कीजिए काली मक्का की खेती, एक एकड़ से कमाई होगी 5 लाख रूपये

Kali Makka Ki Kheti: किसान भाइयों, क्या आप अपने खेत को सोने की खान बनाना चाहते हैं? काली मक्का की खेती एक ऐसा रास्ता है, जो कम मेहनत में बंपर मुनाफा दे सकता है। इसके एक भुट्टे का दाम बाजार में 200 रुपये तक जाता है, और इसकी मांग शहरों से लेकर ऑनलाइन मार्केट तक बढ़ रही है। ये न सिर्फ पौष्टिक है, बल्कि सेहत के लिए भी कमाल की है। इसका गहरा काला रंग और अनोखा स्वाद इसे खास बनाता है। चाहे आप छोटे खेत के मालिक हों या बड़े, काली मक्का की खेती आपके लिए कमाई का नया द्वार खोल सकती है। आइए जानें कि इसे कैसे उगाएं, बीज कहाँ से लें, और इससे मुनाफा कैसे कमाएं।

काली मक्का का अनोखा महत्व

काली मक्का, जिसे अक्सर “ब्लैक मेज” या “पर्पल कॉर्न” भी कहते हैं, एक दुर्लभ और पौष्टिक फसल है। इसके दाने गहरे काले या बैंगनी रंग के होते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, जिंक और फाइबर से भरपूर होते हैं। ये सेहत के लिए फायदेमंद है, खासकर कुपोषण, डायबिटीज और हृदय रोगों से लड़ने में। इसकी मांग शहरों में बढ़ रही है, जहाँ लोग इसे सलाद, स्नैक्स, और पौष्टिक आटे के लिए खरीदते हैं। सामान्य मक्का के मुकाबले इसका दाम ज्यादा है, इसे खरीफ जून-जुलाई में उगाकर अच्छी कमाई की जा सकती है।

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बीज कहाँ से लें

काली मक्का की खेती की शुरुआत अच्छे बीजों से होती है। किसान भाई अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या राज्य कृषि विभाग से प्रमाणित बीज ले सकते हैं। भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR), लुधियाना, ने काली मक्का की उन्नत किस्में जैसे HCQPM-1 और HCM-2 विकसित की हैं, जो उच्च पैदावार और रोग प्रतिरोधक हैं। निजी कंपनियों जैसे प्रोएग्रो और बायर की हाइब्रिड किस्में (प्रोएग्रो 4212, बायर 9126) भी बाजार में उपलब्ध हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Indiamart, AgriBegri, या Amazon Agriculture से भी सर्टिफाइड बीज खरीदे जा सकते हैं। खरीदते समय बीजों की अंकुरण दर (85% से ज्यादा) और वैधता तिथि चेक करें।

खेत को तैयार करने का तरीका

काली मक्का की खेती (Kali Makka Ki Kheti) के लिए खेत की सही तैयारी जरूरी है। जून से अगस्त के बीच खेत की जुताई शुरू करें। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए मोल्डबोर्ड हल से 2-3 बार जुताई करें। अगर गर्मियों में खेत खाली हो, तो 15-20 सेमी गहरी जुताई करें ताकि खरपतवार और कीट खत्म हों। खेत में 8-10 टन गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट प्रति हेक्टेयर डालें। मिट्टी में जिंक की कमी हो तो 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर मिलाएं। दोमट या बलुई मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी है, और मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 होना चाहिए। खेत में पानी का अच्छा निकास सुनिश्चित करें, क्योंकि जलभराव जड़ों को नुकसान पहुंचाता है।

बुवाई का सही तरीका

काली मक्का की बुवाई खरीफ में जून-जुलाई या जायद में मार्च-अप्रैल में करें। बीजों को बोने से पहले थायमेथोक्सम (6 मिली प्रति किलो बीज) या थायरम (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें ताकि फंगल रोगों से बचाव हो। बुवाई कतारों में करें, जिसमें पौधे से पौधे की दूरी 60-75 सेमी और कतार से कतार की दूरी 20-25 सेमी रखें। बीज को 3-5 सेमी गहराई पर बोएं। प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो बीज काफी है। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। ट्रैक्टर या सीड ड्रिल से मेंड़ बनाकर बुवाई करने से समय और मेहनत बचती है।

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देखभाल और पानी का प्रबंध

काली मक्का को तैयार होने में 90-95 दिन लगते हैं। बुवाई के 10-15 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें ताकि खरपतवार हटें, जो फसल को 35% तक नुकसान पहुंचा सकते हैं। जब पौधे घुटने तक बढ़ें (V8 चरण), फूल आने (VT चरण), या दाने भरने (GF चरण) के समय मिट्टी में नमी बनाए रखें। भुट्टे बनने के दौरान ज्यादा पानी चाहिए, इसलिए हर 8-10 दिन में हल्की सिंचाई करें। बारिश होने पर पानी जमा न हो। जैविक खाद या एनपीके उर्वरक (120:60:40 किलो प्रति हेक्टेयर) बुवाई के 30-45 दिन बाद डालें। ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और पैदावार 20-25% तक बढ़ सकती है।

कीट और रोगों से बचाव

काली मक्का तना छेदक कीट के प्रति सहनशील है, लेकिन कुछ रोग और कीट नुकसान पहुंचा सकते हैं। टांडों का गलना (सटॉक रॉट) एक आम समस्या है, जो तने और जड़ों को नष्ट करती है। इसके लिए कार्बेनडाज़िम (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। चेपा और थ्रिप्स पत्तियों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियाँ पीली पड़ती हैं। इन्हें रोकने के लिए थायमेथोक्सम (5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी) का स्प्रे करें। शाख की मक्खी छोटे पौधों को सुखा देती है, इसे रोकने के लिए इमीडाक्लोप्रिड (6 मिली प्रति लीटर पानी) का उपयोग करें। नियमित जाँच और खेत की सफाई से रोगों का खतरा कम होता है।

कटाई और प्रति एकड़ लाभ

काली मक्का की कटाई तब करें, जब दानों में 25% नमी हो। भुट्टों को धूप में सुखाएं ताकि नमी 13-14% रह जाए। भंडारण के लिए नमी 8-10% तक लाएँ। एक एकड़ में औसतन 1500-2000 भुट्टे मिल सकते हैं। अगर प्रति भुट्टा 200 रुपये भी मिले, तो कुल कमाई 3,00,000 से 4,00,000 रुपये हो सकती है। लागत (बीज, खाद, उर्वरक, श्रम, और सिंचाई) लगभग 15,000-20,000 रुपये प्रति एकड़ आती है। इस तरह, प्रति एकड़ शुद्ध लाभ 2,80,000 से 3,80,000 रुपये हो सकता है। अगर आप दानों को बेचें (50,000-60,000 रुपये प्रति क्विंटल), तो भी मुनाफा अच्छा रहता है। स्थानीय मंडियों, रेस्तराँ, या ऑनलाइन मार्केट में बेचकर ज्यादा फायदा कमाया जा सकता है।

काली मक्का की खेती कम मेहनत में बंपर मुनाफा देती है। सही बीज, समय पर बुवाई, और थोड़ी देखभाल से आप अपने खेत को समृद्ध बना सकते हैं। नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और आज ही काली मक्का की खेती शुरू करें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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