खेती-किसानी हमारी ज़िंदगी का आधार है, और इसके लिए ज़मीन, पानी, और हरियाली का स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है। उत्तर प्रदेश ने पर्यावरण को बचाने और हरियाली बढ़ाने में एक नया कीर्तिमान बनाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य ने 2024-25 में कैम्पा निधि के ज़रिए देश में सबसे ज़्यादा वनीकरण का लक्ष्य हासिल किया है। इस काम से न सिर्फ़ जंगल बढ़ रहे हैं, बल्कि खेतों की मिट्टी, पानी, और वन्यजीवों का संरक्षण भी हो रहा है, जो हमारे किसान भाइयों के लिए बहुत फायदेमंद है। आइए जानें कि उत्तर प्रदेश ने यह कमाल कैसे किया और यह हमारी खेती को कैसे बेहतर बना सकता है।
कैम्पा निधि से जंगलों की नई सैर
उत्तर प्रदेश ने 2024-25 में कैम्पा निधि का इस्तेमाल करके 38,092 हेक्टेयर के लक्ष्य में से 32,933 हेक्टेयर में पेड़ लगाए। यानी, करीब 86% लक्ष्य पूरा हो चुका है, जो पूरे देश में सबसे ज़्यादा है। यह काम शिवालिक, काशी वन्यजीव, और वाराणसी वन प्रभागों ने मिलकर किया। बाकी बचे 3,261 हेक्टेयर में भी जल्दी ही पेड़ लगाए जाएँगे। यह इसलिए खास है क्योंकि जंगल हमारी खेती को कई तरह से मदद करते हैं। पेड़ मिट्टी को मज़बूत करते हैं, बारिश लाने में मदद करते हैं, और हवा को साफ रखते हैं। इससे हमारे खेतों में फसल अच्छी होती है और पानी की कमी भी कम होती है।
खेती के लिए जंगल क्यों ज़रूरी
किसान भाइयों, आप तो जानते हैं कि खेती के लिए अच्छी मिट्टी और पानी का होना कितना ज़रूरी है। कैम्पा निधि से उत्तर प्रदेश ने जंगल बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी और पानी को बचाने के कई काम किए। जैसे, जलग्रहण क्षेत्रों को बेहतर बनाया गया, ताकि बारिश का पानी खेतों तक सही से पहुँचे। मिट्टी को कटने से बचाने के लिए भी काम हुआ, जिससे खेतों की उर्वरता बनी रहती है। इसके अलावा, वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाए गए, ताकि जंगली जानवर खेतों को नुकसान न पहुँचाएँ। इन सब कामों से हमारे खेतों को लंबे समय तक फायदा होगा।
ये भी पढ़ें- सिंचाई की टेंशन खत्म! सरकार दे रही इस योजना पर 75% अनुदान, अभी करें आवेदन
जटायु केंद्र: गिद्धों की रक्षा, खेती की मदद
उत्तर प्रदेश ने कैम्पा निधि से एक अनोखा काम किया है। महाराजगंज की कैपियरगंज रेंज में सितंबर 2024 में जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र शुरू किया गया। यह दुनिया का पहला ऐसा केंद्र है, जो एशियाई गिद्धों को बचाने के लिए बनाया गया है। गिद्ध हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ज़रूरी हैं। ये मरे हुए जानवरों को खाकर पर्यावरण को साफ रखते हैं, जिससे बीमारियाँ कम होती हैं। अगर पर्यावरण साफ रहेगा, तो हमारे खेतों में कीटों और बीमारियों का खतरा भी कम होगा। इस तरह, यह केंद्र न सिर्फ़ वन्यजीवों को बचा रहा है, बल्कि हमारी खेती को भी फायदा पहुँचा रहा है।
वन कर्मचारियों और गाँवों को मिला सहारा
कैम्पा निधि का पैसा सिर्फ़ पेड़ लगाने के लिए ही नहीं, बल्कि जंगल की देखभाल करने वालों को भी मदद दे रहा है। वन विभाग के कर्मचारियों के लिए नए घर बनाए गए, ताकि वे जंगल के पास रहकर उसकी अच्छे से देखभाल कर सकें। गाँवों में पेट्रोलिंग चौकियाँ बनाई गईं, जिससे जंगली जानवरों से खेतों की सुरक्षा हो सके। सोलर वाटर पंप और हाईटेक नर्सरियाँ भी बनाई गईं, ताकि पेड़ों को पानी मिले और नए पौधे आसानी से तैयार हों। इन सब कामों से गाँव के लोग और किसान सीधे तौर पर जुड़े हैं, क्योंकि जंगल और खेती एक-दूसरे के पूरक हैं।
और हरा-भरा उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश ने 2025-26 के लिए 1,896 हेक्टेयर में और पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है। यह काम जलवायु परिवर्तन से निपटने और हरियाली बढ़ाने में मदद करेगा। ज्यादा जंगल मतलब ज्यादा बारिश, साफ हवा, और मज़बूत मिट्टी। यह सब हमारे खेतों के लिए वरदान है। अगर हम अपने खेतों के आसपास पेड़ लगाएँ, जैसे नीम, आम, या शीशम, तो खेतों को छाया मिलेगी, मिट्टी बचेगी, और कीटों का प्रकोप भी कम होगा। उत्तर प्रदेश का यह प्रयास हमें सिखाता है कि खेती और जंगल साथ-साथ चल सकते हैं।
ये भी पढ़ें- यूपी के किसानों के लिए खुशखबरी! इन फसलों पर मिलेगा 50% अनुदान, आज ही करें आवेदन