भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IVRI), वाराणसी और विश्व बैंक मिलकर उत्तर प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसी कड़ी में विश्व बैंक की टीम ने राज्य को मिर्च उत्पादन और निर्यात का प्रमुख केंद्र बनाने की संभावनाएं तलाशने के लिए हाल ही में दौरा किया। इस मौके पर किसानों, वैज्ञानिकों, निर्यातकों और किसान उत्पादक संघों के प्रतिनिधियों के साथ गहन चर्चा हुई।
क्या है IVRI की योजना?
संस्थान के निदेशक डॉ. नागेंद्र राय के मुताबिक, IVRI की “एबीआई इकाई” मिर्च और मटर की खेती को बढ़ावा देकर किसानों को उद्यमी बनाने पर काम कर रही है। इसके तहत 10 से ज्यादा किसान संघों और 40 प्रगतिशील किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है। चर्चा में मिर्च-मटर की उन्नत किस्में, उत्पादन लागत, बाजार की चुनौतियाँ और निर्यात संभावनाओं पर ध्यान दिया गया।
किसानों के लिए खास हैं ये मटर की किस्में
संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. ज्योति ने बताया कि काशी उदय, काशी मुक्ति, काशी अगती, काशी नंदिनी और काशी तृप्ति जैसी मटर की प्रजातियाँ किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होंगी। ये किस्में कम समय में ज्यादा पैदावार देती हैं और बाजार में इनकी मांग भी अच्छी है।
विदेशों तक पहुंच रही है गाजीपुर की इंदु मिर्च
डॉ. राय ने बताया कि गाजीपुर की पातालगंगा मंडी से रोजाना 200 टन मिर्च का व्यापार होता है। यहाँ की इंदु मिर्च अपने पतले आकार और तीखे स्वाद के कारण बांग्लादेश, नेपाल, सऊदी अरब जैसे देशों में मशहूर है। तीन बार तुड़ाई के बाद इसकी गुणवत्ता और बेहतर हो जाती है, जो निर्यात में मदद करती है।
किसानों को विदेशी ट्रेनिंग का मौका
इस पहल के तहत वाराणसी मंडल के 19 किसानों को एक हफ्ते के प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा गया। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेती तकनीक, उर्वरक प्रबंधन और निर्यात गुणवत्ता के गुर सिखाए जा रहे हैं। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, पूर्वांचल के जिलों (जैसे सोनभद्र, मिर्जापुर, बलिया) से सब्जी निर्यात बढ़ाने पर फोकस है।
150 मीट्रिक टन निर्यात का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने आने वाले समय में डेढ़ सौ मीट्रिक टन सब्जी निर्यात करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए कृषि विभाग, निर्यात प्रोत्साहन एजेंसियों और मार्केटिंग टीमें मिलकर काम कर रही हैं। बाजार में गुणवत्ता बढ़ने से किसानों को सीधा फायदा मिलेगा।
IVRI और विश्व बैंक की यह पहल उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। अगर किसान उन्नत किस्मों और ट्रेनिंग का लाभ उठाएं, तो मिर्च-मटर की खेती से न केवल आय दोगुनी होगी, बल्कि भारत का नाम वैश्विक बाजार में भी रोशन होगा।
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