जानिए कैसे आत्मा योजना से ग्राम बनाला के किसानों की आय हुई तीन गुना

किसान भाइयों, पहाड़ी इलाकों में खेती की चुनौतियां कम नहीं हैं, लेकिन केंद्र सरकार की आत्मा योजना (ATMA – Agricultural Technology Management Agency) ने यहां किसानों को नई उम्मीद दी है। आज ग्राम बनाला में, जो न्याय पंचायत सीमा के अंतर्गत आता है, आत्मा योजना के तहत फार्म फील्ड स्कूल का आयोजन किया गया। इस दौरान स्थानीय किसानों ने मटर की बुवाई की और फसल का निरीक्षण भी किया।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि किसानों को खेत में ही व्यावहारिक ट्रेनिंग देकर उनकी उत्पादकता बढ़ाना। उत्तराखंड जैसे राज्य में, जहां रबी फसलें जैसे मटर महत्वपूर्ण हैं, ये पहल किसानों की आय को दोगुनी करने का माध्यम बनेगी। आत्मा योजना, जो किसानों को विज्ञान आधारित खेती सिखाती है और ग्रामीण विकास को गति देती है।

फार्म फील्ड स्कूल, खेत में ही सीखें उन्नत कृषि तकनीकें

फार्म फील्ड स्कूल आत्मा योजना का दिल है। ये खेत में ही आयोजित होता है, जहां किसान विशेषज्ञों के साथ मिलकर फसल उगाते हैं और सीखते हैं। आज ग्राम बनाला में यही हुआ। किसानों ने मटर की बुवाई की, जो उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अक्टूबर-नवंबर का प्रमुख रबी फसल है। विशेषज्ञों ने बताया कि मटर की बुवाई के लिए 20-25 डिग्री तापमान आदर्श है, और पहाड़ी इलाकों में ये फसल 120-150 दिनों में तैयार हो जाती है। कार्यक्रम में 50 से ज्यादा किसान शामिल हुए, जिन्हें खेत की मिट्टी में ही डेमो दिया गया। आत्मा योजना के तहत ये स्कूल साल भर चलते हैं, जो किसानों को मौसम के हिसाब से ट्रेनिंग देते हैं।

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मटर की फसल को रोगों से बचाएं

कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा था बीज उपचार। विशेषज्ञों ने बताया कि मटर के बीजों को बुवाई से पहले थिरम या कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें। इससे जड़ सड़न और फफूंदी रोगों से बचाव होता है। ग्राम बनाला के किसानों ने खुद बीज उपचार किया और देखा कि कैसे ये छोटा कदम फसल को मजबूत बनाता है। उत्तराखंड के ठंडे मौसम में मटर में रूट रॉट का खतरा ज्यादा रहता है, इसलिए ये ट्रेनिंग समय पर आई। आत्मा योजना के तहत बीज सब्सिडी भी मिलती है, जिससे किसान प्रमाणित किस्में जैसे अरकेल या पलामू जैसे बीज सस्ते में ले सकें।

संतुलित खाद प्रबंधन, मिट्टी की सेहत, फसल की ताकत

किसानों को संतुलित खाद प्रबंधन की बारीकियां सिखाई गईं। मटर एक दलहनी फसल है, जो नाइट्रोजन फिक्सेशन करती है, लेकिन बुवाई पर 20-30 किलो नाइट्रोजन, 40-50 किलो फॉस्फोरस और 20 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर दें। विशेषज्ञों ने जोर दिया कि जैविक खाद जैसे वर्मीकम्पोस्ट (5-10 टन/हेक्टेयर) मिलाएं, ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे। ग्राम बनाला की मिट्टी, जो पहाड़ी होने से पतली है, में ये खाद प्रबंधन फसल को मजबूत बनाएगा। कार्यक्रम में किसानों ने खाद की मात्रा खुद कैलकुलेट की और देखा कि कैसे ज्यादा खाद से नुकसान होता है। आत्मा योजना मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी वितरित करती है, जो किसानों को मिट्टी परीक्षण के आधार पर सलाह देता है।

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मटर की फसल संरक्षण पर विस्तार से चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि एफिड्स और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे कीट-रोगों से बचाव के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर) का स्प्रे करें। जैविक तरीके जैसे ट्राइकोडर्मा से बीज उपचार भी सिखाया गया। ग्राम बनाला के किसानों को सलाह दी गई कि बुवाई के 20-25 दिन बाद पहला निरीक्षण करें। उत्तराखंड में ठंडी हवाओं से फसल को फ्रीजिंग का खतरा रहता है, इसलिए मल्चिंग (सूखी घास) का इस्तेमाल करें। आत्मा योजना के तहत फसल बीमा (PMFBY) का भी जिक्र किया गया, जो नुकसान पर मुआवजा देती है।

आत्मा योजना का प्रभाव, उत्तराखंड के किसानों के लिए वरदान

आत्मा योजना (Aatma Yojana) उत्तराखंड में 13 जिलों में सक्रिय है, जो किसानों को ट्रेनिंग, बाजार लिंकेज और तकनीक देती है। ग्राम बनाला जैसे गांवों में फार्म फील्ड स्कूल से किसानों की आय 20-30% बढ़ रही है। मटर जैसी फसलें यहां की पहाड़ी कृषि के लिए आदर्श हैं, जो कम पानी में ज्यादा उपज देती हैं। कार्यक्रम में किसानों ने कहा कि ये ट्रेनिंग उनकी खेती को आधुनिक बना रही है। राज्य सरकार ने 2025 में आत्मा बजट बढ़ाया है, ताकि ज्यादा गांव कवर हों।

व्यावहारिक ट्रेनिंग से मजबूत फसल

ग्राम बनाला का फार्म फील्ड स्कूल आत्मा योजना का जीता-जागता उदाहरण है। मटर बुवाई से लेकर संरक्षण तक की जानकारी ने किसानों को नई ऊर्जा दी। उत्तराखंड जैसे राज्य में, जहां खेती चुनौतीपूर्ण है, ऐसी पहलें किसानों को आत्मनिर्भर बनाएंगी। किसान भाइयों, स्थानीय आत्मा कार्यालय से जुड़ें और अपनी फसल को मजबूत बनाएं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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