  4. बंद करना: मटके के छेदों को रूई से बंद करें और ऊपरी हिस्से को नम कपड़े से ढकें। मटके को अंधेरे, हवादार स्थान (20-30 डिग्री सेल्सियस) पर रखें।

  5. नमी बनाए रखना: रोज कपड़े पर पानी का छिड़काव करें, ताकि 80-90% आर्द्रता बनी रहे।

देखभाल और रखरखाव का विशेष ध्यान

मशरूम की वृद्धि के लिए सही तापमान, आर्द्रता, और अंधेरा जरूरी है। पहले 15-20 दिन (स्पॉन रनिंग) में मटके को हिलाएँ नहीं। इस दौरान माइसेलियम (सफेद धागे) भूसे में फैलता है। 15 दिन बाद कपड़ा हटाएँ और छेदों से छोटे मशरूम (पिनहेड्स) दिखने पर रूई हटाएँ। रोज 2-3 बार पानी का छिड़काव करें, लेकिन भूसे को गीला न करें।

कीटों (फल मक्खी) और फफूंद से बचाव के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। KVK सलाह देता है कि स्पॉन 7-10 दिन पुराना हो, क्योंकि पुराना स्पॉन खराब हो सकता है। मटके को सीधी धूप और तेज हवा से बचाएँ। पहली फसल 25-30 दिन में तैयार होती है, और एक मटके से 2-3 किलो मशरूम मिल सकता है।

कटाई और उत्पादन की सम्भावना

मशरूम की तुड़ाई तब करें, जब टोपी पूरी तरह खुलने से पहले किनारे ऊपर की ओर मुड़े हों। मशरूम को हल्के से मोड़कर तोड़ें। एक मटके से 2-3 फसल चक्र (हर 15-20 दिन में) में 5-7 किलो मशरूम मिल सकता है। ताजा मशरूम को कपड़े से साफ करें और 250-500 ग्राम के पैकेट में बेचें। इसे रेफ्रिजरेटर में 7-8 दिन तक रखा जा सकता है।

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मुनाफा और बाजार में मांग

मटके में मशरूम खेती के कई लाभ हैं। यह कम लागत (प्रति मटका 200-300 रुपये) में शुरू हो सकती है। 10 किलो भूसे के लिए 1000-1500 रुपये की लागत पर 10-15 किलो मशरूम मिलता है, जो 120-300 रुपये/किलो बिकता है। इससे प्रति मटका 1500-3000 रुपये का मुनाफा संभव है। ऑयस्टर मशरूम में प्रोटीन, विटामिन B, और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद हैं।

शहरी बाजारों (लखनऊ, पटना, जयपुर) में मशरूम की माँग बढ़ रही है। होटल, रेस्तराँ, और जैविक स्टोर्स में यह अच्छे दामों पर बिकता है। मशरूम से पापड़, अचार, और सूप पाउडर बनाकर अतिरिक्त आय हो सकती है। उत्तर प्रदेश में सरकार 50% सब्सिडी और प्रशिक्षण प्रदान करती है।

किसानों के सामने क्या क्या समस्या आ सकती हैं

मटके में खेती में आर्द्रता बनाए रखना और कीटों से बचाव चुनौती है। अधिक नमी से फफूंद और कम नमी से माइसेलियम सूख सकता है। नियमित छिड़काव और हवादार स्थान इसका समाधान है। फल मक्खी से बचने के लिए फेरोमोन ट्रैप और नीम तेल उपयोग करें। छोटे मटके में उत्पादन सीमित होता है; बड़े मटके या एक साथ कई मटके उपयोग करें।

मटके में मशरूम खेती कम लागत में जबरदस्त मुनाफा देती है। यह तकनीक पर्यावरण अनुकूल, आसान, और शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। ऑयस्टर मशरूम की बढ़ती माँग और सरकारी समर्थन से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, और राजस्थान के किसान इसे अपनाकर आय बढ़ा सकते हैं। ICAR और KVK की सलाह के साथ आज ही मटके में मशरूम उगाएँ और आत्मनिर्भर बनें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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