Aaj Ka Mausam: भारतीय मौसम विभाग, नई दिल्ली ने हाल ही में उत्तर भारत के 11 राज्यों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की वर्षा होने की चेतावनी जारी की थी। इस वर्षा का कृषि क्षेत्र और फसलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस लेख में हम आज और आने वाले दिनों के मौसम के प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
आज का मौसम और फसलों पर सकारात्मक प्रभाव
गेहूं, चना, मटर और जौ के लिए वरदान
पश्चिमी विक्षोभ की हल्की वर्षा गेहूं, चना, मटर और जौ जैसी रबी फसलों के लिए बहुत लाभदायक मानी जाती है।
- पानी की बचत: इस बारिश के कारण किसानों को एक सिंचाई कम करनी पड़ती है, जिससे पानी की बचत होती है।
- उर्वरकों की खपत में कमी: यदि पर्याप्त वर्षा हो जाए, तो खाद की आवश्यकता भी कम हो जाती है।
- मौसम की आर्द्रता: आज के मौसम में अधिक आर्द्रता और गलन रहेगा। यह गेहूं जैसी फसलों के लिए लाभदायक है।
- कोहरा: अगले दिन कोहरे की संभावना है, जो फसलों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
मटर और जौ की वृद्धि में सुधार
मटर और जौ जैसी फसलें, जो ठंडे और आर्द्र मौसम में अच्छी तरह बढ़ती हैं, इस हल्की वर्षा से और अधिक हरी-भरी हो जाती हैं।
किन फसलों को होगा नुकसान?
सरसों: फूलों और फलियों का नुकसान
सरसों के पौधों में इस समय फूल और फलियां बन रही होती हैं। हल्की बारिश और कोहरे के कारण:
- कीट समस्या: लाही और माहू जैसे कीड़े फलियों को चूस सकते हैं, जिससे फसल पूरी तरह खराब हो सकती है।
- गुणवत्ता में गिरावट: सरसों की फसल का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
आलू: पाले का खतरा
आलू के लिए कोहरा और पाला सबसे बड़ा खतरा है।
- पत्तियों का सूखना: पाले के कारण आलू की पत्तियां सूख जाती हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है।
- फसल की क्षति: ज्यादा ठंड फसल को पूरी तरह बर्बाद कर सकती है।
लेट बुआई का गेहूं
यदि किसानों ने हाल ही में गेहूं की बुआई की है और फसल में सिंचाई कर दी है, तो बारिश से जलभराव हो सकता है। इससे पौधों की जड़ें सड़ने का खतरा रहता है।
पर्यावरण पर आज और कल के मौसम का प्रभाव
शहरों की धीमी होती रफ्तार
भारतीय शहर, विशेष रूप से दिल्ली, बदलते मौसम से बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
- दिल्ली की बिगड़ती हवा: दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है, जिससे GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) स्टेज 3 लागू किया गया है।
- सार्वजनिक जीवन पर असर: खराब हवा के कारण स्कूल बंद, निर्माण कार्य रोके जाने और वाहनों पर प्रतिबंध से दिल्ली की रफ्तार थम गई है।
GRAP 3: क्या है और इसका असर?
GRAP का मतलब है ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान, जो वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद लागू किया जाता है।
GRAP 3 के तहत:
- पुरानी गाड़ियों पर पूरी तरह प्रतिबंध।
- मेट्रो के फेरे बढ़ाए गए।
- सभी निर्माण कार्य और धूल उड़ाने वाले उद्योग बंद।
- स्कूल बंद, खासतौर पर 5वीं तक के।
यह कदम उठाए गए हैं ताकि प्रदूषण की स्थिति और न बिगड़े, लेकिन इसका असर फसलों पर भी पड़ता है।
दिल्ली और आसपास की फसलों का हाल
सब्जी उत्पादन पर असर
दिल्ली से सटे राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में सब्जी उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
- धूप की कमी: प्रदूषण के कारण धूप कम मिलती है, जिससे सब्जियों की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित होता है।
- फसल का जहरीला होना: लंबे समय तक प्रदूषण में उगने वाली फसलें जहरीली हो सकती हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य को खतरा है।
प्रदूषण और कृषि: एक गंभीर समस्या
शीत ऋतु और प्रदूषण
हर साल ठंड के मौसम में प्रदूषण की समस्या गंभीर हो जाती है।
- सरकारी उपायों की कमी: अगर समय रहते प्रदूषण पर नियंत्रण किया गया होता, तो आज GRAP 3 जैसी स्थिति नहीं आती।
- कृषि पर असर: प्रदूषण न केवल इंसानों को, बल्कि फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
आज का मौसम (चाहे वर्षा हो या कोहरा) फसलों के लिए वरदान और अभिशाप दोनों साबित हो सकता है। जहां गेहूं, चना, मटर और जौ को इसका लाभ होगा, वहीं सरसों, आलू और लेट बुआई वाली फसलों को नुकसान झेलना पड़ सकता है। साथ ही, प्रदूषण की गंभीर समस्या ने न केवल शहरों की रफ्तार धीमी कर दी है, बल्कि कृषि पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
कृषि क्षेत्र में सुधार और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है, ताकि किसानों को मौसम की अनिश्चितताओं और पर्यावरणीय खतरों से बचाया जा सके।
ये भी पढ़ें- नीले पत्तागोभी की खेती सर्दियों में किसानों को देगी तगड़ा मुनाफा