1 क्विंटल वजन वाले अफ्रीकन बकरे से पशु पालक अब लखपति नहीं करोड़पति बनेंगे,जानिये पूरी डिटेल

अफ्रीकन बोअर बकरी पालन भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, खासकर उन किसानों के बीच जो मांस उत्पादन से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। ये दक्षिण अफ्रीका की नस्ल है, जो अपने तेज वजन बढ़ने और उच्च गुणवत्ता वाले मांस के लिए जानी जाती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बोअर बकरी की मांग बढ़ रही है, क्योंकि ये कम लागत में ज्यादा लाभ देती है। इसकी देखभाल आसान है और ये भारतीय जलवायु में अच्छी तरह ढल जाती है। इस लेख में हम अफ्रीकन बोअर बकरी पालन की पूरी जानकारी सरल तरीके से देंगे, ताकि गाँव के किसान इसे आसानी से शुरू कर सकें।

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बोअर बकरी की खासियत और चयन

अफ्रीकन बोअर बकरी की सबसे बड़ी खासियत इसका तेजी से वजन बढ़ना है। एक वयस्क बोअर बकरी 60-90 किलो तक वजनaji हो सकती है, जबकि बकरे का वजन 100 किलो से ज्यादा हो सकता है। इनका मांस रेशेदार और स्वादिष्ट होता है, जिसकी बाजार में भारी मांग है। बोअर बकरी पालन शुरू करने से पहले स्वस्थ और शुद्ध नस्ल की बकरियां चुनें। भारत में CIRG (सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन गोएट्स), मथुरा से शुद्ध बोअर बकरी खरीदने की सलाह दी जाती है। शुरुआत में 10 मादा बकरियां और 1 नर बकरे से शुरू करें। खरीदने से पहले बकरी के दांत, आंखें, और चाल की जांच करें। अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से सलाह लें, ताकि बीमार बकरियां न खरीदें।

शेड निर्माण और आवास की उचित व्यवस्था

बोअर बकरी पालन के लिए साफ और हवादार शेड जरूरी है। शेड को ऊंची और सूखी जगह पर बनाएं, एक बकरी के लिए 12-15 वर्ग फीट जगह होनी चाहिए। 10 बकरियों के लिए 150-200 वर्ग फीट का शेड काफी है। शेड की लंबाई पूर्व-पश्चिम दिशा में रखें, ताकि धूप कम पड़े। फर्श मिट्टी का या बांस का बनाएं, लेकिन कीचड़ से बचाएं। सप्ताह में एक बार चूने का छिड़काव करें, ताकि कीट और रोगों से बचाव हो। शेड में पर्याप्त रोशनी और हवा का प्रवाह होना चाहिए। सर्दियों में बकरियों को गर्म रखने के लिए पुआल या बोरी का उपयोग करें। शेड की नियमित सफाई करें और बकरियों को खूंटे पर बांधकर भी पाला जा सकता है।

आहार और पोषण प्रबंधन

बोअर बकरी का आहार उनकी सेहत और वजन बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। इन्हें हरा चारा, जैसे बरसीम, लूसर्न, और मक्का, रोजाना 2-3 किलो दें। सूखा चारा, जैसे भूसा या ज्वार, 500-700 ग्राम पर्याप्त है। इसके अलावा, प्रति बकरी 200-300 ग्राम दाना (गेहूं, चोकर, और खल का मिश्रण) दें। नमक और खनिज मिश्रण भी आहार में शामिल करें। साफ और ताजा पानी हमेशा उपलब्ध रखें। मई की गर्मी में बकरियों को सुबह और शाम चराएं, ताकि गर्मी का असर कम हो। जैविक खेती के लिए नीम की पत्तियां और सोयाबीन का चारा दें, जो बकरियों को गर्माहट और ऊर्जा देता है। अपने क्षेत्र के पशु चिकित्सक से आहार योजना बनवाएं।

स्वास्थ्य देखभाल और रोग नियंत्रण

इस बकरी को कुछ आम बीमारियां, जैसे निमोनिया, दस्त, और कोकसीडियोसिस, परेशान कर सकती हैं। इनसे बचने के लिए समय पर टीकाकरण जरूरी है। PPR (पेस्ट डेस पेटिट्स रमिनेंट्स) और बकरी चेचक के टीके हर साल लगवाएं। नवजात मेमनों को जन्म के तुरंत बाद कोलोस्ट्रम (पहला दूध) पिलाएं, ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। कीटों, जैसे पिस्सू और जूं, के लिए नीम तेल का छिड़काव करें। अगर बकरी सुस्त हो या खाना कम करे, तो तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाएं। खरीदी गई नई बकरियों को 21 दिन तक अलग रखें, ताकि रोग न फैलें। अपने नजदीकी पशु स्वास्थ्य केंद्र से नियमित जांच करवाएं।

प्रजनन और मेमनों की देखभाल

बोअर बकरी साल में दो बार बच्चे दे सकती है, जिससे मुनाफा बढ़ता है। एक स्वस्थ मादा बकरी 18-20 महीने की उम्र में गर्भवती हो सकती है। प्रजनन के लिए मजबूत और स्वस्थ नर बकरे का चयन करें। हर 20 मादा बकरियों के लिए एक नर बकरे की जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान बकरी को अतिरिक्त पोषण दें। मेमनों को जन्म के बाद गर्म और साफ जगह पर रखें। उनके नाक और मुंह को साफ करें, ताकि सांस लेने में दिक्कत न हो। मेमनों को 6 महीने में बेचा जा सकता है, जब उनका वजन 25-30 किलो हो जाता है।

लागत और मुनाफा

बोअर बकरी पालन की लागत शुरुआत में 1-1.5 लाख रुपये हो सकती है, जिसमें शेड निर्माण (30,000-50,000 रुपये), बकरियां (50,000-70,000 रुपये), चारा (20,000 रुपये), और दवाइयां (5,000-10,000 रुपये) शामिल हैं। सरकार, जैसे बिहार और हरियाणा, 50-90% सब्सिडी देती है। NABARD और बैंक भी लोन प्रदान करते हैं। एक बोअर बकरी 6 महीने में 70 -100 किलो वजन की हो सकती है, जिसे 300-400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा सकता है। 10 बकरियों से सालाना 2-3 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है। यदि आप 100 बकरी पलकर बेंच रहे हैं तो 30-40 लाख रूपये कमा सकते हैं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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