मूंगफली में करें ये जुगाड़ न रोग लगेंगे, न आएंगे कीट, मूंगफली बन जाएगी ‘बादाम’

Moongfali Farming Tips: मूंगफली की खेती किसान भाइयों के लिए कमाई का एक शानदार जरिया है। इस फसल से लाखों रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है, लेकिन कीट और रोग इस फसल को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई बार तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। लेकिन चिंता न करें, कुछ सस्ते और देसी उपायों से आप अपनी मूंगफली की फसल को बचा सकते हैं। ये उपाय न सिर्फ कीट और रोग से छुटकारा दिलाएंगे, बल्कि फसल की पैदावार भी बढ़ाएंगे। इससे खेती का खर्च भी कम होगा और मुनाफा ज्यादा होगा।

बुवाई से पहले बीज का उपचार करें

मूंगफली की बुवाई से पहले बीज को सही तरीके से तैयार करना बहुत जरूरी है। अगर बीज स्वस्थ होंगे, तो फसल भी अच्छी होगी। इसके लिए आप एक किलो बीज में दो ग्राम थीरम और एक ग्राम 50 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम का मिश्रण मिलाएं। इस मिश्रण से बीज को उपचारित करने के बाद 5-6 घंटे तक सूखने दें। फिर मूंगफली के राइजोबियम कल्चर से बीज को दोबारा उपचारित करें। यह तरीका बीज को कीट और रोग से बचाता है और जमाव को बेहतर बनाता है। बाराबंकी के उपकृषि निदेशक श्रवण कुमार जी का कहना है कि इस छोटे से कदम से फसल को शुरू से ही मजबूती मिलती है।

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मिट्टी को बनाएं ताकतवर

मूंगफली की फसल से अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का उपजाऊ होना बहुत जरूरी है। इसके लिए गोबर की खाद सबसे अच्छा और सस्ता उपाय है। एक हेक्टेयर खेत में करीब पांच टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। यह मिट्टी को न सिर्फ पोषक तत्व देती है, बल्कि उसकी जल धारण करने की क्षमता भी बढ़ाती है। इससे पौधों को सही समय पर पानी और पोषण मिलता रहता है। गोबर की खाद से मिट्टी की सेहत सुधरती है, और फसल की गुणवत्ता भी बढ़ती है।

दीमक से बचाव का देसी जुगाड़

मूंगफली की फसल में दीमक की समस्या किसानों को बहुत परेशान करती है। यह फसल को जड़ से खराब कर सकती है। लेकिन एक सस्ता और देसी उपाय इस परेशानी को दूर कर सकता है। खेत की मिट्टी में नीम की खली मिलाएं। 1 हेक्टेयर में करीब 400 किलो नीम की खली काफी है। यह न सिर्फ दीमक को भगाती है, बल्कि मिट्टी को भी बेहतर बनाती है। नीम की खली का इस्तेमाल करने से फसल की पैदावार में 16 से 18 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह तरीका सस्ता भी है और पूरी तरह प्राकृतिक भी।

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खरपतवार से फसल को बचाएं

मूंगफली की फसल में खरपतवार किसी बड़े दुश्मन से कम नहीं हैं। ये फसल के पोषक तत्व चूस लेते हैं, जिससे पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर बुरा असर पड़ता है। खरपतवार की समस्या से निपटने के लिए बुवाई के दो दिन के अंदर खेत में पेंडीमेथालिन नामक खरपतवारनाशक का छिड़काव करें। इसके लिए 3 लीटर पेंडीमेथालिन को 500 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर खेत में छिड़कें। यह तरीका खरपतवार को जड़ से खत्म करता है और आपकी फसल को सुरक्षित रखता है।

कम खर्च में ज्यादा मुनाफा

ये उपाय न सिर्फ आपकी मूंगफली की फसल को कीट और रोग से बचाएंगे, बल्कि खेती का खर्च भी कम करेंगे। गोबर की खाद और नीम की खली जैसे प्राकृतिक तरीके मिट्टी को लंबे समय तक उपजाऊ रखते हैं। साथ ही, बीज उपचार और खरपतवारनाशक का सही इस्तेमाल फसल की पैदावार को बढ़ाता है। इन छोटे-छोटे कदमों से आप नुकसान को कम करके अपनी कमाई को कई गुना बढ़ा सकते हैं। तो देर किस बात की? अपने खेत में इन देसी जुगाड़ों को आजमाएं और मूंगफली की खेती से मोटा मुनाफा कमाएं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

    Krishitak.com के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि देशभर के किसानों तक सटीक, व्यावहारिक और नई कृषि जानकारी आसान भाषा में पहुँचे। मेरी कोशिश रहती है कि हर लेख पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो, जिससे वे खेती में आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

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