फरस बीन की खेती से होगी डबल कमाई, सेहत भी मिलेगी और मुनाफा भी तगड़ा

Fars Bean Cultivation: फरस बीन, जो हमारी देसी दालों में गहरी जड़ें रखती है, अब किसानों के लिए सेहत और आमदनी का जरिया बन सकती है। ये फसल प्रोटीन, आयरन, और फाइबर से भरपूर है, जो मधुमेह को नियंत्रित करने और वजन घटाने में मदद करती है। जून-जुलाई का खरीफ सीजन या अक्टूबर-नवंबर का रबी सीजन इसकी खेती के लिए मुफीद है। गाँवों में इसे सूप, सब्जी, या दाल के रूप में खाया जाता है, और बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है। आइए, जानते हैं कि फरस बीन की खेती कैसे करें और इसके बीज कहाँ से लें।

फरस बीन की पौष्टिक शक्ति

फरस बीन एक ऐसी फसल है, जो सेहत का खजाना लेकर आई है। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर को ताकत देती है, जबकि आयरन खून की कमी को दूर करता है। फाइबर से भरपूर होने के कारण ये पाचन को दुरुस्त रखता है और वजन कम करने में सहायक है। मधुमेह रोगियों के लिए ये वरदान है, क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और ब्लड शुगर को संतुलित रखता है। गाँवों में इसे उबालकर या मसाले डालकर खाया जाता है, जो स्वाद के साथ सेहत का भी ध्यान रखता है। सूखे और कम पानी वाले इलाकों में उगने की इसकी खूबी इसे खास बनाती है।

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खेत में फरस बीन की शुरुआत

फरस बीन की खेती शुरू करने का सही समय अब है, जब जून-जुलाई की बारिश शुरू हो रही है। खेत को हल से जोतकर समतल करें और गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें, ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़े। बीजों को छितुआ विधि से बोएँ, जिसमें इन्हें खेत में बिखेरकर हल्की मिट्टी से ढक दें। ये तरीका कम मेहनत में अच्छी पैदावार देता है। बीजों को 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएँ और अगर बारिश कम हो, तो हल्की सिंचाई करें। दोमट या बलुई मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी है, और इसका पीएच 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। 60-70 दिन में फसल तैयार हो जाती है, जो आसान और फायदेमंद है।

बीज और देखभाल का इंतजाम

फरस बीन के बीज पाने के लिए नजदीकी कृषि केंद्र या सहकारी समितियों का रुख करें, जहाँ प्रमाणित बीज आसानी से मिलते हैं। नेशनल सीड कॉर्पोरेशन (NSC) के स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, जैसे Amazon India या कृषि मंत्रालय की वेबसाइट्स, भी अच्छे विकल्प हैं। बीज खरीदते समय उनकी गुणवत्ता चेक करें और बुआई से पहले इन्हें 10 लीटर पानी में 20 ग्राम कार्बेन्डाज़िम के घोल में 6-8 घंटे भिगोएँ, ताकि बीमारी से बचा जा सके। खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए हाथ से निराई करें और अगर कीट दिखें, तो नीम के पत्तों को पानी में भिगोकर छिड़काव करें। मिट्टी को नम रखें, लेकिन पानी का जमाव न होने दें।

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मुनाफे का सुनहरा मौका

फरस बीन की खेती कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है। रासायनिक खाद की जगह गोबर और जैविक खाद का इस्तेमाल लागत को घटाता है। छितुआ विधि से बुआई करने से मेहनत भी कम लगती है। बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है, क्योंकि लोग सेहतमंद दालों की ओर रुख कर रहे हैं। स्थानीय मंडी या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इसे बेचकर अच्छा दाम मिलता है। छोटे खेत में भी शुरूआत कर सकते हैं, जो धीरे-धीरे आमदनी का जरिया बन सकता है।

फरस बीन की खेती न सिर्फ़ मुनाफा देती है, बल्कि सेहत का तोहफा भी है। कम पानी और देसी खाद से उगने वाली ये फसल पर्यावरण के लिए भी अच्छी है। जून 2025 से शुरूआत कर इसे अपने खेत में लाएँ और गाँवों की तरक्की में योगदान दें।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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