Kharif Crops: देश के किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर है! खरीफ सीजन 2025 की बुवाई ने रफ्तार पकड़ ली है। कृषि मंत्रालय के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक, इस साल 20 जून तक खरीफ फसलों की बुवाई 137.84 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक ये आँकड़ा 124.88 लाख हेक्टेयर था। यानी इस बार बुवाई में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है। धान और दलहन की खेती ने तो कमाल कर दिया है, लेकिन तिलहन की बुवाई में थोड़ी कमी देखी गई है। गन्ना और कपास की खेती भी बढ़ रही है। मानसून के पटरी पर लौटने से किसानों के चेहरों पर रौनक है।
धान की बुवाई में ज़बरदस्त उछाल
धान हमारा सबसे बड़ा खरीफ सिपाही है, और इस बार उसने बुवाई में बाजी मार ली है। इस साल धान की बुवाई 13.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल के 8.37 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 58 फीसदी ज्यादा है। इसका मतलब है कि हमारे खेतों में चावल की फसल लहलहाने को तैयार है। पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मानसून की अच्छी बारिश ने धान की रोपाई को रफ्तार दी है।
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दलहन ने भी दिखाया दम
दलहन की खेती में भी इस बार किसानों ने जोश दिखाया है। कृषि मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, दलहन की बुवाई 6.63 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 9.44 लाख हेक्टेयर हो गई है। खासकर उड़द और मूँग की खेती में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। उड़द की बुवाई 0.18 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 0.43 लाख हेक्टेयर हो गई, वहीं मूँग का रकबा 1.38 लाख हेक्टेयर से 1.56 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया।
हालाँकि, अरहर की बुवाई में थोड़ी कमी देखी गई है, जो 0.41 लाख हेक्टेयर से घटकर 0.30 लाख हेक्टेयर रह गई। कृषि विशेषज्ञ डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि दलहन की खेती बढ़ने से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी, क्योंकि ये फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन जोड़ती हैं।
तिलहन में कमी, लेकिन उम्मीद बाकी
तिलहन की खेती में इस बार थोड़ा झटका लगा है। पिछले साल 5.89 लाख हेक्टेयर में तिलहन की बुवाई हुई थी, लेकिन इस बार ये घटकर 5.38 लाख हेक्टेयर रह गई है। सोयाबीन की बुवाई में तो अच्छी बढ़ोतरी हुई है, जो 0.40 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1.07 लाख हेक्टेयर हो गई। लेकिन मूँगफली की बुवाई 0.71 लाख हेक्टेयर से घटकर 0.58 लाख हेक्टेयर रह गई। सूरजमुखी की बुवाई 0.22 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रही। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के आगे बढ़ने से तिलहन की बुवाई में सुधार हो सकता है, खासकर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में।
गन्ना और कपास की खेती में बढ़त
गन्ने की खेती भी इस बार अच्छी चल रही है। इस साल गन्ना 55.07 लाख हेक्टेयर में बोया गया है, जो पिछले साल के 54.88 लाख हेक्टेयर से थोड़ा ज्यादा है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों में गन्ने की खेती बढ़ी है। वहीं, कपास की खेती में भी किसानों ने रुचि दिखाई है। कपास का रकबा 29.12 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 31.25 लाख हेक्टेयर हो गया है। गुजरात और तेलंगाना के किसानों का कहना है कि कपास की अच्छी कीमत और समय पर बारिश ने उन्हें इसकी खेती के लिए प्रेरित किया।
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मानसून ने भरी उम्मीद की उड़ान
दक्षिण-पश्चिम मानसून इस साल कुछ समय के लिए रुका, लेकिन अब ये पटरी पर लौट आया है। मौसम विभाग का कहना है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश की रफ्तार बढ़ रही है। इस बार मानसून सामान्य से ज्यादा रहने की उम्मीद है, जो खरीफ फसलों के लिए वरदान साबित हो सकता है।
सरकार का साथ
केंद्र सरकार भी किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। हाल ही में 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की गई है। जैसे कि नाइजरसीड का MSP 820 रुपये प्रति क्विंटल और रागी का 596 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। इसके अलावा, परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती और बीजों पर सब्सिडी दी जा रही है। किसान अपने नज़दीकी कृषि केंद्र पर जाकर इन योजनाओं की जानकारी ले सकते हैं।
अगर आप भी खरीफ सीजन में बुवाई कर रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखें। समय पर बुवाई करें, क्योंकि मानसून की बारिश का सही इस्तेमाल फसल की पैदावार बढ़ा सकता है। जैविक खाद और नीम के तेल जैसे प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करें, ताकि मिट्टी की सेहत बनी रहे। साथ ही, स्थानीय कृषि केंद्र से संपर्क करके नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएँ।
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