बासमती की खेती में अब नहीं होंगे ये 11 ज़हरीले कीटनाशक इस्तेमाल, सरकार ने लगाई रोक

पंजाब सरकार ने बासमती चावल की खेती में इस्तेमाल होने वाले 11 खतरनाक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह बैन 1 अगस्त 2025 से शुरू होगा और 60 दिनों तक लागू रहेगा। प्रतिबंधित कीटनाशकों में एसेफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफोस, प्रोपिकोनाज़ोल, थियामेथोक्सम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेन्डाजिम, ट्राइसाइक्लाजोल, टेबूकोनाजोल, और कार्बोफ्यूरॉन शामिल हैं। सरकार ने इस संबंध में मई 2025 में नोटिफिकेशन जारी किया, जिसका उद्देश्य बासमती की गुणवत्ता बनाए रखना और निर्यात में बाधाओं को रोकना है। यह फैसला किसानों और निर्यातकों के लिए राहत की खबर है, लेकिन एग्रोकेमिकल उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण है।

प्रतिबंध का कारण और सरकार का रुख

पंजाब सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार, इन कीटनाशकों की बिक्री, वितरण, और उपयोग बासमती उत्पादकों के हित में नहीं है। इनके इस्तेमाल से बासमती चावल में अधिकतम अवशिष्ट स्तर (MRL) से ज्यादा कीटनाशक अवशेष रहने का खतरा है, जो निर्यात मानकों को पूरा नहीं करता। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), लुधियाना ने बासमती के कीटों को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक और सुरक्षित कृषि रसायनों की सिफारिश की है। सरकार का कहना है कि यह कदम बासमती की विरासत को बचाने और निर्यात को सुगम बनाने के लिए ज़रूरी है।

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राइस मिलर्स एसोसिएशन की चेतावनी

पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने अपनी जांच में पाया कि कई बासमती नमूनों में इन कीटनाशकों के अवशेष MRL से कहीं अधिक थे। एसोसिएशन ने सरकार से इन रसायनों पर तत्काल रोक लगाने की माँग की थी, ताकि पंजाब की बासमती की साख बनी रहे। नोटिफिकेशन में कहा गया कि इन कीटनाशकों का उपयोग निर्यात और घरेलू खपत दोनों में बाधा डाल सकता है। बासमती का निर्यात भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, और पंजाब इसमें 60% से अधिक योगदान देता है। प्रतिबंध से निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।

कीटनाशक अवशेषों का खतरा

इन 11 कीटनाशकों के उपयोग से बासमती चावल में रासायनिक अवशेष बढ़ने का जोखिम है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यूरोपीय संघ और सऊदी अरब जैसे निर्यात बाजारों में MRL मानकों का सख्ती से पालन होता है। अवशेषों के कारण बासमती की खेपें रिजेक्ट होने से भारत की साख को नुकसान पहुँचता है। प्रतिबंध से बासमती की गुणवत्ता सुधरेगी, जिससे निर्यात बढ़ेगा और किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे।

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बासमती में कीट और रोग की चुनौती

बासमती धान की खेती में झोका रोग (Blast Disease) और जीवाणु झुलसा (Bacterial Leaf Blight) जैसे कीट और रोग प्रमुख चुनौतियाँ हैं। इनसे बचाव के लिए किसान अक्सर मजबूरी में कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। लेकिन इन रसायनों के अवशेष चावल में रह जाते हैं, जिससे निर्यात मानकों का उल्लंघन होता है। PAU ने जैविक और कम हानिकारक विकल्प सुझाए हैं, जैसे नीम-आधारित कीटनाशक और एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) तकनीक। इनके उपयोग से बासमती की फसल सुरक्षित रहेगी और निर्यात में कोई रुकावट नहीं आएगी।

अन्य राज्यों में भी बैन की संभावना

पंजाब के इस फैसले से प्रेरित होकर बासमती उत्पादक अन्य राज्य, जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और हिमाचल प्रदेश, भी समान प्रतिबंध लागू कर सकते हैं। ये राज्य भारत के बासमती निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हरियाणा के राइस मिलर्स ने पहले ही MRL उल्लंघन की शिकायतें उठाई थीं। अगर ये राज्य पंजाब का अनुसरण करते हैं, तो यह एग्रोकेमिकल उद्योग के लिए बड़ा झटका होगा, लेकिन बासमती किसानों और निर्यातकों के लिए दीर्घकालिक लाभकारी होगा।

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  • Shashikant

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