इस किस्म की प्याज वो लाल सोना है जो किसानों का मुनाफा रातों-रात बढ़ा देती है

प्याज की खेती भारतीय किसानों के लिए कमाई का एक बड़ा जरिया है। इसमें AFLR (Agrifound Light Red) प्याज की किस्म ने धूम मचा रखी है। यह किस्म अपनी चमकदार लाल रंग, बंपर पैदावार और लंबे स्टोरेज के लिए जानी जाती है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि AFLR न सिर्फ ज्यादा उपज देती है, बल्कि इसका स्वाद और बाज़ार में मांग भी कमाल की है। नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (NHRDF) द्वारा विकसित यह किस्म सूखे और कम उपजाऊ क्षेत्रों में भी शानदार परिणाम देती है। AFLR से प्रति हेक्टेयर 25-30 टन तक पैदावार मिल सकती है। आइए जानें कि यह किस्म किसानों के लिए क्यों है सुपरहिट और इसे कैसे उगाएँ।

AFLR प्याज की खासियत

यह एक लाल प्याज की किस्म है, जो 120-140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसके बल्ब मध्यम से बड़े, गोल, और चमकदार लाल रंग के होते हैं। इसका स्वाद तीखा लेकिन हल्का मीठा है, जो खाने और कुकिंग में पसंद किया जाता है। यह किस्म रोगों के खिलाफ मजबूत है, खासकर थ्रिप्स और पर्पल ब्लॉच जैसे रोगों से। किसानों के अनुभव बताते हैं कि AFLR की प्याज 4-6 महीने तक स्टोर की जा सकती है, जिससे ऑफ-सीजन में अच्छा दाम मिलता है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, यह प्याज पोटैशियम, विटामिन सी, और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह रबी सीजन (अक्टूबर-नवंबर) में बुवाई के लिए आदर्श है।

मिट्टी और खेत की तैयारी

(AFLR Pyaj Ki Kheti) प्याज की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी चुनें। मिट्टी का pH 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। बुवाई से पहले खेत को 2-3 बार अच्छे से जोतें और प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद डालें। किसानों के अनुभव बताते हैं कि मिट्टी में जैव उर्वरक, जैसे जायटॉनिक पोटाश, मिलाने से पैदावार बढ़ती है। बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशक (जैसे थीरम) से उपचारित करें, ताकि अंकुरण बेहतर हो। प्रति हेक्टेयर 5-6 किलो बीज पर्याप्त हैं। पौधों के बीच 10-15 सेमी और पंक्तियों के बीच 30 सेमी की दूरी रखें। वैज्ञानिक सलाह के अनुसार, ड्रिप इरिगेशन का उपयोग पानी की बचत करता है और पैदावार बढ़ाता है।

बुवाई का सही समय और तरीका

इस प्याज की बुवाई रबी सीजन में, यानी अक्टूबर से नवंबर के बीच करें। अगर आप नर्सरी में पौध तैयार कर रहे हैं, तो बीजों को 6-8 हफ्ते पहले बोएँ और फिर खेत में रोपें। बीज को 1-2 सेमी गहराई पर बोएँ और हल्का पानी छिड़कें। किसानों के अनुभव बताते हैं कि नर्सरी से रोपाई करने पर पौधे मजबूत होते हैं और पैदावार बढ़ती है। बुवाई के बाद मिट्टी को नम रखें, लेकिन ज्यादा गीला न करें। वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार, शुरुआती 30-40 दिन हल्का और नियमित पानी देना जरूरी है, ताकि जड़ें मजबूत बनें।

देखभाल और खाद प्रबंध

AFLR प्याज की देखभाल आसान है, लेकिन सही तरीके अपनाने से परिणाम शानदार मिलते हैं। पौधों को हफ्ते में 2-3 बार पानी दें, खासकर शुरुआती और बल्ब बनने के चरण में। ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं। खरपतवार हटाने के लिए समय-समय पर निराई करें। NPK खाद का संतुलित उपयोग करें, जैसे 100:50:50 किलो प्रति हेक्टेयर। नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कने से थ्रिप्स और अन्य कीटों का प्रकोप कम होता है। किसानों के अनुभव बताते हैं कि जैव उर्वरक, जैसे वर्मी कंपोस्ट, डालने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। वैज्ञानिक सलाह के अनुसार, AFLR किस्म थ्रिप्स रोधी है, लेकिन शुरुआती चरण में सावधानी बरतें।

पैदावार और बाज़ार में मांग

इस प्याज से प्रति हेक्टेयर 25-30 टन तक पैदावार मिल सकती है, जो सामान्य किस्मों से 20-30% ज्यादा है। इसके बल्ब आकर्षक लाल रंग और मध्यम आकार के होते हैं, जो बाज़ार में 20-30 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। किसानों के अनुभव बताते हैं कि इसकी स्टोरेज क्षमता 4-6 महीने की है, जिससे ऑफ-सीजन में भी अच्छा मुनाफा मिलता है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, AFLR की प्याज निर्यात के लिए उपयुक्त है, क्योंकि इसका रंग, आकार, और स्वाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पसंद किया जाता है। भारत के प्याज निर्यात में AFLR की हिस्सेदारी बढ़ रही है, खासकर मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में।

गलतियों से बचें

प्याज की खेती में छोटी गलतियाँ नुकसान कर सकती हैं। बीजों को ज्यादा गहरा न बोएँ, वरना अंकुरण प्रभावित होगा। ज्यादा पानी देने से बचें, क्योंकि इससे बल्ब सड़ सकते हैं। रासायनिक कीटनाशकों का कम उपयोग करें और जैविक उपाय, जैसे नीम तेल, अपनाएँ। किसानों के अनुभव बताते हैं कि मिट्टी की जाँच करवाकर pH और पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखें। बुवाई का समय चूकने से पैदावार कम हो सकती है, इसलिए अक्टूबर-नवंबर में शुरू करें।

किसानों के लिए सलाह

AFLR बीज चुनते समय हमेशा प्रमाणित स्रोत, जैसे NSC या NHRDF, से खरीदें। शुरुआत में छोटे स्तर पर खेती करें और परिणाम देखकर बढ़ाएँ। स्थानीय कृषि केंद्रों से मिट्टी की जाँच करवाएँ और जैव उर्वरक, जैसे जायटॉनिक पोटाश, का उपयोग करें। ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग जैसी तकनीकों को अपनाएँ, ताकि पानी और लागत बचे। किसानों के अनुभव बताते हैं कि AFLR से न सिर्फ पैदावार बढ़ती है, बल्कि मुनाफा भी दोगुना हो सकता है। अगर आप छोटे स्तर पर या गमले में भी प्याज उगाना चाहते हैं, तो AFLR बीज आजमाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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