120 दिन में तैयार! धान की इस किस्म से मिलेगी रिकॉर्ड तोड़ उपज, जानिए पूरी जानकारी

Sabour Sampann Paddy Variety: खरीफ का मौसम आते ही किसान भाई धान की नर्सरी तैयार करने में जुट गए हैं। कोई खेत की जुताई कर रहा है, तो कोई बिचड़ा डालने की तैयारी में है। खासकर जहानाबाद जिले में धान की नर्सरी का काम जोरों पर है। बिहार सरकार भी किसानों का साथ दे रही है और अनुदानित दर पर अच्छे बीज मुहैया करा रही है। इनमें सबौर संपन्न नाम की धान की किस्म खूब चर्चा में है। आइए जानते हैं कि यह किस्म क्या खासियत रखती है, कैसे मिल रहा है बीज, और कैसे यह आपके खेतों को सोना उगलने में मदद करेगी।

सरकारी मदद से आसान हुई खेती
बिहार सरकार ने किसानों की मेहनत को आसान बनाने के लिए अनुदानित दर पर धान के बीज देने का इंतजाम किया है। जहानाबाद के घोसी प्रखंड में इस बार सबौर संपन्न किस्म के धान का बीज भेजा गया है। सरकार ने 35 क्विंटल 58 किलोग्राम बीज का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 6 क्विंटल बीज किसानों को बाँटे जा चुके हैं। इसके अलावा, मिट्टी को ताकत देने के लिए 8 क्विंटल ढैचा का बीज भी बाँटा गया है।

इस बीज को लेने के लिए किसान भाइयों को पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद आपके मोबाइल पर एक ओटीपी आएगा। फिर आप नजदीकी ई-किसान भवन में जाकर बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद बीज ले सकते हैं। यह प्रक्रिया इतनी आसान है कि हर किसान इसका फायदा उठा सकता है।

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कितनी है बीज की कीमत?
घोसी प्रखंड के कृषि पदाधिकारी वीरेंद्र सिंह जी बताते हैं कि सबौर संपन्न किस्म का बीज अनुदानित दर पर सिर्फ 22 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। वहीं, ढैचा का बीज 42 रुपये प्रति किलो की दर से दिया जा रहा है। यह कीमत आम बाजार से काफी कम है, जिससे किसानों का खर्चा बचता है और अच्छी फसल की उम्मीद बढ़ती है। सरकार का मकसद है कि हर छोटे-बड़े किसान को सस्ते दाम पर अच्छा बीज मिले, ताकि खेती में मुनाफा हो।

सबौर संपन्न: एक खास किस्म की बात
सबौर संपन्न धान की ऐसी किस्म है, जो बिहार के किसानों के लिए वरदान बन रही है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम समय में तैयार हो जाती है। जहाँ आम धान की फसल को पकने में 5 महीने लगते हैं, वहीं सबौर संपन्न सिर्फ 100 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। यानी आप जल्दी फसल काटकर बाजार में बेच सकते हैं। इसकी उपज भी शानदार है प्रति हेक्टेयर 40 से 50 क्विंटल तक धान मिल सकता है।

खास बात यह है कि यह किस्म 14 दिन तक पानी में डूबने पर भी खराब नहीं होती। बिहार के उन इलाकों में, जहाँ बाढ़ का खतरा रहता है, यह किस्म किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। जहानाबाद के किसान इसकी खेती को खूब पसंद कर रहे हैं, क्योंकि यह ना सिर्फ जल्दी तैयार होती है, बल्कि अच्छी उपज भी देती है।

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क्यों चुनें सबौर संपन्न?
बिहार के गाँवों में धान की खेती पुराने तरीकों से होती रही है, लेकिन अब समय बदल रहा है। सबौर संपन्न जैसी नई किस्में किसानों को कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा दे रही हैं। यह किस्म कम पानी और कम समय में अच्छी फसल देती है, जिससे खेती का खर्चा भी कम होता है। इसके अलावा, यह बाढ़ जैसे हालात में भी टिकाऊ है, जो बिहार जैसे राज्य के लिए बहुत जरूरी है। अगर आप भी अपने खेत में धान की नर्सरी डालने की सोच रहे हैं, तो इस किस्म को ज़रूर आज़माएँ। यह आपके खेत को हरा-भरा और जेब को भरा-भरा रखेगी।

नर्सरी डालने की सही सलाह
धान की नर्सरी डालते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। सबसे पहले, अपने खेत को अच्छे से समतल करें ताकि पानी बराबर बँटे। खरपतवार को जड़ से हटाएँ, ताकि पौधे को पूरा पोषण मिले। बीज को बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोएँ और फिर कार्बेन्डाजिम जैसे फफूंदनाशक से उपचार करें। इससे बीज स्वस्थ रहेंगे और अंकुरण अच्छा होगा। नर्सरी के लिए 5-6 किलो बीज प्रति एकड़ काफी है।

जून के पहले हफ्ते तक नर्सरी डाल देना चाहिए, ताकि मानसून शुरू होते ही रोपाई हो सके। अगर आप सबौर संपन्न का बीज इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसकी देखभाल और भी आसान है, क्योंकि यह किस्म रोगों और कीटों से कम प्रभावित होती है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

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