aaloo Ko Store Kaise Karen: गाँवों में आलू की खेती मेहनत का बड़ा काम है, और उसे लंबे वक्त तक सुरक्षित रखना भी एक कला है। ज्यादातर लोग हार्वेस्टिंग के बाद स्टोर करने के तरीकों पर सोचते हैं, मगर अगर हार्वेस्टिंग के दौरान ही 3 बातों का ध्यान रख लिया जाए, तो आलू 5-6 महीने तक चमकदार और मजबूत बना रहता है। शाहजहांपुर जैसे इलाकों में आलू बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
कुछ किसान इसे काटते ही बाजार में बेच देते हैं, तो कुछ बीज के लिए या बाद में अच्छे दाम के लिए कोल्ड स्टोर में रखते हैं। फरवरी-मार्च में हार्वेस्टिंग होती है, जब भाव कम रहते हैं, लेकिन बरसात में दाम बढ़ जाते हैं। ऐसे में सही तरीके से हार्वेस्टिंग करें, तो मेहनत का पूरा फायदा मिलेगा। आइए, इन टिप्स को समझते हैं।
सही हार्वेस्टिंग से गुणवत्ता बनी रहे
आलू को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए हार्वेस्टिंग का तरीका बहुत मायने रखता है। कटाई से पहले आलू के पौधे को जमीन की सतह के बराबर से काट दें। फिर इसके बाद आलू निकालें। ऐसा करने से आलू की क्वालिटी बढ़िया रहती है। अच्छी गुणवत्ता वाला आलू न सिर्फ लंबे वक्त तक चलता है, बल्कि बाजार में अच्छा दाम भी दिलाता है। इसे बीज के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ये छोटा सा कदम बड़ा फायदा देता है।
20 दिन पहले पानी बंद करें
अगर आलू को बीज के लिए या 5-6 महीने स्टोर करना है, तो हार्वेस्टिंग से 20-25 दिन पहले खेत में पानी देना बंद कर दें। इससे आलू का छिलका सख्त और चमकदार बनता है। गुणवत्ता बढ़ने से ये सड़ता नहीं और कोल्ड स्टोर में भी सुरक्षित रहता है। बरसात में जब भाव ऊँचे होंगे, तब इसे बेचकर अच्छी कमाई हो सकती है। ये छोटी सावधानी बड़ा नुकसान बचा लेती है।
इकट्ठा करते वक्त रखें ख्याल
हार्वेस्टिंग के बाद आलू को खेत में इकट्ठा करना आम बात है, मगर इसमें भी ध्यान रखना जरूरी है। आलू को ऐसी जगह रखें, जहाँ छिलके को कोई नुकसान न हो। अगर छिलका टूटा या खराब हुआ, तो आलू जल्दी सड़ सकता है। सही जगह पर रखने से ये 5-6 महीने तक ताजा बना रहता है। इसे कोल्ड स्टोर में रखें या घर पर, सावधानी से रखा आलू लंबे वक्त तक साथ देता है।
क्यों जरूरी है सही तरीका
फरवरी-मार्च में आलू का भाव कम रहता है, लेकिन बरसात में ये बढ़ जाता है। अच्छी हार्वेस्टिंग से न सिर्फ आलू की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि इसे बीज या बिक्री के लिए स्टोर करना आसान हो जाता है। शाहजहांपुर के किसानों का अनुभव है कि सही समय पर सही कदम उठाने से फसल की कीमत और रखवाली दोनों बेहतर होती है।
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