पंजाब में खेती किसानों की रीढ़ है, लेकिन अब सरकार का कहना है कि खेती उतनी मुनाफेदार नहीं रही। इसीलिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक नई लैंड पूलिंग नीति शुरू की है। उनका दावा है कि ये नीति किसानों को आय का स्थायी ज़रिया देगी और उन्हें राज्य के विकास में हिस्सेदार बनाएगी। लेकिन विपक्ष और कुछ किसान संगठन इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं। आखिर ये नीति है क्या, और ये किसानों के लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक?
लैंड पूलिंग नीति क्या है
पंजाब सरकार की इस नीति का मकसद शहरों का योजनाबद्ध विकास करना है। भगवंत मान का कहना है कि ये नीति पूरी तरह स्वैच्छिक है। कोई भी किसान अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़मीन दे सकता है, और बदले में उसे विकसित शहरी इलाकों में आवासीय और व्यावसायिक भूखंड मिलेंगे। उदाहरण के लिए, हर एकड़ ज़मीन के बदले 1000 वर्ग गज का आवासीय प्लॉट और 200 वर्ग गज का व्यावसायिक स्थान दिया जाएगा। सरकार का दावा है कि इन भूखंडों की कीमत मौजूदा ज़मीन से 3-4 गुना ज़्यादा होगी। सड़क, बिजली, पानी, और नालियों जैसी सुविधाएँ सरकार बनाएगी, जिससे ज़मीन की कीमत बढ़ेगी। लेकिन इस नीति के तहत लुधियाना में 24,311 एकड़ ज़मीन लेने की योजना ने विवाद खड़ा कर दिया है।
जबरन अधिग्रहण नहीं होगा
मुख्यमंत्री मान ने साफ कहा कि कोई ज़मीन जबरन नहीं ली जाएगी। पटियाला में एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि ये नीति किसानों की सहमति से लागू होगी। जो किसान अपनी ज़मीन देना नहीं चाहते, वो खेती जारी रख सकते हैं। मान का कहना है कि ये नीति पारदर्शी है और पुरानी सरकारों की तरह भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देगी। उन्होंने पहले की सरकारों पर आरोप लगाया कि वो ज़मीनें सस्ते में खरीदकर अपने चहेतों को मुनाफा पहुंचाते थे। अब सरकार का दावा है कि ये नीति किसानों को सीधा फायदा देगी, क्योंकि विकसित भूखंड उनकी आय का स्थायी स्रोत बन सकते हैं।
विपक्ष और किसानों का विरोध
विपक्षी दल, जैसे शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस, इस नीति को किसानों के लिए नुकसानदायक बता रहे हैं। उनका कहना है कि लुधियाना के 44 गाँवों की 24,311 एकड़ उपजाऊ ज़मीन को शहरीकरण के लिए लेना खेती को नष्ट कर देगा। अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इसे “ज़मीन लूट” का नाम दिया और कहा कि इससे किसान बेरोज़गार हो जाएँगे। कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने भी कहा कि पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्य में हरे-भरे खेतों को कंक्रीट में बदलना गलत है। कुछ किसान संगठनों ने भी इस नीति को “छिपा हुआ ज़मीन हड़पने” का तरीका बताया और लुधियाना में प्रदर्शन किए।
अवैध कॉलोनियों पर नकेल
मान ने कहा कि पंजाब में अवैध कॉलोनियाँ एक बड़ी समस्या हैं, जिनमें बिजली, पानी, और नालियों जैसी सुविधाएँ नहीं होतीं। इसके लिए उन्होंने पुरानी सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया। उनकी नीति का मकसद ऐसी बेतरतीब कॉलोनियों को रोकना और योजनाबद्ध विकास करना है। लेकिन कुछ किसान संगठनों का कहना है कि सरकार ने इस नीति पर उनकी सलाह नहीं ली, जिससे उनमें अविश्वास बढ़ रहा है।
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