Sow Corn Using Ridge Furrow Method: मॉनसून की बारिश शुरू होते ही हमारे गाँवों में खरीफ फसलों की बुवाई जोरों पर शुरू हो जाती है। इस मौसम में धान के बाद मक्का (मकई) सबसे ज्यादा बोया जाता है। मक्के की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे बारिश के पानी से ही नमी मिल जाती है, जिससे सिंचाई का खर्च बचता है। गाँव के किसान कम लागत में अच्छी पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि मक्के की बुवाई के लिए रिज फरो विधि अपनाएँ। यह तकनीक न सिर्फ फसल को बढ़ाती है, बल्कि खेती को आसान और किफायती भी बनाती है।
रिज फरो विधि से बुवाई का आसान तरीका
रिज फरो विधि मक्के की खेती के लिए एक कारगर तकनीक है। इसमें खेत में मेड़ और नालियाँ बनाई जाती हैं। मक्के के बीज मेड़ पर बोए जाते हैं, जबकि नालियाँ पानी की निकासी का काम करती हैं। इस विधि में कतार से कतार की दूरी 2 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 9 इंच रखी जाती है। एक एकड़ खेत में बुवाई के लिए 6 किलो बीज काफी होता है। यह तरीका पानी की बचत करता है और फसल को सही नमी देता है। मेड़ पर बुवाई होने से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे फसल तेज हवा या बारिश में भी सुरक्षित रहती है।
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खेत की तैयारी का सही तरीका
मक्के की खेती के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। जुताई के लिए मोल्डबोर्ड हल का इस्तेमाल करें। इसे 2-3 बार चलाएँ, ताकि मिट्टी अच्छी तरह पलट जाए। इसके बाद रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरी करें। जब खेत तैयार हो जाए, तो प्रति एकड़ 10 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें। यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और फसल की पैदावार बढ़ाता है। गोबर की खाद स्थानीय स्तर पर आसानी से मिल जाती है, जिससे खर्च भी कम रहता है।
रिज फरो विधि के फायदे
रिज फरो विधि कई मायनों में फायदेमंद है। इस तकनीक में नालियों में जमा पानी धीरे-धीरे मेड़ पर मौजूद पौधों को नमी देता है। इससे फसल को सही मात्रा में पानी मिलता है और खेत में पानी का जमाव नहीं होता। मजबूत जड़ों की वजह से पौधे तेज हवा या भारी बारिश में भी नहीं गिरते। इस विधि से खरपतवार भी कम उगते हैं, जिससे उनकी सफाई आसान हो जाती है। सबसे खास बात यह है कि बारिश के बाद भी इस विधि से बुवाई की जा सकती है, जबकि पुराने तरीकों में बारिश से पहले ही बुवाई करनी पड़ती थी। यह तकनीक खेती में लचीलापन और स्थिरता देती है, जिससे पैदावार बढ़ती है।
किसानों के लिए सुझाव
मक्के की खेती शुरू करने से पहले खेत की मिट्टी की जाँच करवाएँ और अच्छी किस्म के बीज चुनें। रिज फरो विधि के लिए सही दूरी और मेड़-नालियों का ध्यान रखें। समय पर खाद और पानी का प्रबंध करें। स्थानीय कृषि केंद्रों से नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी लें। इस मॉनसून में रिज फरो विधि अपनाएँ और अपनी खेती को आसान और मुनाफेदार बनाएँ।
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